सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें कुछ कुछ लोगों को ट्रक से ईवीएम उतारकर एक रूम में रखते हुए देखा जा सकता है। इसे शेयर कर ईवीएम के साथ हेराफेरी का दावा किया जा रहा है। सवाल किया जा रहा है कि चुनाव खत्म होने के बाद EVM चुनाव अधिकारी और सुरक्षा बलों की सुरक्षा के बिना क्यों भेजी गयी? हालांकि हमारी पड़ताल में यह वीडियो पुराना और भ्रामक निकला।
कांग्रेस समर्थक दीप अग्रवाल ने एक्स पर इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, ‘SHOCKING क्या चुना आयोग बतायेगा कि चुनाव खत्म होने के बाद #EVM चुनाव अधिकारी और सुरक्षाबलों की सुरक्षा के बिना क्यों भेजी गयी? आदरणीय #CJIDYChandrachud जी अब तो सुप्रीम कोर्ट की गर्मी की छुट्टीयां भी खत्म हो गयी है आप स्वत संज्ञान क्यो नही ले रहे हो?’
कांग्रेस कार्यकर्ता दलबीर सिंह रंधावा ने लिखा, ‘SHOCKING क्या चुना आयोग बतायेगा किचुनाव खत्म होने के बाद #EVM चुनाव अधिकारी और सुरक्षा बलों की सुरक्षा के बिना क्यों भेजी गयी? आदरणीय #CJIDYChandrachud जी आप स्वत संज्ञान क्यो नही ले रहे हो?’
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पड़ताल में हमें 29 जनवरी 2024 को गुर्जर नाम के एक्स हैंडल से मिलता जुलता वीडियो मिला। इस वीडियो के रिप्लाई में हमें चंदौली के डीएम के अधिकारिक एक्स हैंडल से किया गया एक पोस्ट मिला। पोस्ट में बताया गया कि यह वीडियो वर्ष 2019 लोक सभा चुनाव के दौरान का है। उस समय VVPAT को राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में शिफ्ट किया गया था। किसी प्रकार से कोई अनियमित कार्य नहीं हुआ था।
पड़ताल में आगे हमें 21 मई 2019 को चुनाव आयोग के प्रवक्ता के आधिकारिक एक्स हैंडल से इस संबंध में किया गया पोस्ट मिला। इस पोस्ट में जिला निर्वाचन अधिकारी चंदौली और समाजवादी पार्टी के लेटरहेड से दिया गया बयान भी मौजूद था। दोनों ही लेटरहेड में मौजूद बयान में किसी भी तरह की अनियमितता का ज़िक्र नहीं है। 20 मई 2019 को जिला निर्वाचन अधिकारी की तरफ से जारी किए गए पत्र में बताया गया है, ‘जनपद-चन्दौली में दिनांक 19 मई, 2019 को मतदान समाप्त हो जाने के पश्चात पोल्ड EVM एवं VVPAT को डबल लाक स्ट्रांग रूम में संरक्षित करने की कार्यवाही उपस्थित प्रत्याशी/ उनके प्रतिनिधि की उपस्थिति में पूर्ण की गयी। दिनांक 20-5-2019 को मतदान के पश्चात सकलडीहा तहसील मुख्यालय पर रिजर्व के रूप में रखी गई अतिरिक्त EVM एवं VVPAT को नवीन मण्डी समिति चन्दौली में अतिरिक्त बनाए गए स्ट्रांग रूम में रखवाये जाने की कार्यवाही की जा रही थी। इसी दौरान समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा मशीनों को रखे जाने को लेकर संदेह व्यक्त किया गया। उपस्थित जनप्रतिनिधियों द्वारा इन मशीनों को वापस भेजे जाने की माँग की जाने लगी। जिसके बाद इन मशीनों को सुरक्षा की दृष्टि से कलेक्ट्रेट में रखवा दिया गया।’
निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि चुनाव अधिकारी और सुरक्षा बलों की सुरक्षा के बिना ईवीएम की हेराफेरी के साथ शेयर किया गया यह वीडियो पांच साल पुराना है। इस मामले में ईवीएम की हेराफेरी का दावा झूठा है। उस समय चुनाव आयोग ने इस मामले में अपना स्पष्टीकरण भी दिया था।
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