लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण का मतदान हो रहा है जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार समेत आठ राज्यों की 49 सीटों पर मतदान जारी है। इस बीच आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने एक चुनावी सभा में बयान दिया कि भारतीय जनता पार्टी ने गौमाता को काटने वाली कंपनी से चंदा लिया है। हालांकि हमारी पड़ताल में यह दावा गलत साबित हुआ है।
आम आदमी पार्टी उत्तरप्रदेश संजय सिंह का बयान X पर शेयर करते हुए लिखा, ‘जो प्रभु श्री राम के नाम पर चंदाचोरी का काम करते हैं उन चंदाचोरो को वोट देने का काम आप मत करना। भाजपाई गौमाता को काटने वाली कंपनी से चंदा लेते हैं इनको वोट देकर अपना वोट अपवित्र मत करना।‘
जो प्रभु श्री राम के नाम पर चंदाचोरी का काम करते हैं उन चंदाचोरो को वोट देने का काम आप मत करना।
— Aam Aadmi Party- Uttar Pradesh (@AAPUttarPradesh) May 19, 2024
भाजपाई गौमाता को काटने वाली कंपनी से चंदा लेते हैं इनको वोट देकर अपना वोट अपवित्र मत करना।
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संजय सिंह ने लिखा, ‘भाजपाई गौमाता को काटने वाली कंपनी से चंदा लेते हैं इनको वोट देकर अपना वोट अपवित्र मत करना।‘
भाजपाई गौमाता को काटने वाली कंपनी से चंदा लेते हैं इनको वोट देकर अपना वोट अपवित्र मत करना। pic.twitter.com/ZI4mFgSVHi
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) May 19, 2024
आप नेता संजय सिंह भारत समाचार की खबर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, ‘मैंने सच बोला है गौमाता को काटने वाली कंपनी से BJP चंदा लेती है अगर चुनाव आयोग का नोटिस मिलेगा तो साक्ष्यों के साथ जवाब दूँगा।‘
मैंने सच बोला है गौमाता को काटने वाली कंपनी से BJP चंदा लेती है अगर चुनाव आयोग का नोटिस मिलेगा तो साक्ष्यों के साथ जवाब दूँगा। https://t.co/0EOduuzdtX
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) May 19, 2024
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फैक्ट चेक
हमने मामले पड़ताल के लिए मामले से संबंधित न्यूज़ रिपोर्ट सर्च किया जिसके बाद हमें द क्विट की रिपोर्ट मिली। द क्विंट द्वारा प्रकाशित 22 मार्च 2024 की रिपोर्ट के अनुसार खुद को हलाल बोनलेस भैंस के मांस के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक बताने वाली अल्लाना ग्रुप से जुड़ी कंपनियों ने साल 2019 में 6 और साल 2020 में 1 बॉन्ड खरीदकर बीजेपी-शिवसेना को चंदा दिया। क्विंट की रिपोर्ट स्पष्ट रूप से उल्लेख करती है कि अलाना ग्रुप भैंस का मांस निर्यात करता है।
द क्विंट के अलावा, हमें लल्लनटॉप की 17 मार्च 2024 को प्रकाशित रिपोर्ट भी मिली। इस रिपोर्ट के अनुसार इलेक्शन कमीशन की सूची में अल्लाना संस प्राइवेट लिमिटेड (Allanasons Private Limited) और फ्रीगोरीफिको अल्लाना प्राइवेट लिमिटेड नाम की दो कंपनियां हैं। ये दोनों कंपनियां अल्लाना ग्रुप ऑफ कंपनीज का हिस्सा हैं। अल्लाना संस प्राइवेट लिमिटेड ने 2019 में 3 करोड़ रुपये का दान दिया जबकि फ्रीगोरीफिको अल्लाना प्राइवेट लिमिटेड ने 2019 और 2020 में चार करोड़ रुपये का दान किया। अल्लाना कोल्ड स्टोरेज ने भी 2019 में 1 करोड़ रुपये का योगदान दिया। द क्विंट के साथ ही लल्लनटॉप की रिपोर्ट भी स्पष्ट करती है कि अल्लाना संस प्राइवेट लिमिटेड भैंस के फ्रोजेन मांस, चिल्ड वैक्यूम पैक्ड भैंस का मांस, भैंस के जमे हुए अंदरूनी हिस्से, और भेड़-मेढ़े का मांस निर्यात करती हैं।
