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Home hate crime हल्द्वानी हिंसा: सोशल मीडिया से फैलाया जा रहा तनाव, जानिये सिलसिलेवार घटनाक्रम
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हल्द्वानी हिंसा: सोशल मीडिया से फैलाया जा रहा तनाव, जानिये सिलसिलेवार घटनाक्रम

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उत्तराखंड के हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने गई टीम को स्थानीय लोगों ने निशाना बनाया। पुलिसकर्मियों को पीटा गया, वनभूलपुरा थाने में आगजनी कर दी गयी। पुलिस वाहन, फायर ब्रिगेड की वैन समेत कई अन्य वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। इसके अलावा पत्रकारों को भी नहीं बख्शा गया। वहीं इस घटना के बाद सोशल मीडिया में भी लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं, साथ ही इस मामले में भ्रामक जानकारी साझा कर तनाव को भड़काने की कोशिश भी की जा रही है।

कट्टरपंथी अली सोहराब ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘भारत: उत्तराखंड के हल्द्वानी में मस्जिद व मदरसे को अवैध बताते हुए बुलडोजर से विध्वंस करने के बाद संवैधानिक पुलिस ने निहत्थी मुस्लिम महिलाओं पर लाठी डंडों से किया क्रूर हमला…’

सदफ आफरीन ने लिखा, ‘हल्द्वानी में मस्जिद को अवैध बताकर उसपर बुलडोज़र चलवा दिया गया! वहां के लोग आक्रोश में आ गए और प्रोटेस्ट करने लगे! प्रोटेस्ट में आई महिलाओं को भी पुलिस वालो ने लाठी डंडों से पीटा! देखते ही देखते माहौल और खराब हो गया! पुष्कर सिंह धामी ने शूट एट साइट का भी आर्डर दे दिया है, मतलब डायरेक्ट गोली चलाने का ऑर्डर दे दिया है! देश में जो हो रहा है बहुत गलत हो रहा है!’

चांदनी ने लिखा, ‘हिंसा करते हुए सनातनी वाले और इनकी भाषा सुनें…’

मोहम्मद काशिफ अर्सलान ने लिखा, ‘हिन्दू राष्ट्रीय बनाने के लिए मस्जिद तोडना ज़रूरी है?’

काशिफ ने एक दूसरे पोस्ट में लिखा, ‘हल्द्वानी, माजिद पर बुलडोज़र चलाए जाने का शांतिपूण तरीके से विरोध कर रही महिलाओं पर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज के बाद माहौल बिगड़ गया, शांतिपूण प्रदर्शन कर रही महिलाओं के साथ कई पुलिस कर्मी भी घायल होने की खबर आ रही है।’

वाजिद खान ने लिखा, ‘उत्तराखंड के हलद्वानी में अब तक 16 साल के नाबालिग मुस्लिम लड़के सहित 6 मुस्लिम पुरुषों की हत्या कर दी गई है। जानी और उनका बेटा अनस आरिस, 16 फहीम इसरार सिवान याद रहे ये संविधानिक भारत में हो रहा है।’

शम्स तबरेज कासमी ने लिखा, ‘उत्तराखंड के हल्द्वानी में सुप्रीम कोर्ट का Saty आर्डर होने के बावजूद मस्जिद और मदरसा पर बुलडोजर चला दिया गया, अस्थानीय मुसलमानों ने जब विरोध किया तो पुलिस ने लाठी चार्ज किया, महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया, फिर माहौल खराब हुआ और अब शूटर एट साइट का ऑर्डर दे दिया गया है, फायरिंग में तीन की मौत भी हो चुकी है। आख़िर उत्तराखंड सरकार को यह सब करके क्या मिल रहा है, क्या इस सरकार का एजेंडा केवल मुसलमानों को ही परेशान करना है।’

नफरती हैंडल क्राईम रिपोर्ट्स इंडिया ने लिखा, ‘हल्द्वानी में हिंदुत्व प्रशासन ने मुस्लिम धार्मिक मदरसा को ध्वस्त कर शांतिपूर्ण विरोध कर रही महिलाओं को बेरहमी से पीटा। 6 मुसलमानों को गोली मारी’

क्या है हकीकत?

