सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोग भगवा झंडा लेकर एक शौचालय पर लगे बैनर को तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो को साझा करते हुए दावा किया जा रहा है कि हिंदू संगठन सामूहिक शौचालय में अब मंदिर खोज रहे हैं। इस वीडियो के जरिए हिंदू धर्म का अपमान करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि हमारी जांच में यह दावा भ्रामक साबित हुआ है।
दिव्या कुमारी ने लिखा, ‘अब इस शौचालय मे भगवा झंडा लगा कर कौनसा मंदिर ढूंढ़ रहे हो अंधभक्तों??’
मीनल सुल्तान ने लिखा, ‘औरंगाबाद : RSS कार्यकर्ताओं ने महिला शौचालय के बोर्ड को तोड़ कर.. शौचालय पर भगवा झंडा फहरा दिया.’
इंस्टाग्राम यूजर तारिक बंदा ने लिखा, ‘ अब यहां किस देवता का मंदिर निकलेगा. शायद यहां की खुदाई का सर्वे होने वाला है कुछ दिन बाद.’
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वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने वायरल वीडियो के की-फ्रेम का रिवर्स इमेज सर्च किया। इसके बाद हमें टाइम्स ऑफ इंडिया की 21 मार्च 2023 की एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के अनुसार, ‘सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें दक्षिणपंथी समूह के लोग महिलाओं के सार्वजनिक शौचालय से ‘औरंगाबाद’ का साइन बोर्ड हटाते हुए नजर आ रहे हैं।’
रिपोर्ट में बताया गया कि हिंदू समाज के लोगों ने संभाजीनगर में एक शौचालय पर ‘औरंगाबाद’ लिखा हुआ देखा, जिसके बाद उन्होंने बैनर को फाड़कर और गिरा दिया। इस घटना को लेकर संभाजीनगर पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
पड़ताल के दौरान हमें अमर उजाला की 16 सितंबर 2023 की रिपोर्ट भी मिली। इसमें बताया गया कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद जिलों के नाम बदलकर क्रमशः छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव करने की अधिसूचना जारी की है। राजस्व विभाग की ओर से शुक्रवार रात जारी अधिसूचना में कहा गया कि सुझावों और आपत्तियों पर विचार करने के बाद यह फैसला लिया गया है। रिपोर्ट में आगे बताया गया कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने का निर्णय 29 जून 2022 को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार की अंतिम कैबिनेट बैठक में लिया गया था। हालांकि अगले ही दिन शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि नाम बदलने का यह फैसला अवैध है क्योंकि यह निर्णय राज्यपाल द्वारा विधानसभा में बहुमत साबित करने के निर्देश के बाद लिया गया था।
इसके बाद शिंदे सरकार ने जुलाई 2022 में औरंगाबाद और उस्मानाबाद शहरों का नाम बदलकर क्रमशः छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव करने के लिए कैबिनेट मंजूरी दे दी। एमवीए सरकार ने जहां औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर किया था, वहीं शिंदे सरकार ने उसमें ‘छत्रपति’ शब्द जोड़ दिया।
दावा | हिंदू समाज शौचालय में मंदिर ढूंढ़ रहा है। |
दावेदार | सोशल मीडिया यूजर्स |
निष्कर्ष | यह दावा भ्रामक है। असल में, हिंदू समाज ने शौचालय पर ‘संभाजीनगर’ के स्थान पर ‘औरंगाबाद’ लिखे जाने पर आपत्ति जताई थी। |
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