आगे हम अलाना ग्रुप की वेबसाईट पर गए। वेबसाईट के व्यापारिक खंड में उल्लेख किया गया है कि अलाना ग्रुप विश्वभर में 70 से अधिक देशों में फ्रोज़न हलाल बोनलेस भैंस का मांस निर्यात करने की सबसे बड़ी कंपनी है।
अलाना ग्रुप 1865 में स्थापित हुई थी। अलाना ग्रुप एक भारतीय कंपनी है जो खाद्य प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय, जैसे अन्य कई विभिन्न उद्योगों में शामिल है। यह भारत में मुख्य रूप से भैंस का मांस, के प्रसार का एक प्रसिद्ध और सबसे बड़ा निर्यातक माना जाता है। कंपनी फ्रोजन और चिल्ड मीट्स, फल और सब्जी के उत्पादों, कॉफी और मसालों का उत्पादन और निर्यात 85 से अधिक देशों में करती है।
इसके अलावा Only Fact की टीम ने अलाना कंपनी से संपर्क किया। हमारी टीम से बात करते हुए कंपनी ने स्पष्ट किया, ‘वे गाय का मांस निर्यात में शामिल नहीं हैं। उन्होंने इस बात को जोर दिया कि उनका विशेषज्ञता केवल भैंस के मांस के निर्यात में है और गाय के मांस के नहीं। हालांकि महाराष्ट्र में गाय का मांस पर प्रतिबंध है इसलिए ऐसे आरोपों बिल्कुल बेबुनियाद है।’
पिछले कुछ सालों में भारत द्वारा गाय का मांस निर्यात करने के दावे बार-बार उठे हैं। हालांकि 2019 में एक आरटीआई पूछताछ के जवाब में 1947 से 2018 तक भारतीय गाय प्रजातियों के बीफ निर्यात के डेटा की मांग की गई थी जिसमें स्पष्ट किया गया कि भारत गाय का मांस नहीं निर्यात करता है। जवाब में कहा गया था, “भारत सरकार द्वारा बीफ (गाय का मांस) का निर्यात अनुमति नहीं है, इसलिए कोई निर्यात तिथि उपलब्ध नहीं है।”
पाठक ध्यान दें कि जब बीफ की बात होती है तो इसका मतलब सिर्फ गोमांस नहीं होता। न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के मुताबिक अंग्रेजी में अलग-अलग तरह के मांस के लिए अलग शब्द हैं। जैसे भेड़ और बकरी के मांस के लिए मटन है, मुर्गे के मांस के लिए चिकन है इसी तरह से गाय के मांस के लिए बीफ शब्द इस्तेमाल होता है, जो फ्रेंच शब्द ब’अफ़ से लिया गया है लेकिन मटन की तरह भैंस, बैल और इस तरह के कई पशुओं के मांस को भी बीफ ही कहते हैं। एक बार फिर जान लीजिए कि सिर्फ गाय के मांस को बीफ नहीं कहा जाता। कई तरह के जानवरों के मांस को बीफ कहते हैं।
बीबीसी ने साल 2014 में प्रकाशित अपनी एक रिपोर्ट में भी बताया है कि भारत से होने वाले बीफ के निर्यात को लेकर काफी हंगामा रहा है और मांग उठती रही है कि इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाए लेकिन भारत से निर्यात होने वाला बीफ़ दरअसल भैंस का मांस है, गोमांस नहीं।
निष्कर्ष: आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह का बयान गलत है। चुनाव आयोग द्वारा जारी इलेक्टोरल बॉन्ड की सूची के अनुसार भारतीय जनता पार्टी ने अलाना ग्रुप से चंदा लिया है, जो वास्तव में भैंस के मांस का कारोबार करती है।
दावा | भारतीय जनता पार्टी गाय काटने वाली कंपनी से चंदा लिया है |
दावेदार | संजय सिंह, और आप |
फैक्ट चेक | गलत |
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