सोशल मीडिया में एक अखबार की कटिंग वायरल है। इस कटिंग के हवाले से दावा किया जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार संसद में एक विधेयक को पेश करने जा रही है, जिससे बैंकों में जमा आम जनता का पैसा डूब जाएगा। इसके लिए सरकार पैसा वापसी गारंटी खत्म करेगी। हालाँकि पड़ताल में पता चलता है कि यह दावा भ्रामक है।
कांग्रेस समर्थक कुनाल शुक्ला ने एक्स पर अखबार की कटिंग पोस्ट करते हुए लिखा, ‘यह है मोदी की गारंटी’
यह है मोदी की गारंटी 😊
— Kunal Shukla (@kunal492001) December 7, 2023
PC :नरेश शर्मा pic.twitter.com/VRbsZLyoxw
यूजर इंडिया एलायंस ने लिखा, ‘मोदी की गारंटी कैसी लगी..? देश हित में रिपोस्ट करें..’
मोदी की गारंटी कैसी लगी..?
— I-N-D-I-A (@_INDIAAlliance) December 9, 2023
देश हित में रिपोस्ट करें.. pic.twitter.com/pXBqbdkFbc
रविन्द्र अग्रवाल ने लिखा, ‘बैंक में जमा पूंजी की गारंटी नहीं है लेकिन मोदी जी की गारंटी पक्की है’
बैंक में जमा पूंजी की गारंटी नहीं है
— Ravindra Agrawal 🇮🇳 (@Ravindra0719) December 7, 2023
लेकिन मोदी जी की गारंटी पक्की है🤣🤣🤣👇 pic.twitter.com/RO4ZRdQbvf
एक यूजर ने लिखा, ‘नीजिकरण के बाद पैसा सुरक्षित नहीं रहेगा।’
नीजिकरण के बाद पैसा सुरक्षित नहीं रहेगा। pic.twitter.com/1OUpKZ40Tb
— Newton Bank Kumar (@idesibanda) December 10, 2021
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फैक्ट चेक
पड़ताल में हमने देखा कि वायरल अखबार की कटिंग में फाइनेंशियल रिजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल बिल का जिक्र है। हमने संबधित कीवर्ड्स को गूगल पर सर्च किया फाइनेंशियल एक्सप्रेस की वेबसाइट पर आठ दिसंबर 2017 को प्रकाशित खबर में मिली। रिपोर्ट के मुताबिक इस बिल के तहत पब्लिक क्षेत्रों के बैंकों को यह अधिकार दिया जा सकता है कि बैंक के डूबने या दिवालिया होने के हालत में बैंक तय करेगा कि जमाकर्ता को कितने पैसे वापस करने हैं। इसका मतलब यह है कि अगर बैंक डूब रहा है तो बैंक के साथ आप भी डूब सकते हैं। कोई भी बैंक, इंश्योरेंस कंपनी और दूसरे वित्तीय संस्थान के दिवालिया होने की स्थिाति में उबारने के लिए यह कानून लाया जा रहा है। इस बिल के बारे में सुनते ही ऑनलाइन पेटीशन की बाढ़ आ गई है। इस नए विधेयक के खिलाफ मुंबई की शिल्पा श्री ने ऑनलाइन सिग्नेचर अभियान छेड़ा है, जिस पर दो दिनों के भीतर करीब 66 हजार सिग्नेचर किए गए हैं। जिसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि इस बिल से कम रकम जमा करने वाले ग्राहकों को कोई नुकसान नहीं होगा। जेटली ने कहा कि सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि वो जमाकर्ताओं के धन की रक्षा करेगी।
इस मामले में विवाद के बाद पीआईबी की तरफ से सात दिसंबर 2017 को जारी विज्ञप्ति में मिली। जिसमे केंद्र सरकार ने फाइनेंशियल रिजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल, 2017 के विवादित प्रावधानों के बारे में सफाई दी है। इसके बाद हमे 2018 में बिजनस न्यूज वेबसाइट मिंट पर सात अगस्त 2018 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक बेल-इन प्रावधान से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए एफआरडीआई बिल को वापस ले लिया गया है।
अपनी पड़ताल में हमे एफआरडीआई बिल से सम्बन्धित केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के आधिकारिक एक्स हैंडल पर 27 जुलाई 2020 का पोस्ट मिला। इस पोस्ट के मुताबिक सरकार ने इस बिल को संसद में फिर से पेश करने के बारे में कोई फैसला नहीं किया है।
Has the government taken a decision to reintroduce the FRDI Bill in Parliament?
— Office of Mr. Anurag Thakur (@Anurag_Office) July 27, 2020
NO.
Clarification from @FinMinIndia here 👇🏼 pic.twitter.com/qvX5hMIgbr
इसके बाद पीआईबी की एक और विज्ञप्ति मिली। जिसमे बताया गया है कि निवशकों और बैंक खाताधारकों के हितों की सुरक्षा के डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट कॉरपोरेशन (संसोधन) विधेयक, 2021 को संसद ने पारित कर दिया। वापसी गारंटी बिल के पारित होने के बाद आरबीआई की पूर्ण सहायक कंपनी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) ने बैंकों में जमा जमाकर्ताओं के बीमा कवर को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया है।
निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि फाइनेंशियल रिजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस (एफआरडीआई) वापसी गारंटी बिल पर विवाद होने के बाद 2018 में इस बिल को वापस ले लिया गया था। 2018 के बाद से इस बिल को दुबारा संसद में पेश नहीं किया गया है।
दावा | बैंकों में जमा आम जनता का पैसा डूबने वाला है |
दावेदार | कुनाल शुक्ला, रविन्द्र अग्रवाल समेत अन्य |
फैक्ट | भ्रामक |