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गुजरात के एक स्कूल ने मुस्लिम होने की वजह से नहीं दिया अवार्ड? जाने टॉपर मुस्लिम छात्रा का अधूरा सच 

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पिछले कुछ दिनों से एक खबर खूब चर्चा में है। बताया जा रहा है कि गुजरात के खेड़ा स्कूल में टॉपर बनकर उभरी एक लड़की को कथित तौर पर स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान सम्मानित विजेताओं की सूची में अवार्ड देने से इनकार कर दिया गया था। अर्नाज़ बानो ने अपनी परीक्षा में 87 प्रतिशत अंक प्राप्त किए, इसके बावजूद उन्हें दूसरों के बराबर मान्यता नहीं मिली। हालाँकि, दूसरे स्थान पर रहने वाले और कम अंक पाने वालों का नाम दिया गया। अर्नाज़ के माता-पिता ने स्कूल पर धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाया है।

इस खबर को लेफ्ट, इस्लामिक कट्टरपंथी और सेक्युलर गैंग ने जमकर शेयर किया। इसी क्रम में आंख मूंदकर मुस्लिमों का पक्ष रखने वाले ‘मुस्लिम स्पेस‘ नाम के ट्विटर अकाउंट ने इस मामले की जानकारी दी है। ट्वीट किया गया कि “गुजरात: एक मुस्लिम छात्रा ने अपनी कक्षा में टॉप किया, लेकिन अवार्ड समारोह में उसका नाम नहीं बताया गया! केवल दूसरे नंबर के पुरस्कार विजेताओं के नाम बताए गए! वो रोई; शिक्षकों ने उसके माता-पिता से कहा कि उसे ‘बाद में’ पुरस्कार मिलेगा! वह पुरस्कार नहीं चाहती थी; वह मान्यता चाहती थी, जिसे उसके स्कूल ने अस्वीकार कर दिया!” 

तनमय नाम के यूजर ने ट्वीट किया, ” मोदी-युक्त भारत का राज्य. #गुजरात में शीर्ष स्कोरिंग मुस्लिम लड़की को एक स्कूल समारोह में अवार्ड देने से इनकार कर दिया गया। अर्नाज़ बानू स्वतंत्रता दिवस पर कक्षा 10 और कक्षा 12 के सम्मान में अपने स्कूल द्वारा आयोजित एक समारोह में पहुंचीं, उन्हें उम्मीद थी कि मंच पर सबसे पहले उन्हें बुलाया जाएगा। उसने 10वीं कक्षा में 87% अंक हासिल किए, वह टॉपर रही। यही नहीं होना था। ऐसा प्रतीत होता है कि यह धर्म के आधार पर जानबूझकर भेदभाव का मामला है, मेहसाणा जिले में स्थित एक स्कूल, श्री के. टी. पटेल स्मृति विद्यालय ने अपने स्टार छात्र को सम्मानित करने से इनकार कर दिया।”

खुद को “एक डरा हुआ पत्रकार” बताने वाले ‘अली सोहरब‘ ने ट्वीट किया, “संवैधानिक हुनुदी सिस्टम की ख़ुबसूरती; गुजरात के मेहसाणा में 15 अगस्त को कक्षा 10 के टॉपर्स बच्चों को सम्मानित किया गया। संवैधानिक संस्था द्वारा टॉपर-1 के छात्रा की जगह पर टॉपर-2 के छात्र को बुला कर अवार्ड सम्मानित किया गया। टॉपर-1 को संवैधानिक संस्था ने केवल इसलिए समान्नित नहीं किया क्योंकि छात्रा मुसलमान है।

राहुल नाम के यूजर ने इस मामले पर ट्वीट किया, ” अर्नाज़बानू मेहसाणा जिले के ‘श्री के. टी. पटेल स्मृति विद्यालय’ में 10वीं कक्षा के टॉपर हैं। 15 अगस्त को कक्षा 10 और 12 के टॉपर्स को सम्मानित करने के लिए आयोजित स्कूल समारोह में गया था। हैरानी की बात यह है कि स्कूल ने उसे अवार्ड देने से इनकार कर दिया और दूसरे स्थान पर रहने वाले छात्र को दे दिया। अर्नाज़ बानू रोते हुए घर लौटी। इस स्वतंत्रता दिवस पर गुजराती लोगों ने अभियान चलाया”मैं गांधी के गुजरात से नहीं हूं। मैं मोदी के गुजरात से हूं।”क्या गुजरात अपने नागरिकों के साथ भेदभाव करता है? क्या यही #वाइब्रेंटगुजरात है?”

