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हल्द्वानी हिंसा में ‘6 मुसलमानों की मौत’ को सोशल मीडिया में फैलाया जा रहा सांप्रदायिक तनाव

उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा में गुरुवार शाम को अतिक्रमण हटाने को लेकर बवाल हो गया। नगर निगम की टीम ने नमाज पढ़ने के लिए बनाई गई एक अवैध इमारत पर बुलडोजर चलाया था। इसके बाद हिंसा तेजी से फैली। भीड़ ने पुलिस और निगम के अमले पर हमला किया था। प्रशासन और पत्रकारों को पीटा गया, बनभूलपुरा थाने को घेरकर आग लगा दी गयी। वहीं अब सोशल मीडिया में ‘6 मुसलमानों की मौत’ का दावा करते हुए सांप्रदायिक तनाव फैलाया जा रहा है। इस मामले को हिंदुत्व से जोड़ा जा रहा है, हिंदुओ को आतंकवादी भी लिखा गया है।

वाजिद खान ने एक्स पर लिखा, ‘उत्तराखंड के हलद्वानी में अब तक 16 साल के नाबालिग मुस्लिम लड़के सहित 6 मुस्लिम पुरुषों की हत्या कर दी गई है। जानी और उनका बेटा अनस, आरिस(16), फहीम, इसरार, सिवान। याद रहे ये संविधानिक भारत में हो रहा है।’

निज़ाम ऑफ़ डेक्कन नाम के एक्स हैंडल ने लिखा, ‘हल्द्वानी, UK हिंदू पुलिस हिंदू आतंकवादियो के साथ मिलकर मुसलमानो पर हमला कर रही है मुसलमानो की प्रॉपर्टी को तबाह कर रही है और मुसलमानो औरतो पर दिन में लाठीया चलाई और रात होते ही मुसलमानो पर फायर खोल दि जिसके नतीजे में अबतक 6 मुसलमान शहीद हो गए है’

मिल्लत टाइम्स ने लिखा, ‘उत्तराखंड के हल्द्वानी में शूट एट साइट का आर्डर होने के बाद फायरिंग से 6 मुसलमानों की मौत हो चुकी है, मदरसा और मस्जिद पर बुलडोजर की कार्रवाई के बाद विरोध शुरू हुआ था।’

द मुस्लिम ने लिखा, ‘लोकेशन : हल्द्वानी,उत्तराखंड, मुसलमानो पर अंधाधुन गोलियां बरसाते हुए पुलिसकर्मी, जिसमे 6 मुसलमान शहीद हो गए शूट में मारे गए मुस्लिम पुरुषों के नाम. जानी और उसका बेटा अनस (गफूर बस्ती), आरिस, 16 (गफूर बस्ती), फहीम (गांधीनगर), इसरार (बनभूलपुरा), सीवान, 32 (बनभूलपुरा)’

The Observer Post ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए लिखा, हलद्वानी: मदरसे और मस्जिद में तोड़फोड़ के मामले में देखते ही गोली मारने के आदेश के बाद छह मुसलमानों की मौत हो गई। अहमद ने कहा, “पुलिस ने लोगों को गोली मारने के लिए मशीनगनों का इस्तेमाल किया,” हिंदू भीड़ पुलिस में शामिल हो गई और एक मुस्लिम युवक को गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई।

फिरदौस फिजा ने लिखा, ‘हल्द्वानी में 6 मुसलमान शहीद हो गए ….शूट में मारे गए मुस्लिम पुरुषों के नाम …!! जानी और उसका बेटा अनस (गफूर बस्ती), आरिस, 16 (गफूर बस्ती), फहीम (गांधीनगर), इसरार (बनभूलपुरा), सीवान, 32 (बनभूलपुरा)’

फैक्ट चेक

दावे की पड़ताल में कुछ कीवर्ड की मदद से गूगल सर्च किया। इस दौरान हमें हिन्दुस्तान की एक रिपोर्ट मिली जिसमें बताया गया कि उत्तराखंड के हल्द्वानी में पुलिस की फायरिंग में जॉनी और उसका बेटा अनस, आरिस (16) पुत्र गौहर, गांधीनगर निवासी फहीम, वनभूलपुरा के इसरार और सीवान की मौत हुई।

