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बदायूं में शारीरिक शोषण से तंग आकर इच्छामृत्यु की मांग करने वाली महिला जज की आत्महत्या का दावा भ्रामक है

उत्तर प्रदेश में कुछ दिनों पहले ही एक महिला जज ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की थी।  महिला जज ने एक जिला जज पर शोषण करने के गंभीर आरोप लगाए थे। साथ ही उन्होंने अपनी मजबूरी बयां करते हुए लिखा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक उन्हें कहीं भी न्याय नहीं मिला। वहीं अब सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि उसी महिला जज ने न्याय न मिलने पर आत्महत्या कर ली है। हालांकि हमारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक निकला।

कांग्रेस नेता अलका लंबा ने एक्स पर इस मामले को बयां करते हुए लिखा, ‘एक और होनहार बेटी, सरकारी सिस्टम की भेंट चढ़ गई। उत्तर प्रदेश के बदायूँ में महिला जज ज्योत्सना राय ने अपने सरकारी आवास में फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली। कुछ महीनों पहले ही इस बेटी ने, अपना शारीरिक शोषण करने वाले दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने पर CJI को पत्र लिख कर ख़ुदकुशी की इजाज़त माँगी थी। उस पत्र का एक अंश पढ़िए: “भरी अदालत में मेरा शारीरिक शोषण हुआ। मैं दूसरों को न्याय देती हूं, लेकिन खुद अन्याय का शिकार हुई। जब मैंने जज होते हुए इंसाफ की गुहार लगाई, तो 8 सेकेंड में सुनवाई करके पूरा मामला अनसुना कर दिया गया। जांच के दौरान जज (जिन पर आरोप हैं) का ट्रांसफर किया जाना चाहिए था, ताकि वो गवाह और सबूतों को प्रभावित न कर सकें। मुझे लगता है कि मेरी जिंदगी, मेरा आत्मसम्मान और मेरी आत्मा मर चुकी है। मैं लोगों को कैसे न्याय दे पाऊंगी, जबकि मैं खुद निराश हो चुकी हूं। मेरे अंदर अब और जीने की इच्छा नहीं बची है। मैं डेढ़ साल से जिंदा लाश की तरह हूं। अब मेरी जिंदगी का कोई मकसद नहीं बचा है। अब मेरे पास सुसाइड के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं बचा है। इसलिए मुझे इच्छा मृत्यु की इजाजत दी जाए।” कितना असहज करने और दिल कांप देने वाली बातें लिखीं हैं इस पत्र में। ज़रा सोचिए, यह पत्र लिखते हुए इस काबिल बेटी के मन पर क्या गुज़र रही होगी? जब एक महिला जज को ख़ुद को न्याय दिलाने के लिए इतना संघर्ष करना पड़ा और थक-हार कर आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा, तो सोचिए एक आम महिला को न्याय पाने के लिए कितने जतन करने पड़ते होंगे। देश में ऐसी कितनी होनहार बेटियां, अन्याय के कारण आत्महत्या करती होंगी और वह घटनाएं खबरों नहीं बन पाती? जब हम नारी-न्याय की बात करते हैं तो हम ऐसी ही महिलाओं की बात करते हैं जो तरह-तरह के अन्याय से जूझ रही हैं और अपने हिस्से का न्याय पाने के लिए ‘अन्यायपूर्ण सिस्टम’ से लड़ रही हैं। ज़रा रुकें और गौर करें……’

एक जिज्ञासा है नाम के एक्स हैंडल ने लिखा, ‘बदायूँ उत्तर प्रदेश: वो महिला जज ज्योत्सना राय याद है जिसने शारीरिक मानसिक शोषण से तंग आकर इच्छा मृत्यु की मांग की थी…?? सरकारी आवास में फांसी पर झूलते हुए मिली हैं…!! रामराज्य में गुण्डातंत्र की पराकाष्ठा ने जान ले ली एक काबिल नागरिक की…!!’

