धर्म

वाल्मीकि समाज को मैरिज हॉल न देने के मामले में आरोपी सवर्ण नहीं, मुस्लिम समुदाय से हैं

सोशल मीडिया पर एक पत्र वायरल हो रहा है। इस पत्र के साथ दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के बदायूं में वाल्मीकि समाज की बेटी का विवाह होना है लेकिन इसके लिए सवर्णों ने मैरिज हॉल नहीं दिया।

सूरज पाल जाटव ने लिखा, ‘यह घटना मेरे विधानसभा की है उत्तर प्रदेश के जिला बदायूं में वाल्मीकि समाज के व्यक्ति की बेटी की शादी के लिए मैरिज हॉल नहीं मिल रहा है तो जाटव समाज ने कलेक्टर को पत्र लिखा है। वर्गीकरण का समर्थन करने वाले वाल्मीकि के वंशजों को मैरिज हॉल नहीं दे सकते क्या? अब दिखाओ सवर्ण वाल्मीकि एकता?एक रहोगे तो नेक रहोगे बटेंगे तो पिटेंगे।’

पवन ने लिखा, ‘वाल्मीकि जाति से होने के कारण बदायूं में अच्छन लाल को बेटी की शादी के लिए मैरिज हॉल नहीं दिया जा रहा। कुछ दिन पहले कुछ सवर्ण लोग जाटव व पासी जाति के खिलाफ वाल्मीकि समुदाय को भड़का रहे थे। क्या आज यह सवर्ण  वाल्मीकि जाति को न्याय दिलाने आगे आएंगे? आज कितने ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया, यादव,जाट आदि वाल्मीकि समुदाय के लिए आवाज उठा रहे हैं? वाल्मीकि समुदाय के मेरे भाइयों लो बन लो कट्टर हिन्दू। कर लो एससी-एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण एवं क्रीमी लेयर का समर्थन।’

सुदामा ने लिखा, ‘Up के जिला बदायूं के सहसवान में वाल्मिकी समाज की बेटी की शादी के लिए कोई मैरिज हाल देने को तैयार नहीं।पर ये कैसे हो सकता हैं ,रोहिणी दीदी ने तो सवर्ण बहुजन एकता स्थापित कर दी थी।’.

इसके अलावा इस दावे को अजीत, संदीप, सूरज, सागर और तरुण ने शेयर किया।

फैक्ट चेक

पड़ताल में हमने इस मामले में सम्बंधित कीवर्ड्स को गूगल सर्च किया तो दैनिक भास्कर पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक यह मामला बदायूं के सहसवान थाना क्षेत्र का है। अच्छन लाल की बेटी की शादी के लिए हॉल बुक करने की कोशिश की गई थी, लेकिन जब हॉल मालिकों से संपर्क किया गया तो जाति पूछने के बाद मना कर दिया गया।

इसके बाद हमने वायरल शिकायत पत्र पर गौर किया। इस पत्र में चार मैरिज हॉल सबा, इकबाल, नारायण, तुबा का जिक्र है। वायरल पत्र पर हमे पीड़ित का मोबाइल नम्बर भी मिला, इस नम्बर से सम्पर्क करने पर पीड़ित अच्छन के बेटे अरुण से बात हुई। अरुण ने बताया कि इन चार मैरिज हॉल के तीन मुस्लिम और एक हिन्दू स्वामी है। हालाँकि इन चारों हॉल को तीन मुस्लिम मैनेजर संभालते हैं। अरुण ने बताया कि सबा और नारायण को एक ही शख्स संभालता है। जबकि इकबाल और तुबा की जिम्मेदारी दो अलग अलग शख्स पर हैं।

अरुण ने बताया कि हॉल बुक के लिए उन्होंने इन्ही तीन मैनेजर से सम्पर्क किया था लेकिन जाति पूछने के बाद उन्होंने मना कर दिया। अरूण का आरोप है कि इससे पहले भी कुछ लोगों के साथ इसी तरह का व्यव्हार किया गया है।

दावासवर्णों ने बाल्मीकि समाज को मैरिज हॉल नहीं दिया
दावेदारसूरजपाल, पवन, अजीत समेत अन्य
निष्कर्षइस प्रकरण में मैरिज हॉल के मैनेजर सवर्ण नहीं, मुस्लिम समुदाय से हैं
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