गृहमंत्री अमित शाह के स्वतंत्रता सेनानी और हिंदुत्व प्रणेता वीर सावरकर पर दिए गए बयान पर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल है। इस पोस्ट में लिखा जा रहा है कि अमित शाह ने कहा 1857 की क्रांति सावरकर के बिना संभव नहीं थी जबकि सावरकर का तो जन्म ही 1883 में हुआ था। हालाँकि हमारी पड़ताल में पता चलता है कि अमित शाह के बयान को गलत संदर्भ के साथ वायरल किया गया है।
मनीष ने इंडिया टुडे की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘लेकिन, उस जोकर सावरकर का जन्म 1883 में हुआ था। क्या उन्होंने समय यात्रा की थी??’
कांग्रेस समर्थक डॉ. मीता ने लिखा, ‘अब सावरकर ने अपने जन्म से पहले ही 1857 के विद्रोह को ऐतिहासिक बना दिया’
वामपंथी सलिल त्रिपाठी ने लिखा, ‘चूँकि सावरकर का जन्म 1883 में हुआ था, क्या यह व्यक्ति बता सकता है कि ऐसा कहने से पहले उसने क्या पीया था? या वह भारत में राष्ट्रविरोधी है?’
कांग्रेस समर्थक अजय कामथ ने लिखा, ‘सावरकर का जन्म 1883 में हुआ था। जब वह तीस साल के थे तो उन्होंने समय यात्रा की, 1857 में वापस गए, कुछ जादू किया और फिर वापस चले गए। लिब्रांडस को यह समझ नहीं आएगा’
पड़ताल में हमने सम्बन्धित कीवर्ड्स की मदद से इण्डिया टुडे की वायरल रिपोर्ट को तलाशा। इस रिपोर्ट के मुताबिक वाराणसी में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, अमित शाह ने कहा, “अगर वीर सावरकर नहीं होते, तो 1857 का विद्रोह इतिहास नहीं बनता, हम इसे अंग्रेजों के नजरिए से देखते।” इंडिया टुडे की रिपोर्ट में समाचार एजेंसी ANI का एक्स पोस्ट भी शामिल है। इस पोस्ट के मुताबिक वाराणसी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वीर सावरकर नहीं होते तो 1857 का विद्रोह इतिहास नहीं बनता, हम इसे अंग्रेजों की नजर से देखते। वीर सावरकर ही थे जिन्होंने 1857 के विद्रोह को नाम दिया प्रथम स्वतंत्रता संग्राम।
इसके बाद हमे बीजेपी के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल द्वारा 17 अक्टूबर 2019 का वीडियो मिला। इस वीडियो में अमित शाह ने कहा, “अगर वीर सावरकर न होते तो 1857 की क्रांति इतिहास न बनती। हम इसे भी अंग्रेजों के नज़रिए से ही देखते। वीर सावरकर ने 1857 के विद्रोह को पहले स्वतंत्रता संग्राम का नाम दिया था।”
अपनी पड़ताल में हमे दैनिक जागरण की रिपोर्ट भी मिली। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 1857 में स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी थी लेकिन अंग्रेजों ने इसे सिपाही विद्रोह कहकर छुपा दिया। विनायक दामोदर सावरकर ने 1857 की क्रांति पर अपनी कालजयी पुस्तक ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ में इस क्रांति को भारत का ‘प्रथम राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम’ का नाम दिया। यह पुस्तक पहली बार 1909 में प्रकाशित हुई। उस समय विद्वत जगत में यह स्थापित हो चुका था कि 1857 की क्रांति एक सैनिक विद्रोह या अधिकतम एक भारतीय विद्रोह था। अधिकांश अंग्रेज इतिहासकारों और प्रशासकों द्वारा इसे इसी रूप में प्रस्तुत किया जा रहा था।
निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि अमित शाह 1857 की क्रांति के लिए सावरकर को श्रेय नहीं दे रहे हैं बल्कि इस क्रांति को ‘भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम’ का नाम देने के लिए उन्हें श्रेय दे रहे हैं। अमित शाह सावरकर की किताब का जिक्र कर रहे हैं।
दावा | अमित शाह ने कहा 1857 की क्रांति सावरकर के बिना संभव नहीं थी जबकि सावरकर का तो जन्म ही 1883 में हुआ था। |
दावेदार | मनीष, सलिल त्रिपाठी समेत अन्य |
फैक्ट | भ्रामक |
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