अपनी पड़ताल में हमने देखा कि सोशल मीडिया में लोग मदरसा और मस्जिद को तोड़ने के खिलाफ हैं, इसे अवैध नहीं मानते। प्रशासन की कार्रवाई को अचानक एक्शन बताया जा रहा है, साथ ही इस दंगे के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। प्रशासन को हिंदूवादी कहा जा रहा है। इसीलिए हमने इन आरोपों की जाँच की है।

हमे सबसे पहले 30 जनवरी 2024 को एक बेवसाईट पर इस मामले से सम्बन्धित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक नजूल भूमि पर निर्माणाधीन अवैध नमाज स्थल भवन एवं कथित मदरसा भवन हटाने के सम्बन्ध में नगर निगम ने नोटिस चस्पा कर दिया। इस नोटिस में कहा गया है कि वनभूलपुरा मलिक का बगीचा में बिना अनुज्ञा नजूल भूमि पर निर्माणधीन नमाज स्थल एवं मदरसे को 1 फरवरी तक हटा लें, ऐसा नहीं करने पर नगर निगम द्वारा बल पूर्वक ध्वस्त किया जायेगा।

31 जनवरी 2024 को प्रकाशित अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक नगर निगम और प्रशासन की टीम ने लगातार तीसरे दिन मलिक के बगीचे में कार्रवाई की। वहां खाली पड़े प्लाटों को नगर निगम ने अपने कब्जे में ले लिया। साथ ही एक चाहरदीवारी और निर्माणाधीन भवन को सील कर दिया। अतिक्रमण हटाने के दौरान स्थानीय निवासियों ने इसका विरोध भी किया। नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय, सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह मलिक के बगीचे पहुंचे। यहां उन्होंने अगल-बगल खाली प्लाटों को कब्जे में लेना शुरू कर दिया। पांच खाली प्लाटाें के चाराें ओर जेसीबी से गड्ढे करकर उनमें लोहे के एंगल लगाने शुरू किए। इसके बाद टीम वहीं एक निर्माणाधीन भवन पर पहुंची। जब कागज मांगे गए तो पता चला कि ये जमीन 50 रुपये के स्टांप पर खरीदी गई है। नगर आयुक्त ने बताया कि बनभूलपुरा में कच्ची जमीन स्टांप पर बेची जा रही है। इसकी कीमत 3000 रुपये से 5000 रुपये वर्गफिट तक है।

वहीं जब एक फरवरी को अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो प्रशासन ने 2 फरवरी को दूसरा नोटिस जारी किया। एक रिपोर्ट में प्रकाशित इस नोटिस में बताया गया है कि अब्दुल मलिक नाम के व्यक्ति ने राज्य सरकार की जमीन पर तथाकथित मदरसा के नाम पर अवैध रूप से भवन निर्माण कर प्लाटिंग के माध्यम से स्टांप पेपर पर लिखकर बेचने की योजना बनायी है और सरकारी ज़मीन पर अवैध अतिक्रमण किया गया है इसीलिए 4 फरवरी को अतिक्रमण हटाया जाएगा।