सियाराम मिरोठा ने लिखा ‘एक और होनहार बेटी, सरकारी सिस्टम की भेंट चढ़ गई। उत्तर प्रदेश के बदायूँ में महिला जज ज्योत्सना राय ने अपने सरकारी आवास में फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली। कुछ महीनों पहले ही इस बेटी ने, अपना शारीरिक शोषण करने वाले दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने पर CJI को पत्र लिख कर ख़ुदकुशी की इजाज़त माँगी थी। ये एक तरफ कॉमेंट मेंट करते नही थकते’

प्रियांशु मौर्य ने लिखा, ‘रामराज्य Story 06 : यूपी के #बदायूं में महिला Judge ज्योत्सना राय ने अपने सरकारी आवास में फांसी लगा लिया. Reason : वो अपने senior के यौन शोषण से परेशान थीं. कुछ महीनों पहले ही महिला #जज ने suicide करने की बात कही थी.’

शिव राज यादव ने लिखा, ‘आपको याद होगा कुछ महीनों पहले महिला जज ने सिस्टम से परेशान होकर ख़ुदकुशी की इजाज़त माँगी थी, आज उत्तर प्रदेश के #बदायूँ में महिला जज ज्योत्सना राय ने अपने सरकारी आवास में फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली। ज़िले के बड़े अफ़सरान मौक़े पर हैं! अब तो छात्र, अफ़सर, यहाँ तक की जज भी आत्महत्या कर रहे हैं। ये चिंता का विषय है..’

इसके अलावा कांग्रेस नेता अब्दुल कलाम खान, रूहीन बी ने भी यही दावा किया है

फैक्ट चेक

पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले कुछ कीवर्ड्स की मदद से इस मामले को गूगल सर्च किया। इस दौरान हमें दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट मिली। 4 फरवरी 2024 की रिपोर्ट के अनुसार शनिवार(1 फरवरी) सुबह बदायूं में 29 साल की महिला जज ज्योत्सना राय का शव उनके सरकारी आवास में पंखे के सहारे फंदे पर लटका मिला। मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला है।पुलिस का कहना है कि महिला ने आत्महत्या की हैं मगर उनके पिता की तहरीर पर हत्या की FIR भी दर्ज की गई है। ज्योत्सना मऊ की रहने वाली हैं। बदायूं में दूसरी पोस्टिंग थी। इससे पहले वह अयोध्या में तैनात थीं। वहीं अमर उजाला की रिपोर में बताया गया है कि महिला जज ने सुसाइड नोट में लिखा है कि सुबह उठकर एक ही जैसी दिनचर्या में लगने से वह ऊब सी गई हैं। वह जो कर रही हैं उसके लिए कोई दोषी नहीं है।

Source: Dainik Bhaskar

वहीं अब हमने बांदा में इच्छा मृत्यु मांगने वाली जज के बारे में जानने की कोशिश की। 15 दिसम्बर 2023 को प्रकाशित दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक महिला जज ने बताया है कि उनके साथ 2022 में बारबंकी में शोषण हुआ था। कई बार उन्हें रात में मिलने को कहा गया। इस संबंध में शिकायत के बाद भी जब न्याय नहीं मिला तो मजबूर होकर पत्र लिखना पड़ा। इसके बाद हमे हिंदुस्तान की रिपोर्ट में महिला जज का नाम भी मिला, रिपोर्ट के मुताबिक सीजेआई को बांदा की सिविल जज अर्पिता साहू ने पत्र लिखा है। उन्होंने बाराबंकी कोर्ट में नियुक्ति के दौरान घटी घटनाओं पर बात की है।


Source: Dainik Bhaskar

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में स्पष्ट है कि बांदा में इच्छा मृत्यु मांगने वाली महिला जज का नाम अर्पिता साहू है, उनका आरोप है कि बाराबंकी में उनका शोषण हुआ था। वहीं बदायूं में आत्महत्या करने वाली ज्योत्सना राय ने केवल बदायूं और अयोध्या में ही काम किया है। इससे यह बात साफ है कि असल में यह दो अलग-अलग मामले हैं, जिन्हें एक साथ जोड़कर दिखाया जा रहा है। शारीरिक शोषण से तंग आकर इच्छा मृत्यु की मांग करने वाली महिला जज की मौत का दावा भ्रामक है।

दावा बदायूं में शारीरिक शोषण से तंग आकर इच्छा मृत्यु की मांग करने वाली महिला जज ने की आत्महत्या।
दावेदार अलका लंबा, अब्दुल कमाल खान, प्रियांशु, रूही व अन्य
फैक्ट भ्रामक
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