सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक व्यक्ति चीतों को पानी पिलाते हुए दिखाई दे रहा है। इस वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि एमपी की भाजपा सरकार ने जानवरों के प्रति दया भाव रखने वाले उस कर्मचारी को निलंबित कर दिया, जिसने इन चीतों को पानी पिलाया था। हालांकि, हमारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक पाया गया है।
अखिलेश यादव ने लिखा, ‘ भाजपा की सत्ता की प्यास के आगे और कोई प्यास महत्त्व नहीं रखती है। हृदयहीन भाजपा को मन में दयाभाव रखनेवाले लोग पसंद नहीं हैं, इसीलिए जिस कर्मचारी ने प्यासे जानवरों को पानी पिलाया, उसीको भाजपा सरकार ने निलंबित कर दिया। दयावान निलंबित कर्मचारी की तुरंत बहाली हो और जिन्होंने उसे ‘ऊपरवालों’ के इशारे पर निलंबित किया है, स्वयं उनको ही निलंबित किया जाए।सच्चाई ये है कि भाजपा के शीर्ष लोग अपनी इस पोल के खुलने से परेशान हैं कि जानवरों को धूमधाम से ले तो आए पर प्रचार पाने के बाद, अब पानी तक के लिए तरसा दिया है। मतलब निकल गया है तो… बाक़ी जनता समझदार है।’

न्यूज़ 24 ने लिखा, ‘चीतों को पानी पिलाने वाले शख़्स को नौकरी से सस्पेंड किया गया. वन विभाग ने चीता मित्र को नौकरी से हटाया. मामला मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान का है.’
चीतों को पानी पिलाने वाले शख़्स को नौकरी से सस्पेंड किया गया
— News24 (@news24tvchannel) April 7, 2025
◆ वन विभाग ने चीता मित्र को नौकरी से हटाया
◆ मामला मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान का है #Cheetah | Cheetah | Madhya Pradesh Kuno National Park pic.twitter.com/rodAhX05Fa
इसके अलावा इस दावे को आशीष राय और ज्ञान प्रकाश यादव ने किया.
फैक्ट चेक
वायरल हो रहे दावे की जांच के लिए हमने मामले से संबंधित कीवर्ड्स की मदद से गूगल पर सर्च किया। इस दौरान हमें दैनिक भास्कर में 8 अप्रैल 2025 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के अनुसार यह घटना 4 अप्रैल की सुबह की है। कूनो नेशनल पार्क की अगरा रेंज में चीता ‘ज्वाला’ और उसके चार शावक मानव बस्ती के पास देखे गए थे। उन्हें वापस जंगल की ओर भेजने के लिए अतिरिक्त फील्ड स्टाफ को बुलाया गया। इस दौरान, ड्यूटी पर तैनात एक निजी ड्राइवर ने स्टील की परात में पानी भरकर चीतों को पिलाया और काफी देर तक उनके पास ही खड़ा रहा।

दैनिक भास्कर ने आगे बताया कि श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में चीतों को पानी पिलाने वाले ड्राइवर सत्यनारायण गुर्जर उर्फ सत्तू को पार्क प्रबंधन द्वारा सेवा से हटा दिया गया है। साथ ही ट्रैकिंग टीम के प्रभारी और अन्य सदस्यों को प्रोटोकॉल उल्लंघन के लिए नोटिस भी जारी किया गया है। पार्क प्रशासन का कहना है कि ट्रैकिंग टीम को पहले से ही चीतों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने और उनकी सुरक्षा से जुड़े दिशा-निर्देशों की विशेष ट्रेनिंग दी गई थी लेकिन स्टाफ ने न केवल इन नियमों की अनदेखी की, बल्कि इस पूरी घटना का वीडियो बनाकर उसे सार्वजनिक भी कर दिया। प्रबंधन ने इसे नियमों का स्पष्ट और गंभीर उल्लंघन माना है।
जांच के दौरान हमें आजतक में 7 अप्रैल 2025 को प्रकाशित रिपोर्ट भी मिली। इसके अनुसार यह घटना 4 अप्रैल की सुबह की ही है, जब चीता ज्वाला और उसके शावक कूनो नेशनल पार्क की सीमा के पास खेतों में घूमते हुए देखे गए थे। कूनो प्रबंधन के नियमों के अनुसार, ऐसे मामलों में निगरानी टीम को चीतों को जंगल में वापस भेजने की कार्रवाई करनी होती है, ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष से बचा जा सके। चूंकि चीते खुले इलाकों में धूप में भटक रहे थे और बस्ती की ओर बढ़ रहे थे, इसलिए उन्हें वापस लुभाने के लिए पानी देने का निर्णय लिया गया। इस दौरान, वन विभाग के लिए किराए पर ली गई ट्रैकिंग गाड़ी के ड्राइवर सत्यनारायण गुर्जर ने ज्वाला और उसके शावकों को पानी पिलाया। हालांकि, वह इस दौरान चीतों के बहुत करीब चला गया, जो स्पष्ट रूप से सुरक्षा प्रोटोकॉल के खिलाफ था।
कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ ने कहा, ‘यह वीडियो हमारे संज्ञान में आया है और इसकी जांच जारी है। हमने किसी स्थायी कर्मचारी को न तो निलंबित किया है और न ही हटाया है। यह ड्राइवर एक अनुबंधित गाड़ी का कर्मचारी था, जिसे नियमों के उल्लंघन के चलते हटाया गया।‘ प्रबंधन का कहना है कि चीतों से उचित दूरी बनाए रखना और उन्हें संभालने का कार्य केवल प्रशिक्षित एवं अधिकृत कर्मियों को ही सौंपा जाता है। ड्राइवर ने न सिर्फ यह नियम तोड़ा, बल्कि वीडियो बनाकर उसे सार्वजनिक भी कर दिया, जिसे अनुशासनहीनता माना गया है। कूनो प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि चीतों की सुरक्षा और प्रोटोकॉल का पालन सर्वोपरि है, और इस तरह की लापरवाही को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पार्क प्रबंधन पहले ही आसपास के ग्रामीणों को चेतावनी दे चुका है कि वे चीतों से दूर रहें और उन्हें कोई चीज न दें। ऐसे में अपने ही स्टाफ की इस हरकत को प्रबंधन ने अत्यंत गंभीरता से लिया है।
गौरतलब है कि चीतों की सुरक्षा भारत के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत आती है। इस अधिनियम की अनुसूची-1 (Schedule I) में चीतों को शामिल किया गया है, जिससे उन्हें सर्वोच्च स्तर का संरक्षण प्राप्त होता है। इसके अंतर्गत चीतों का शिकार और व्यापार पूरी तरह से प्रतिबंधित है, और उनके संरक्षण के लिए विशेष रूप से संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना की जा सकती है।
दावा | भाजपा सरकार ने एक कर्मचारी को प्यासे चीतों को पानी पिलाने के कारण नौकरी से निलंबित कर दिया। |
दावेदार | अखिलेश यादव, न्यूज 24 और अन्य सोशल मीडिया यूजर्स |
फैक्ट चेक | वायरल वीडियो में दिख रहे व्यक्ति को चीतों को पानी पिलाने के कारण नहीं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण से जुड़े प्रोटोकॉल के उल्लंघन और चीतों के अत्यधिक पास जाकर वीडियो बनाने जैसे अनुशासनहीन कार्यों के कारण हटाया गया है। |