वहीं 3 फरवरी 2024 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक मलिक के बगीचे में अवैध मदरसे से और नमाज स्थल को नगर निगम द्वारा ध्वस्त किया जाएगा। जिसको लेकर आज पुलिस और प्रशासन द्वारा थाना बनभूलपुरा से लेकर मलिक के बगीचे तक फ्लैग मार्च निकाला गया। ताकि शांति व्यवस्था कायम रहे। इस दौरान में कुछ महिलाओं ने फ्लैग मार्च के दौरान अपना विरोध भी जताया, जिनको थाना वनभूलपुरा प्रभारी नीरज भाकुनी द्वारा समझाया गया कि प्रशासन एवम पुलिस की कार्रवाई के बीच कोई भी बाधा ना उत्पन्न करें क्योंकि यह नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है। वहा मौजूद महिलाओं की महिला पुलिस कांस्टेबल के साथ हल्की नोक झोंक भी हुई। जिसके बाद बहुत मुश्किल से महिलाओं को समझाया गया।

इसके बाद हमे हल्द्वानी न्यूज़ के यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो मिला। इस वीडियो को 3 फरवरी 2024 को अपलोड किया गया है। इस रिपोर्ट में जमियत के नैनीताल सदर मोहम्मद मुकीम काजमी बताया गया है कि नगर निगम के अधिकारियों के साथ स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मुलाकात की थी। इस वीडियो में कहा कि मंदिर और मस्जिद धर्म का एक हिस्सा है, उसे ध्वस्त न किया जाए। मुस्लिम समाज के लोग वहां नमाज पढ़ते हैं, छोटे बच्चे वहां कुरान पढ़ते-पढ़ते हैं। लिहाजा एक बिल्डिंग बनी हुई उसे अब हटाने के लिए नोटिस दिया गया है। मस्जिद-मदरसे किसी की जागिर, प्रोपर्टी नहीं होती है। यह ईश्वर, अल्लाह का इबादतघर है। हमारी मांग है कि उसे यथास्थिति में रखा जाए। अतिक्रमण पर कोई कुछ भी करता रह लेकिन उससे किसी को कोई नुकसान नहीं हो रहा है।

वहीं एक स्थानीय निवासी अरशद अय्यूब ने कहा कि अतिक्रमण को लेकर प्रशासन जो कार्रवाई कर रहा है। उसका किसी आदमी, किसी उलेमा, किसी नेता ने विरोध नहीं किया। जो भी खाली जमीन है, सरकार वहां अस्पताल, स्कूल बनवाए इसके लिए जनता, उलेमा तैयार हैं। हमारा कहना है कि हमारा जो मस्जिद-मदरसा है उसको प्रशासन फ्रीहोल्ड कर दे। हम उसका पैसा देने को तैयार हैं, मुस्लिम समुदाय 24 घंटों के भीतर पैसा देने को तैयार है।

हालाँकि 4 फरवरी को प्रशासन ने अतिक्रमण नहीं हटाया। एक रिपोर्ट के मुताबिक सिटी मजिस्ट्रेट ने एक प्रेस नोट में बताया कि नगर निगम हल्द्वानी द्वारा दिनांक 04.02.2024 को बनभूलपुरा क्षेत्र में राजकीय भूमि पर निर्मित दो भवनों के ध्वस्तकरण की कार्रवाई प्रस्तावित है। माननीय उच्च न्यायालय, उत्तराखंड नैनीताल के आदेशों के क्रम में प्रत्यावेदन का निस्तारण किया जाना है। निस्तारण की कार्रवाई पूर्ण होने तक ध्वस्तीकरण की कार्रवाई रोकने के निर्देश नगर आयुक्त, नगर निगम हल्द्वानी को दिए गए हैं फिलहाल ध्वस्तीकरण वाले दोनों भवन को प्रशासन ने सील कर दिया है।

अमर उजाला की रिपोर्ट में नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने बताया कि देर रात उनके पास एक प्रार्थना पत्र आया था। इसमें 2007 में हुए हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया था। इस आदेश के क्रम में कुछ लोगों के प्रार्थना पत्र का निस्तारण नहीं हो पाया है। इनका निस्तारण एडीएम नजूल की तरफ से किया जाना है। नगर निगम से भी इस मामले में एडीएम ने उत्तर मांगा है। दो दिन में उत्तर दे दिया जाएगा। अंतिम निर्णय जिला प्रशासन का होगा।

सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह ने अपने बयान में कहा कि देर रात दोनों भवनों को सील कर दिया है। उन्होंने बताया मलिक के बगीचे में अवैध मदरसे एवं नमाज वाली जगह से जुड़े कागजात दिखाने के लिए कल नगर निगम में लोगों से कहा गया था लेकिन उनके द्वारा कोई कागजात नहीं दिखाया गया। देर रात न्यायालय का कोई नोटिस दिखाया गया है, जिसका परीक्षण कराया जा रहा है।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक मस्जिद पर बुलडोजर एक्शन से पहले हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। हाई कोर्ट में मस्जिद ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका दायर की गई थी। अवकाशकालीन न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता साफिया मलिक व अन्य को किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट की तरफ से मस्जिद पक्ष को कोई राहत नहीं मिलने पर मस्जिद-मदरसे पर नगर निगम की ओर से विध्वंस की कार्रवाई शुरू हुई। इस याचिका पर अगली सुनवाई 14 फरवरी को नियत कर दी गई।

इसके बाद 8 फरवरी को प्रशासन अतिक्रमण हटाने पहुँच गया। अमर उजाला ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में बताया है कि जब हिंसा भड़की तो अमर उजाला के विजेंद्र श्रीवास्तव भी वहां मौजूद थे। उन्होंने यह पूरा घटनाक्रम अपने सामने होते देखा तो सन्न रह गए। उन्होंने बताया कि टीम के पहुंचते ही माहौल में तनाव बढ़ने लगा था, हर तरफ से लोग जुटने लगे। छत पर लोग एकत्र हो रहे थे, जहां पर कार्रवाई होनी थी, उसके मोड़ के सामने एक जगह पर पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाई हुई थी, वहां लोग जुटे थे। पुलिस ने उनसे हटने के लिए तकरार हो गई। आक्रोश बढ़ता जा रहा था, पुलिस ने उन्हें धकेलने की कोशिश की तो दूसरी तरफ से भी जोर आजमाइश और नारेबाजी होने लगी। तनाव के बीच पहुंची जेसीबी ने ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू की तो पथराव शुरू हो गया।

पत्रकार विजेंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक दो तरफ से पथराव हो रहा था। एक पत्थर मेरे चेहरे पर पड़ने वाला था, जिसे हाथ से रोका तो अंगुली सूज गई। इसके बाद उपद्रवियों ने हमला तेज कर दिया, जिस मुख्य रास्ते से आए थे, वहां पर खड़े वाहनों को आग लगा दी। जहां खड़े थे, वहां 112 पुलिस की जीप में आग लगा दी गई। इसके बाद तीन तरफ से पथराव होने लगा। पत्थरों की बारिश हो रही थी। बचने की कोई गुंजाईश नहीं थी। मेरे सामने कई पुलिसकर्मी घायल हो रहे थे, पुलिस की बचाव और जवाब देने की कोशिश नाकाफी साबित हो रही थी। ऐसे में सबके सामने विकल्प था, जान बचाने के लिए मौके से हटे। आगे बढ़े तो फिर अराजक तत्वों ने घेरकर पथराव कर दिया। इसमें कई पत्थर पीठ और पैरे में लगे। पर भागने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। लड़खड़ाते हुए आगे बढ़े और अपने साथियों को आवाज दी। इसी बीच रिपोर्टर साथी हरीश पांडे आगे मिल गए। उनसे फोटोग्राफर साथी राजेंद्र बिष्ट के बारे में पूछा तो कोई पता नहीं चला। उसके बाद दौड़कर एक टेंपो में छिप गए, फिर एक भवन में आसरा लिया। हर तरफ अपशब्दों और मारों की आवाज गूंज रही थी। एक बार लगा कि शायद… यहां से कभी निकल नहीं सकेंगे। पुलिसकर्मी भी हालात देखकर हताश होने लगे थे। हर तरफ बदहवासी और चिंता थी।

