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राहुल गांधी का पुतला जलाते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं की लुंगी में आग लगने का वीडियो भ्रामक है

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लोकसभा चुनाव के बीच सोशल मीडिया पर कुछ लोगों द्वारा बीच सड़क पर प्रदर्शन करते हुए एक पुतला फूंकने का वीडियो वायरल है। दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा राहुल गाँधी का पुतला फूंका जा रहा था। इसी दौरान उनकी लुंगी में आग लग गई। हालांकि हमारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक निकला।

कांग्रेस समर्थक जीतू बुरड़क ने एक्स पर इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, ‘कर्नाटक में भाजपा कार्यकर्ता राहुल गांधी का पुतला जला रहे थे तभी भाजपाइयों की लुंगी में आग लग गई’

कविश अजीज ने लिखा, ‘कर्नाटक में भाजपा कार्यकर्ता राहुल गांधी का पुतला जला रहे थे तभी भाजपाइयों की लुंगी में आग लग गई’

फिरदौस फिजा ने लिखा, ‘Karnataka में BJP कार्यकर्ता राहुल गांधी का पुतला जलारहे थे , तभी भाजपाइयों की लुंगी में आग लग गई , और वो सभी डांस करते हुए भाग खड़े हुए। कर बुरा तो हो बुरा’

अफरोज़ा खान ने लिखा, ‘कर्नाटक में राहूल का पुतला जलाते समय पाँच भाजपाइयों की लुंगी में आग लग गई! अब् राहूल जी के पुतले भी सबक सिखाने लग गए, विरोधियों को। देखें कैसे हुआ ये सब।’

वहीं समाजवादी प्रहरी, शिवराज यादव अब्दुल सलाम ने भी इसी दावे के साथ वीडियो शेयर किया है।

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फैक्ट चेक

दावे की पड़ताल के लिए हमने वीडियो के स्क्रीनशॉट को रिवर्स सर्च किया। इस दैरान यह वीडियो हमें 5 जुलाई 2012 को ‘एशियानेट न्यूज़’ के यूट्यूब चैनल पर मिला। मलयालम भाषा में अपलोड की गई इस वीडियो रिपोर्ट में वायरल वीडियो को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक ये घटना केरल के पतनमतिट्टा जिले में हुई थी। जहां केरल स्टूडेंट यूनियन (केएसयू) के कार्यकर्ता महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी के कुलपति के ख़िलाफ़ उनका पुतला जलाकर प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान कई कार्यकर्ता खुद आग की चपेट में आ गए थे।

पड़ताल में आगे हमें द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट भी मिली जिसके मुताबिक यह घटना 4 जुलाई 2012 की है। छात्र कथित तौर पर एमजी यूनिवर्सिटी के कुलपति द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे थे। आग की चपेट में आने से कुछ प्रदर्शनकारी घायल भी हुए थे, जिन्हें अस्पातल में भर्ती कराया गया था।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल से स्पष्ट है कि करीब 12 साल पुराने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। वायरल वीडियो कर्नाटक का नहीं, बल्कि केरल का है जहां केएसयू के कार्यकर्ताओं ने एमजी विश्वविद्यालय के चांसलर के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

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