चुनाव आयोग ने 14 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर जारी किया। वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट अपलोड की हैं। हालांकि, किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है, इसका लिस्ट में जिक्र नहीं किया गया है। इस बीच सोशल मीडिया में अखबार की एक कटिंग वायरल हैं, लोगों का दावा है कि बीजेपी ने गाय का मांस निर्यात करने वाली कंपनियों से चंदा लिया है। इस अखबार कटिंग को इलेक्टोरल बॉन्ड से जोड़ा जा रहा है।
सपा समर्थक शिवराज यादव ने अखबार की कटिंग शेयर करते हुए लिखा, ‘आइए भारतीय जनता पार्टी के फर्जी गौरक्षक से पर्दा हटाते हैं!! पहली तस्वीर देखिए मोदी जी गाय के बछड़े से कितना प्यार कर रहे हैं? अच्छी बात है? अब दूसरी तस्वीर देखिए जिसमे मोदी सरकार ने बीफ कंपनियों से 250 करोड का चंदा लिया है! ये बीफ कंपनियां गाय का मांस विदेशों में निर्यात करती हैं!! क्या अभी भी कोई शक है?? अगर नहीं तो रिट्वीट करके आगे भेजिए!’
गोविंद कुशवाहा ने लिखा, ‘गाय को मां मानने वाले गाय काट कर उनका मांस बेचने वाले को कंपनियों से चंदा ले रही है’
नेहा सिंह राठौर ने लिखा, ‘गाय को माता भी कहना है, बीफ कंपनियों से चंदा भी लेना है! ऐसे कैसे चलेगा साहेब? देश की एक बड़ी आबादी रोज़गार, स्वास्थ्य और शिक्षा को छोड़कर महँगाई से जूझकर भाजपा को जिताती रही क्योंकि उसे लगता था कि भाजपा एक हिन्दूवादी पार्टी है. अगर ये खबर सच है तो ये खबर उन सभी लिए एक सबक़ है’
नेहा सिंह के पोस्ट को शेयर करते हुए पत्रकार संजय शर्मा ने लिखा, ‘जी 4 PM की खबर है तो गलत कैसे हो सकती है. यही दोहरा चरित्र है भाजपा का.’
गौहर रजा ने लिखा, ‘सुना है गौ रक्षक पार्टी ने, गाय के गोश्त का कारोबार करने वालों से भी चंदा वसूली कर ली।’
इसके अलावा विपिन पटेल, कांग्रेस नेता अवनीश, वंदना सोनकर भी इस दावे को शेयर किया है।
पड़ताल में हमने सम्बंधित कीवर्ड्स को गूगल पर सर्च किया तो 16 दिसम्बर 2015 को टाइम्स ऑफ इंडिया पर प्रकाशित रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2013-2014 में बीजेपी को भैंस का मांस निर्यात करने वाली फ्रिगोरिफिको अल्लाना लिमिटेड, फ्रिगेरियो कन्वेरवा अल्लाना लिमिटेड और इंडेग्रो फूड्स लिमिटेड तीन कंपनियों से 250 करोड़ रुपये मिले थे।
चुनाव आयोग की बेवसाईट पर भी इस सम्बन्ध में पीडीएफ अपलोड है। इसमें क्रम संख्या 146, 147, 148 पर तीनों कंपनियों का डोनेशन देखा जा सकता है। असल में रिप्रेज़ेंटेशन ऑफ़ पीपुल्स एक्ट (1951) में वर्ष 2003 में एक संशोधन के तहत यह नियम बनाया गया है कि सभी राजनीतिक दलों को धारा 29(सी) की उपधारा-(1) के तहत फ़ॉर्म 24(ए) के माध्यम से चुनाव आयोग को यह जानकारी देनी होगी कि उन्हें हर वित्तीय साल के दौरान किन-किन व्यक्तियों और संस्थानों से कुल कितना चंदा मिला। राजनीतिक दलों को इस नियम के तहत 20 हज़ार से ऊपर के चंदों की ही जानकारी देनी होती है।
पड़ताल में हमने यह भी देखा कि वायरल कटिंग 4 PM अखबार की है, संजय शर्मा इस अखबार के एडिटर-इन-चीफ है। यह कटिंग 16 दिसम्बर 2015 की है। उस दैरान संजय शर्मा ने अपने एक्स हैंडल पर इसे शेयर भी किया था। इस अखबार के टाईटल में ‘गाय माता’ का जिक्र है लेकिन खबर में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि बीजेपी को चंदा देने वाली कम्पनियाँ भैंस का मांस निर्यात करती हैं।
साथ ही पड़ताल में यह भी पता चलता है कि भारत में मौजूदा मांस निर्यात नीति के अनुसार गोमांस (गाय, बैल और बछड़े का मांस) का निर्यात प्रतिबंधित है।
निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि वायरल दावा भ्रामक है, बीजेपी को 2013-2014 वित्तीय वर्ष में गौमांस निर्यात करने वाली कंपनियों से डोनेशन नहीं मिला था। बीजेपी को डोनेशन देने वाली तीनों कम्पनियाँ भैंस का मांस निर्यात करती हैं। साथ ही अखबार की यह कटिंग 2015 की है, इसका इलेक्टोरल बॉन्ड से लेना देना नहीं है।
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