ऐसे कई अनगिनत ट्वीट हैं जो इसी दावे के साथ वायरल हैं. सिर्फ सोशल मीडिया यूजर ही नहीं बल्कि न्यूज़ चैनलों ने भी बिना इसका दूसरा पक्ष जाने जमकर इस खबर को चलाया.  इसमें दी वायर, क्विंट, मकतूब मीडिया, सियासत डेली जैसे प्रोपोगेंडा चैनल शामिल हैं. अब सवाल उठता है कि क्या सच में यह खबर सच्ची है? आइये जानते हैं कि इस दावे में कितना दम है.  

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फैक्ट चेक 

इस दावे का सच जानने के लिए सबसे पहले हमने स्कूल प्रशासन से बात की. श्री केटी स्मृति विद्या विहार स्कूल के प्रिंसिपल अमित पटेल ने हमें बताया कि यह कोई बड़ा आधिकारिक आयोजन नहीं था, इस कार्यक्रम को स्कूल के शिक्षकों ने अपने-अपने तरीके से आयोजित किया था। इस कार्यक्रम के आयोजन में शिक्षकों का उद्देश्य स्कूल के छात्रों को प्रेरित करना और आने वाली परीक्षाओं में अच्छे मार्क्स लाने के लिए उन्हें मोटिवेशन देना था।”  

इस मामले की सच्चाई अलग है। असल में अरनाज़ को मुस्लिम होने की वजह से नहीं, बल्कि उसके स्कूल छोड़ दिए जाने की वजह से अवार्ड नहीं दिया गया। दरअसल, छात्रा ने 10वीं के बाद दूसरे स्कूल में एडमिशन ले लिया है और यह कार्यक्रम केवल स्कूल में पढ़ रहे छात्रों के लिए था। स्कूल की तरफ से आधिकारिक तौर पर 26 जनवरी को छात्रों को इनाम बाटे जाते हैं। उस दिन अरनाज़ को भी सम्मानित किया जायेगा।

वहीं गांव के ही रहने वाले और पेशे से प्रोफेसर नियाज ने हमें बताया, “गलती छात्रा के पिता की है, उन्होंने इस मसले को इस तरह पेश किया और बाद में हर किसी न बहती गंगा में हाथ धोए। मैं ऐसा मानता हूं कि किसी बात को गलत तरीके से उछालना भी गुनाह है। इस स्कूल को पचास साल हो चुके हैं।  के. टी. पटेल के खानदान ने कभी किसी चीज़ को हिन्दू मुस्लिम के नजरिए से नहीं देखा, इसका मैं गवाह हूं। सरकार की ओर से भी स्कूलों-कॉलेजों में कभी ऐसा नहीं करने को कहा गया है। मैं इस बात को यकीन के साथ इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि मैं भी पिछले पच्चीस सालों से गुजरात के अलग-अलग कॉलेजों में बतौर प्रोफेसर काम कर रहा हूं।”

अपनी जांच के दौरान हमारा ध्यान छात्रा के स्कूल ड्रेस पर गाया। प्रिंसिपल और नियाज के मुताबिक अर्नाज़ बानो अब के.एन.पटेल सर्वोदय हाई स्कूल में पढ़ती है। नीचे दिए गए फोटो में आप अनरजा के स्कूल ड्रेस और श्री केटी स्मृति विद्या विहार स्कूल के ड्रेस में साफ़ अंतर देख सकते हैं।  

वहीं अब नीचे दिए गए दूसरी तस्वीर को देखिये. इसमें बाएं तरफ अर्नाज़ की स्कूल ड्रेस में एक फोटो है. वहीं दाएं तरफ के.एन.पटेल सर्वोदय हाई स्कूल की अन्य छात्राओं की फोटो है. अरनाज़ की स्कूल ड्रेस के.एन.पटेल सर्वोदय हाई स्कूल की स्कूल ड्रेस से साफ़ मैच हो रही है. 

हमारी पड़ताल में यह स्पष्ट हो गया कि मीडिया द्वारा इस मामले का एक ही पक्ष दिखाया जा रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि अर्नाज़ अब स्कूल की छात्र है ही नहीं.  जहां तक बात रही उसे सम्मानित करने की, तो स्कूल न यह स्पष्ट किया है कि 26 जनवरी को उसे अवॉर्ड दिया जायेगा. ऊपर उल्लेख किए गए तमाम प्रमाण के आधार पर यह कहना उचित होगा कि यह दावा भ्रामक है

दावाटॉपर मुस्लिम छात्रा को स्कूल ने नहीं दिया अवॉर्ड
दावेदारलेफ्ट, इस्लामिक कट्टरपंथी सेक्युलर गैंग और कई मीडिया चैनल 
फैक्ट चेकभ्रामक

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