वहीं पत्रिका की रिपोर्ट में उत्तराखंड के डीजीपी अभिनव कुमार ने बताया कि उपद्रवियों ने पुलिस को आत्मरक्षा में गोली चलाने के लिए मजबूर किया। इस हिंसा में 100 पुलिसकर्मी समेत 139 लोग घायल हैं। फिलहाल जिले में कर्फ्यू और भारी पुलिस तैनाती जारी है। मौजूदा हालात को देखते हुए 10 कंपनी पैरामिलिट्री फोर्स और 6 कंपनी PAC की तैनात की गई है। वहीं दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक आरिस नाम के युवक को भी सिर में गोली लगने के बाद बरेली रेफर किया गया था। बरेली के एक निजी अस्पताल में उसकी मौत की बात कही जा रही है, लेकिन स्थानीय प्रशासन इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है।

दरअसल वनभूलपुरा क्षेत्र में अवैध मदरसा और मस्जिद हटाने के विरोध में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पुलिस और पत्रकारों पर हमला किया था। घायल पुलिसकर्मी बबीता ने बताया कि उपद्रव कर रहे लोगों की हमें जान से मारने की तैयारी थी। मौत के मुंह से बचकर किसी तरह से वहां से निकले हैं। यह विरोध कम और सोची समझी साजिश अधिक दिख रही थी। मैंने देखा कि औरतों के साथ ही दस से बारह साल के बच्चे भी पत्थर फेंक रहे थे। वहीं 31 पीएसी में एसआई हेमा जोशी के हाथ में चोट लगी है। पूछने पर बताया कि हाथ में कांच घुस गया है, जिसका इलाज बेस अस्पताल में करवाया। बातचीत के दौरान भी उनकी आंखों में बीती शाम का खौफनाक मंजर नजर आ रहा था। यहां महिलाएं विरोध कर रही थी, जिनको रोकने के लिए हम लोग आगे बढ़े। महिलाओं को रोक भी लिया था, लेकिन तभी अचानक पत्थर आने लगे। देखा तो दूर से युवक और बच्चे पत्थर बरसा रहे थे। इस दौरान धक्के से नीचे गिर गई मगर न तो किसी को वो नीचे गिरी दिखी न कोई मदद को रुका। हर कोई उनके ऊपर से चढ़कर वहां से निकलता रहा। इस दौरान ऊपर से पत्थर भी पड़ते रहे। किसी तरह वहां से निकलकर खुद को बचा पायी। इस माहौल को बयां करते हुए उनकी आखें भी भीग गई।

दंगे का शिकार बनीं महिला पुलिसकर्मी ने बताया कि जब उपद्रव शुरू हुआ तो वे लोग जान बचाने के लिए पास के एक घर में घुस गए। उन्होंने बताया कि 15 से 20 की संख्या में वे लोग घर के अंदर गए। तभी बाहर उपद्रवियों ने आग लगाई और पथराव भी शुरू किया। काफी मुश्किल से जान बचाकर वहां से आए।अस्पताल में इलाज करा रहीं पुलिसकर्मी ने आगे बताया, ‘बहुत बुरी कंडीशन थी। चारों तरफ से पथराव हो रहे थे। गलियों से, घरों से, ऊपर छतों से पत्थरबाजी हो रही थी। बचना ही मुश्किल नजर आ रहा था। पत्थर और शीशे भी चलाए जा रहे थे। जिस आदमी ने हमें बचाया, उसके दरवाजे और मकान को तोड़ दिया। फोर्स आई तब कहीं जाकर हम लोग मुश्किल से निकले। उस दौरान भी हमला हो रहा था।’

निष्कर्ष: पड़ताल में स्पष्ट है कि हल्द्वानी हिंसा में उपद्रवियों ने प्रशासन पर हमला किया था, जिसके जवाब में पुलिस ने फायरिंग की। इन मौत के नाम पर सांप्रदायिक तनाव को भड़काया जा रहा है।

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