सोशल मीडिया में एक अखबार की कटिंग वायरल है। इसके मुताबिक अब सही काम के लिए घूस लेना अपराध नहीं होगा। अखबार की कटिंग के केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा जा रहा है हालाँकि पड़ताल में पता चलता है कि यह कटिंग करीबन 9 साल पुरानी है, साथ ही ऐसा कोई कानून नहीं बनाया गया है।
फेक न्यूज पेडलर सदफ अफरीन ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘सही काम के लिए घूस देना अपराध के क्षेणी में नही आता है” अमृत काल मे घूस लेना देना अपराध नही माना जाएगा! गज़ब, तब आम जनता सरकारी कार्यालय में घूस देना जारी रखें! नही तो कल को ऐसा कानून भी बन सकता है, जब घूस न देने वालों को जेल में डालने का आदेश दिया जाएगा??’
"सही काम के लिए घूस देना अपराध के क्षेणी में नही आता है"
— Sadaf Afreen صدف (@s_afreen7) September 4, 2024
अमृत काल मे घूस लेना देना अपराध नही माना जाएगा!
गज़ब, तब आम जनता सरकारी कार्यालय में घूस देना जारी रखें!
नही तो कल को ऐसा कानून भी बन सकता है, जब घूस न देने वालों को जेल में डालने का आदेश दिया जाएगा?? pic.twitter.com/PKG8a5uXLn
कांग्रेस समर्थक कुणाल शुक्ला ने लिखा, ‘अमृत काल में अंबानी अडानी के चौक़ीदार का बस चले तो घूस देना अपराध नहीं होगा! जय जय श्रीराम’
अमृत काल में अंबानी अडानी के चौक़ीदार का बस चले तो घूस देना अपराध नहीं होगा!
— Kunal Shukla (@kunal492001) September 2, 2024
जय जय श्रीराम pic.twitter.com/DTi2r2ZAHv
कानपुर देहात कांग्रेस सेवादल ने लिखा, ‘अमृत काल “सही काम के लिए घूस देना अपराध के क्षेणी में नही आता है” अमृत काल मे घूस लेना देना अपराध नही माना जाएगा! गज़ब, तब आम जनता सरकारी कार्यालय में घूस देना जारी रखें! नही तो कल को ऐसा कानून भी बन सकता है, जब घूस न देने वालों को जेल में डालने का आदेश दिया जाएगा??
अमृत काल
— Kanpur Dehat Congress Sevadal (@SevadalKDH) September 4, 2024
"सही काम के लिए घूस देना अपराध के क्षेणी में नही आता है"
अमृत काल मे घूस लेना देना अपराध नही माना जाएगा!
गज़ब, तब आम जनता सरकारी कार्यालय में घूस देना जारी रखें!
नही तो कल को ऐसा कानून भी बन सकता है, जब घूस न देने वालों को जेल में डालने का आदेश दिया जाएगा?? pic.twitter.com/DDxKMbZ1MQ
जयदास ने लिखा, ‘नए कानून बनाने की बात कहने पर सवाल यह है कि क्या “सही काम के लिए घूस देना अब अपराध नहीं” का प्रावधान, समाज में भ्रष्टाचार को और बढ़ावा देने जैसा है? यह मान लेना कि घूस देकर काम कराना जायज़ है, व्यवस्था की जड़ों में फैले भ्रष्टाचार को वैधता देने जैसा है। क्या अब ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता की परिभाषाएं बदल गई हैं? अगर सही काम के लिए भी घूस देना अनिवार्य हो जाए, तो गलत कामों के लिए क्या दरवाजे नहीं खुलेंगे?’
नए कानून बनाने की बात कहने पर सवाल यह है कि क्या "सही काम के लिए घूस देना अब अपराध नहीं" का प्रावधान, समाज में भ्रष्टाचार को और बढ़ावा देने जैसा है? यह मान लेना कि घूस देकर काम कराना जायज़ है, व्यवस्था की जड़ों में फैले भ्रष्टाचार को वैधता देने जैसा है। क्या अब ईमानदारी और… pic.twitter.com/qG8pWArAE5
— Jaydas Manikpuri (@JayManikpuri2) September 2, 2024
मृगांका सिंह ने लिखा, ‘मीडिया – भ्रष्टाचार कैसे मिटेगा सर ? मोदी जी- भ्रष्टाचार का नाम बदलकर सदाचार कर देंगे’
मीडिया – भ्रष्टाचार कैसे मिटेगा सर ?
