प्रयागराज महाकुंभ 2025 में बीती रात अमावस्या के अवसर पर एक दर्दनाक हादसा हो गया। भारी भीड़ में भगदड़ मच गयी, इस हादसे में अब तक 40 लोगों की मृत्यु हो चुकी है जबकि 100 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। इस हृदयविदारक घटना के बाद विपक्षी समर्थकों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर राजनीतिक पोस्ट साझा की जाने लगीं। लोग दावा कर रहे हैं कि वर्ष 2013 में जब अखिलेश यादव की सरकार थी और कुंभ मेले की जिम्मेदारी सपा नेता आज़म खान के पास थी तब ऐसी कोई दुर्घटना नहीं हुई थी। हालांकि हमारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक पाया गया है।
शिवम यादव ने लिखा, ‘2013 में कुंभ में जो व्यवस्थित ढंग की व्यवस्था का इंतजाम एक मुस्लिम ने करा दिया ,आज 2025 कुंभ में उस तरह का इंतजाम एक हिन्दू नहीं करा पाया।’
2013 में कुंभ में जो व्यवस्थित ढंग की व्यवस्था का इंतजाम एक मुस्लिम ने करा दिया ,
— Shivam Yadav (@ShivamYadavjii) January 29, 2025
आज 2025 कुंभ में उस तरह का इंतजाम एक हिन्दू नहीं करा पाया।pic.twitter.com/L4GGpz2Tsu
ज़ाकिर अली त्यागी ने लिखा, 2013 में कुंभ मेले के प्रभारी तत्कालीन मंत्री आज़म खान थे और उन्होंने कुंभ मेले में जो सुविधाएं दी थी आज उसकी प्रशंसा महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी महाराज भी कर रहे है, क्योंकि आज स्वामी कुंभ मेले में जो असुविधाओं का सामना कर रहे है उनके मुताबिक़ उन्होंने कभी ऐसा फेस नही किया! सरकार इस कुंभ मेले में 7000 करोड़ रुपये ख़र्च कर रही है यदि उसके बावज़ूद भी सुविधाएं नही मिल रही तो सवाल उठने और उठाने लाज़मी है, अफ़सोस कम ख़र्च में ज़्यादा सुविधाएं देने वाला टोपी वाला नेता पिछले 4 सालों से बदले की राजनीति का शिकार होने के कारण जेल में क़ैद है!
2013 में महाकुंभ मेले के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री आज़म खान प्रभारी थे, उस वक़्त बजट भी पानी की तरह नही बहाया गया था, जो बजट था उससे श्रद्धालुओं को आज़म खान ने सुविधाएं दी और एक भी व्यक्ति को खरोंच तक नही आने दी, अफ़सोस उस नेता को जेल में रखा गया हुआ है! pic.twitter.com/jRGwUbxuqw
— Zakir Ali Tyagi (@ZakirAliTyagi) January 29, 2025
समाजवादी मंथन ने लिखा, ‘2013 में आजम खान ने महाकुंभ की व्यवस्था में ईमानदारी और मेहनत से काम किया था । वह खुद अधिकारियों के साथ जायजा लेते थे। योगी को उनसे सीखना चाहिए कि कुंभ की व्यवस्था कैसे की जाती है।’
2013 में आजम खान ने महाकुंभ की व्यवस्था में ईमानदारी और मेहनत से काम किया था । वह खुद अधिकारियों के साथ जायजा लेते थे।
— Samajwadi मंथन (@SamajwadManthan) January 29, 2025
योगी को उनसे सीखना चाहिए कि कुंभ की व्यवस्था कैसे की जाती है। pic.twitter.com/Q4p3u2wV9n
दिनेश कुशवाहा ने लिखा, ‘2013 में कुंभ में जो व्यवस्थित ढंग की व्यवस्था का इंतजाम एक मुस्लिम ने कर दी #Parasakthi आज 2025 कुंभ में उस तरह का इंतजाम एक हिन्दू नहीं करा पाया।’
2013 में कुंभ में जो व्यवस्थित ढंग की व्यवस्था का इंतजाम एक मुस्लिम ने कर दी #Parasakthi
— Dinesh kushwaha (@Dineshk8853) January 29, 2025
आज 2025 कुंभ में उस तरह का इंतजाम एक हिन्दू नहीं करा पाया। pic.twitter.com/DMTBweuLTX
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फैक्ट चेक
वायरल दावे की पड़ताल करने के लिए हमने मामले से संबंधित की-वर्ड्स की मदद से गूगल सर्च किया। जिसके बाद हमें दैनिक जागरण द्वारा प्रकाशित 26 जनवरी 2013 की रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक कुंभ मेला क्षेत्र में 25 जनवरी 2013 को सेक्टर 11 के एक पंडाल में आग लग गई। गैस सिलेंडर से लगी इस आग में आधा दर्जन टेंट जलकर खाक हो गए और करीब दो दर्जन कल्पवासी झुलस गए। इनमें से सात लोगों की हालत गंभीर बताई गई थी। इस घटना से मेला क्षेत्र में अफरातफरी मच गई और आग से उठे धुएं ने लोगों को काफी परेशान किया। इस हादसे में लाखों का नुकसान हुआ था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि आग के बीच फंसे श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। हड़बड़ी में दो दर्जन से अधिक लोग आग की चपेट में आ गए। आग लगने के पंद्रह मिनट बाद फायर ब्रिगेड और पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं। चार दमकल गाड़ियों की मदद से पानी डाला जाने लगा। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग की लपटों पर काबू पाया जा सका।
