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हरियाणा सरकार ने बीफ खाने की सलाह दी? 9 साल पुरानी खबर भ्रामक दावे के साथ वायरल

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सोशल मीडिया पर एक अख़बार की कटिंग वायरल हो रही है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि हरियाणा सरकार ने लोगों को बीफ़ खाने की सलाह दी है। हालांकि, हमारी जाँच-पड़ताल में यह दावा भ्रामक साबित हुआ है।

कुणाल शुक्ला ने लिखा, ‘यह लोग मंदिर के नाम से चंदा खाएँगे,फिर भी हिंदू कहलायेंगे? यह लोग बीफ कंपनियों से चंदा हज़म कर जाएँगे,फिर भी हिंदू कहलायेंगे? यह लोग राम लला को टपकती छत के नीचे बैठायेंगे,फिर भी हिंदू कहलायेंगे? हरियाणा के हिंदू भाइयों वोट देते समय बीफ़ खाने की सलाह देने वालों का चरित्र और चेहरा ज़रूर याद कर लेना!‘

इस्लामिक कट्टरपंथी अली सोहराब ने लिखा, ‘आपको याद है 2015 में हरियाणा सरकार बीफ खाने के फायदे को बताई थी और इम्यूनिटी बढ़ाने हेतु बीफ खाने की सलाह भी दी थी!‘

कांग्रेस समर्थक अशोक शर्मा ने लिखा, ‘हरियाणा के मेरे भाइयों और बहनों बीफ खाने की सलाह देने वालों के चेहरे और चरित्र दोनो को पहचान कर ही वोट देने जाना।‘

कांग्रेस कार्यकर्ता किशन आल देसाई ने लिखा, ‘यह लोग मंदिर के नाम से चंदा खाएँगे,फिर भी हिंदू कहलायेंगे? यह लोग बीफ कंपनियों से चंदा हज़म कर जाएँगे,फिर भी हिंदू कहलायेंगे? यह लोग राम लला को टपकती छत के नीचे बैठायेंगे,फिर भी हिंदू कहलायेंगे? हरियाणा के हिंदू भाइयों वोट देते समय बीफ़ खाने की सलाह देने वालों का चरित्र और चेहरा ज़रूर याद कर लेना!‘

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फैक्ट चेक

दावे की जांच के लिए हमने मामले से जुड़े कीवर्ड का उपयोग करके गूगल सर्च किया, जिसमें हमें 29 अक्टूबर 2015 को आजतक द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग की एक मैगजीन में बीफ को आयरन के प्रमुख स्रोतों में से एक बताया गया था। पत्रिका “शिक्षा सारथी” के सितंबर अंक में “आयरन: ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत” शीर्षक के तहत आयरन किन-किन चीजों से प्राप्त होता है, इसका उल्लेख किया गया था। यह पत्रिका राज्य के सभी सरकारी स्कूलों के छात्रों और शिक्षकों के बीच वितरित की जाती है। इसमें स्कूल के बच्चों, खानपान, अध्यापन, प्रेरणादायक कहानियों और स्कूलों की उपलब्धियों का ब्यौरा भी शामिल रहता है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस विवाद के बाद शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने पत्रिका के संपादक को पद से हटाने का आदेश दिया था। उनका कहना था कि पत्रिका में प्रकाशित यह लेख एक वैज्ञानिक रिपोर्ट पर आधारित था, लेकिन इसका सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। शिक्षा विभाग के अनुसार, राज्य के लगभग 14,500 सरकारी स्कूलों में यह पत्रिका वितरित की जाती है, और इसमें सामग्री का योगदान स्वतंत्र लेखक और शिक्षक करते हैं।

Source- Aajtak

इसके अलावा, 30 अक्टूबर 2015 को अमर उजाला में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, ‘सरकारी मैगजीन में बीफ पर छपे लेख के कारण संपादक को बर्खास्त कर दिया गया। इस मामले में मैगजीन की संपादक डॉ. देवयानी को उनके पद से हटा दिया गया था, क्योंकि उन्होंने बीफ को आयरन का स्रोत बताया था। जब यह मामला मीडिया में सामने आया, तो यह सुर्खियों में आ गया और तूल पकड़ लिया।‘

निष्कर्ष: जांच से यह स्पष्ट होता है कि यह मामला 9 साल पुराना है और हरियाणा सरकार ने कभी भी बीफ खाने की सलाह नहीं दी थी। पत्रिका के संपादक ने स्वतंत्र रूप से एक लेख प्रकाशित किया था जिसमें बीफ को आयरन के स्रोत के रूप में उल्लेख किया गया था। इसके बाद, सरकार ने संपादक को बर्खास्त कर दिया था।

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