उत्तर प्रदेश के लखनऊ में अकबरनगर में स्थानीय प्रशासन बीते दिनों से कोर्ट के आदेश पर अवैध कब्जों के खिलाफ एक्शन में है। इस बीच रविवार को यहाँ माहौल बिगड़ गया। सोशल मीडिया ने भी इसमें अपनी भूमिका निभाई।
दी मूकनायक के पत्रकार सत्यप्रकाश भारती ने लिखा, ’31 मार्च तक कोर्ट की रोक के बावजूद मुस्लिम बाहुल्य इलाके में बिल्डिंग गिराने पहुंची एलडीए की टीम के कारण हादसा हुआ, मजदूरों के दबे होने की सूचना से बवाल और पथराव” लखनऊ के अकबरनगर में एलडीए की भारी लापरवाही सामने आई है। कॉमर्शियल बिल्डिंग गिराते समय हुआ हादसा। पड़ोस में रह रहे घर मे मलबा गिरने और मजदूरों के दबने की सूचना से मौके पर बवाल और पथराव।’
इरम शबरेज रिज़वी ने लिखा, ‘आप देख रहे हैं किस तरह से अकबरनगर पर खाकी गुंडो ने हमला किया है किस तरह से पथराव कर रही है यह कहीं से भी रक्षक नहीं लगते यह तो भाजपा के गुंडे लगते हैं और खुले आम गुंडई कर रहे हैं इन्हें बुलडोजर बाबा का संरक्षण प्राप्त है यह बाबा जी की लठयत पुलिस है’
काविश अजीज ने लिखा, ‘लखनऊ । ध्यान से देखिएगा इस वीडियो में पुलिस वाले हाथ में पत्थर क्यों उठा रहे हैं…. बदले में अगर अकबरनगर का एक भी आदमी पत्थर चला देगा तो आईटी सेल रहेगा नाम “अकबरनगर” है इसलिए पत्थर बाजी हो रही है…’
एहसान सिद्दीकी ने लिखा, ‘#लखनऊ के #अकबरनगर इलाके में मकान गिरने से मलबे में तीन से चार लोगों के दबे होने की अटकलें। #छह एम्बुलेंस मौके पर पहुंची। ध्वस्तीकरण अभियान से नाराज लोगों ने पुलिस अधिकारियों की गाड़ी पर किया पथराव। भारी पुलिस बल तैनात।’
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दावे की पड़ताल के लिए हमें कुछ कीवर्ड कि मदद से गूगल सर्च किया। 11 मार्च 2024 को प्रकाशित अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट ने 31 मार्च की आधी रात तक अवैध मकानों आदि को खाली करने का आदेश दिया है। हालांकि अवैध कॉमर्शियल इमारतों पर कार्रवाई जारी है। उस पर किसी तरह की कोई रोक नहीं है। जब सम्राट फर्नीचर की कॉमर्शियल इमारत को ढहाया गया, तो अचानक से सोशल मीडिया से लेकर इलाके में अफवाह फैली कि मलबे में तीन चार लोग दब गए हैं। यही नहीं लोगों का कहना था कि एलडीए कॉमर्शियल के साथ-साथ आवासीय इमारतों को भी ढहाएगा। लोगों को लगा कि मकान भी तोड़ दिए जाएंगे। तब भीड़ और उग्र हो गई और पथराव के साथ तोड़फोड़ भी शुरू कर दी। पथराव के दौरान मेट्रो के पिलर पर लगे करीब 12 सीसीटीवी कैमरों को भी भीड़ ने निशाना बनाया। शायद इसलिए कि जिससे उनका उत्पात कैमरे में न कैद हो सके। जब पुलिस ने भीड़ को खदेड़ दिया तब सड़क पर सीसीटीवी कैमरे बिखरे मिले।
वहीं नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुतबिक मौत की अफवाह फैलते ही इलाके में तनाव हो गया। स्थानीय लोग एलडीए, जिला प्रशासन, पीएसी और पुलिस की टीम को घेरकर पथराव करने लगे। गली से फैजाबाद रोड पर आए उपद्रवियों ने बैरिकेडिंग गिरा दीं और एसीपी और कोतवाली प्रभारी महानगर की सरकारी गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए। पैर पर ईंट लगने से इंस्पेक्टर महानगर अखिलेश मिश्रा और उनके हमराही एसपी पांडेय घायल हो गए।
इस मामले में News18 की रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया में मकान गिरने से कुछ लोगों के दबकर घायल होने और मृत्यु होने की खबर का पुलिस ने खंडन किया। पुलिस ने कहा कि ध्वस्तीकरण के दौरान न कोई दबा है, न किसी की मृत्यु हुई है। साथ ही अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
पड़ताल में इंडिया टीवी की रिपोर्ट भी मिली, जिसके मुताबिक लखनऊ के अकबरनगर में अफवाह और पत्थरबाजी के मामले में पुलिस ने सख्त रवैया अपनाया है। पुलिस ने इस मामले में 7 नामजद और सैकड़ों अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। LDA (लखनऊ विकास प्राधिकरण) के संजीव कुमार ने महानगर कोतवाली में इसकी FIR दर्ज कराई है। इस मामले में हबिदुल,अरशद वारसी, मो0 नौशाद, फज़ल अहमद, मो0 सैफ खान, आदिल इस्तियाक, रेहान अली समेत सैकड़ो की भीड़ पर FIR दर्ज की गई है।
निष्कर्ष: पड़ताल से स्पस्ट है कि अकबरनगर में ध्वस्तीकरण के दौरान मलबे में कोई नहीं दबा था। साथ ही पुलिस ने भी पहले पथराव या लाठीचार्ज नहीं किया। पड़ताल में यह भी पता चलता है कि हाईकोर्ट ने 1 मार्च की आधी रात तक अवैध मकानों को खाली करने का आदेश दिया है। अवैध कॉमर्शियल को छूट नहीं है। यह एक साजिश के तहत फैलाई गई अफवाह थी।
दावा | लखनऊ के अकबरनगर में ध्वस्तीकरण के दौरान मलबे में दबने से लोगों की मौत |
दावेदार | सत्यप्रकाश भारती, कविश अजीज, एहसान सिद्दीकी व अन्य |
फैक्ट चेक | झूठा |
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