पड़ताल में आगे हमें वन इंडिया और आज तक द्वारा प्रकाशित 14 फरवरी 2013 की रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक, मौनी अमावस्या के दिन जब श्रद्धालुओं की भारी भीड़ कुंभ मेले में उमड़ी, तो इलाहाबाद रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या 6 पर जाने वाले ओवरब्रिज पर भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में 37 लोगों की मौत हो गई थी।
इस बड़े हादसे की नैतिक जिम्मेदारी’ लेते हुए अगले दिन कुंभ मेले के प्रभारी आजम खान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उन्होंने इस हादसे के लिए रेलवे प्रशासन की चूक को जिम्मेदार ठहराया था। राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आजम खान का इस्तीफा मंजूर नहीं किया था।
पड़ताल में आगे हमें प्रभात खबर और इंडिया टुडे द्वारा प्रकाशित जुलाई 2014 की रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक, जब श्रद्धालु कुंभ मेले में आस्था की डुबकी लगा रहे थे, तब कुंभ मेला प्रशासन भ्रष्टाचार में डूबा हुआ था। रिपोर्ट में बताया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से दिए गए फंड से ही पूरा मेला संपन्न कर दिया जबकि अखिलेश सरकार को आयोजन पर 70% धनराशि खर्च करनी थी। कैग की रिपोर्ट के अनुसार:
- 134.83 करोड़ रुपये खर्च नहीं हुए।
- 1,141.63 करोड़ रुपये कुंभ मेले में केंद्र सरकार के खर्च हुए।
- 1,017 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए।
- कुंभ मेले के आयोजन में 10.57 करोड़ रुपये ही राज्य सरकार ने खर्च किए।
- नियम के मुताबिक, राज्य सरकार को 70 और केंद्र को 30 प्रतिशत खर्च करना था।
- मेला शुरू होने तक 59 प्रतिशत निर्माण कार्य और 19 प्रतिशत आपूर्ति कार्य पूरे ही नहीं हुए।
- मेला प्रशासन ने 8.72 करोड़ रुपये से दो घाटों का निर्माण कराया जो कुंभ मेले के काम से संबंधित थे ही नहीं।
- 111 निर्माण कार्यो में से 81 में तकनीकी स्वीकृति नहीं ली गई।
- सड़कें चौड़ी करने का काम 57.41 करोड़ रुपये और उनकी मरम्मत के 46.88 करोड़ रुपये बिना काम का परीक्षण किए ही दे दिए गए।
- 9.01 करोड़ की सामग्री बिना जरूरत के खरीदी गई।
- मोबिलाइजेशन और मशीनरी के एडवांस भुगतान के अलावा 23 ठेकेदारों को 4.65 करोड़ रुपये सुरक्षित एडवांस दे कर अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
- ट्रैक्टरों की लॉगबुक की जांच में पाया गया कि दो ट्रैक्टर एक ही समय में दो स्थानों पर काम कर रहे थे।
- 30 मजदूर एक ही समय में दो स्थानों पर लगाए गए दिखाए गए।
- ट्रैक्टरों की आपूर्ति के अनुबंधों में सभी टैक्स शामिल थे. इसके बावजूद दो ठेकेदारों को 1.30 लाख और 3.09 लाख रुपए सेवाकर का अलग से भुगतान किया गया।
- शौचालय की कमी होने की वजह से एक दिन में औसतन 900 लोगों ने एक शौचालय का इस्तेमाल किया. कई स्थानों पर देखा गया कि पुरुष और महिला शौचालयों के बीच विभाजन दीवार नहीं थी।
- 50 फीसदी कल्पवासियों को ही बीपीएल कार्ड उपलब्ध कराए गए। इनको भी राशन कार्ड तब मिले जब मेले की चार पावन तिथियां बीत चुकी थीं। उन्हें कम दरों पर खाद्य सामग्री उपलब्ध नहीं हो सकी।
- पेयजल के लिए लगाए गए नलों से हर हफ्ते पानी के नमूने लिए जाने थे. 201 में से महज छह नलकूपों के सिर्फ छह नलों से ही नमूने लिए गए।
- स्नान घाटों पर कपड़े बदलने के लिए चेंच रूम नहीं बनाए गए।
- कई पैंटून पुलों पर जल पुलिस और एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं थी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कुंभ के आयोजन में लगे अफसरों ने कागजों में एक ही वक्त में कई मजदूरों को दो-दो जगह काम करते हुए दिखाया। ट्रैक्टरों से कराए गए कार्यों मे भी इसी तरह से धांधली की गई। कैग की पड़ताल में एक नंबर के ट्रैक्टर से एक साथ दो जगह काम कराने का भुगतान किया जाना पाया गया। कैग ने मेले में सड़क चौड़ी करने और सड़क की मरम्मत से लेकर घाटों के निर्माण तथा भीड़ के नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग कराने के काम में घपला पाया।
दावा | 2013 में अखिलेश सरकार के दौरान कुंभ मेले का आयोजन सबसे उत्तम था. एक भी इंसान को खरोंच तक नहीं आई थी. |
दावेदार | सोशल मीडिया यूजर्स |
निष्कर्ष | हमारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक पाया गया कि 2013 के कुंभ मेले में कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ था। हकीकत यह है कि मौनी अमावस्या पर भगदड़ में 37 लोगों की मौत हुई थी. इसके अलावा, मेले के दौरान आगजनी की घटना भी हुई थी, जिसमें दो दर्जन से अधिक श्रद्धालु झुलस गए थे। साथ ही, कैग की रिपोर्ट में 2013 के कुंभ मेले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुलासा भी हुआ था। |