— मृगांका सिंह (Political Critic and Writer) (@reach2msingh) September 2, 2024
मोदी जी- भ्रष्टाचार का नाम बदलकर सदाचार कर देंगे pic.twitter.com/dpC40qtI4C
फैक्ट चेक
पड़ताल में हमने सम्बंधित कीवर्ड्स की मदद से गूगल सर्च किया तो NBT और आज तक की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। 17 Feb 2015 को प्रकाशित इन रिपोर्ट के मुताबिक लॉ कमीशन ने एक प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्तावित कानून में है कि अगर कोई कर्मचारी सही काम के लिए रिश्वत लेता है तो उसे दंड नहीं दिया जाएगा। इस प्रस्तावित कानून के प्रावधान में उन्हीं सरकारी कर्मचारियों को सजा दी जाएगी, जिन्होंने कोई सरकारी काम गलत तरीके से करने के बदले रिश्वत ली हो। सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि इसमें उन स्थितियों को नहीं ध्यान में रखा गया है, जो भारत में बेहद आम हैं। कई सरकारी कर्मचारी तो अपना काम ठीक ढंग से करने के लिए रिश्वत ले लेते हैं। कमीशन ने कहा है कि ऐसे हालात को देखते हुए प्रस्तावित कानून में उपाय किए जाने चाहिए।
अपनी पड़ताल में हमे लॉ कमीशन के इस प्रस्ताव को लागू करने से सम्बंधित कोई रिपोर्ट नहीं मिली। हालाँकि साल 2018 में आज तक और अमर उजाला पर प्रकाशित रिपोर्ट यह बताती है कि केंद्र की मोदी सरकार ने ‘भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक 1988’ के कई प्रावधानों में संशोधन के लिए ‘भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधित) विधेयक 2018’ को संसद के दोनों पर पास करवाया था। इस विधेयक में रिश्वत लेने के दोषियों पर जुर्माने के साथ साथ 3 से लेकर 7 साल तक जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। अब किसी बिचौलिए या तीसरे पक्ष के जरिए रिश्वत लेना भी अपराध माना जाएगा और दोषी को सजा दी जाएगी।
मोदी सरकार ने नए कानून के मुताबिक पुलिस अब ऐसे किसी भी सरकारी कर्मचारी की संपति कुर्क कर सकती है जिसे उसने गलत तरीके से अर्जित की हो हालांकि पुलिस को ऐसा करने से पहले कोर्ट का आदेश लेना होगा, साथ ही सरकारी अनुमति भी लेनी होगी। पुराने कानून में केंद्र या राज्य सरकार की अनुमति लिए बगैर सरकारी कर्मचारियों पर कोई केस नहीं चलाया जा सकेगा लेकिन संशोधित कानून के तहत उन सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को भी इस प्रावधान में लाया गया है, जिनके सेवाकाल के दौरान ऐसी घटना घटी हो।
इसके अलावा हमे फरवरी 2024 में दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट भी मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के आगरा में नगर निगम का लिपिक ने ‘सही काम के लिए घूस’ मांगी थी। लिपिक अमित शर्मा मकान नामांतरण को आनलाइन जमा शुल्क की रसीद में संशोधन के लिए पांच हजार रुपये मांग रहा था। जिसके बाद एंटी करप्शन की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा में मुकदमा भी दर्ज किया गया।
निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि वायरल अखबार की कटिंग 9 साल पुरानी है। ‘सही काम के लिए घूस लेना अपराध नहीं’ यह बस लॉ कमीशन का प्रस्ताव था। इसे लागू नहीं किया बल्कि साल 2018 में केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण कानून को सख्त बनाया था।