जैसे-तैसे आगे पहुंचे, वहां एक घर से पानी मांगकर पिया और बरेली रोड पर पहुंचे। यहां पुलिसकर्मी अपने घायल साथियों को ढाढ़स बंधाने के साथ जल्द अस्पताल पहुंचाने की बात कह रहे थे। यहां से पैदल ही बेस अस्पताल की तरफ चले। वहां घायलों के पहुंचने की सूचना आ रही थी। इसी बीच बनभूलपूरा थाने को फूंकने की बात सामने आने लगी थी। हर तरफ अफरातफरी थी। बेस अस्पताल पहुंचकर फिर फोटोग्राफर साथी को फोन किया तो पता चला कि उन पर घातक हमला हुआ है। उनके सिर पर चोट लगी है और खून बह रहा है। पर उनको कुछ नेक लोगों ने एक धार्मिक स्थल में सुरक्षित किया हुआ है। वे चोट लगने से ज्यादा अपने कैमरे और उसमें फोटो न मिल पाने के लिए दुखी थी।

इस हिंसा में कवरेज के लिए गए अमर उजाला के फोटोग्राफर बुरी तरह से जख्मी हो गए। उनके सिर पर गहरी चोटें आई हैं। एक रिपोर्ट में फोटोग्राफर राजेंद्र सिंह बिष्ट बताया है कि मैं शाम चार बजे मलिक के बगीचे में पहुंचा, तो वहां बड़ी संख्या में लोग विरोध कर रहे थे। थोड़ी देर में छतों से पथराव शुरू हो गया। फोर्स भागने लगी। उपद्रवियों ने मुझे और दो-तीन पुलिस वालों को पकड़ लिया। लाठी-डंडे से पीटने लगे। पत्थरों से मारने लगे। मैंने बताया- मैं अखबार से हूं, पर वे नहीं माने। हिंसक भीड़ मुझे बुरी तरह पीट रही थी। उन्होंने मुझे आग में धक्का दे दिया। लगा, जिंदगी खत्म होने वाली है। भीड़ मारो-मारो चिल्ला रही थी। भय से मेरी आंखें बंद हो गईं। इसी बीच, दो युवक पहुंचे। वे मुझे पहचानते थे। किसी तरह वे मुझे खींचकर धर्मस्थल की ओर ले गए। मुझे मारने के लिए उपद्रवी भी पीछे-पीछे आ रहे थे। दोनों युवकों ने धर्मस्थल का दरवाजा खुलवाकर किसी तरह मुझे धकेला। इस बीच, उपद्रवियों ने मेरा कैमरा छीन लिया। मैं अंदर घुस गया और लोगों ने दरवाजा बंद कर दिया। तब जाकर जान में जान आई।

अमर उजाला की एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक अतिक्रमण तोड़ने का जिस जगह पर काम हुआ, वहां जाने का एक ही मुख्य रास्ता है। यह रास्ता भी महज 10 फीट चौड़ा है। इसके चारों ओर घनी आबादी है, जहां छोटी-छोटी गलियां हैं। जैसे ही टीम यहां पहुंची मुख्य मार्ग पर बवाल शुरू हो गया। टीम के अंदर घुसने के बाद चारों ओर से विरोध की आग तेज होने लगी थी। इलाके में पांच से अधिक गलियां हैं, जो काफी तंग हैं और किस गली से कब पत्थर आ रहा था, किसी को अंदाजा ही नहीं लग रहा था। यही वजह रही कि बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी और निगम कर्मी घायल हुए। घरों की छतों से पुलिसकर्मियों पर लगातार पथराव होता रहा। बमुश्किल गलियों से बचते-बचाते पुलिसकर्मी किसी तरह मुख्य सड़क पर आ सके।

अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक बनभूलपुरा में उपद्रव के दौरान 70 से अधिक वाहनों को जला दिया गया जबकि कई वाहनों में तोड़फोड़ की गई। इस दौरान बनभूलपुरा थाने में आग से कई साल पुराने रिकॉर्ड भी जलकर खाक हो गए हैं। उपद्रवियों ने 70 से अधिक वाहनों ने आग के हवाले कर दिया। इसमें तीन जेसीबी शामिल हैं, जिनमें दो जेबीसी निगम ने किराए पर मंगाई थी, जबकि एक जेसीबी निगम की है। साथ ही निगम के 8 और पुलिस के एक चारपहिया वाहन को आग के हवाले कर दिया गया, जबकि निगम के दो ट्रैक्टर को भी सड़क पर पलटकर आग लगा दी गई थी। साथ ही 40 से अधिक दोपहिया वाहनों को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया। बनभूलपुरा की गलियों में देर रात तक जहां-तहां दोपहिया वाहन जलते नजर आए, जिनको न कोई बुझाने वाला था और न ही इनके मालिकों का किसी को पता था। अतिक्रमण तोड़ने गई टीम पर घरों की छतों से पथराव किया गया जिसके बाद पुलिस ने पत्थरबाजों को पकड़ने के लिए उन घरों का रुख किया जहां से पत्थर फेंके जा रहे थे। नगर निगम कर्मचारियों की मदद से उन घरों के दरवाजों को घन से तोड़ा गया और पुलिसकर्मी घरों में घुसे। जिसके बाद पत्थरबाजों को पकड़कर पुलिस ले जाने लगी, लेकिन उपद्रवी उन्हें भी छुड़ा ले गए।

एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक उपद्रवियों ने घटना कवर करने पहुंचे पत्रकारों को भी निशाना बनाया। उनके आधा दर्जन से अधिक वाहनों में आग लगा दी गई। जान बचाकर पुलिस बल के साथ निकल रहे मीडियाकर्मियों पर भी पथराव किया गया। कई पत्रकारों के कैमरे तोड़ दिए गए। कई पत्रकारों को बेस अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया। बवाल में करीब 12 से अधिक पत्रकार जख्मी हुए हैं।

एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक एसडीएम कालाढुंगी रेखा कोहली को उपद्रवियों ने घेर लिया था। इस कारण उन्हें दीवार के पीछे छुपना पड़ा। एसडीएम कालाढुंगी को बचाने के लिए तीन चार पुलिसकर्मियों को लगा देखा गया। मामले की जानकारी हेडक्वार्टर को दिया गया। इसके बाद भारी संख्या में पहुंची पुलिस ने एसडीएम की जान बचाई।

इस हिंसा में घायल एक महिला सिपाही ने बताया कि हर घर और गली से पथराव हो रहा था। पूरी तरह घेर लिया गया था। हम एक घर में फँस गए थे, उन्होंने बाहर से आग लगा थी। पथराव किया, हम बमुश्किल बच कर आए हैं। जिस आदमी ने हम लोगों को बचाया, उसको भी गालियाँ दी गयी। उनका मकान, दरवाजे तोड़ दिए।

इस हिंसा के अगले दिन 9 फरवरी 2023 को प्रेस कांफ्रेस में नैनीताल डीएम वंदना सिंह ने बताया कि उपद्रवियों ने छतों पर पत्थर रखे थे। घर की छतों पर पत्थरों को इकट्‌ठा किया गया। जब वनभूलपुरा में अतिक्रमण को हटाने की नोटिस दी गई थी, उस समय वहां पत्थर नहीं थे। नोटिस जारी किए जाने के बाद साजिश के तहत पत्थर इकट्ठा करके रखे गए। उन्होंने कहा कि उपद्रवियों ने पूरी साजिश के साथ वारदात को अंजाम दिया। हिंसा की पूरी प्लानिंग रची गई थी। उपद्रवी प्रशासन और पुलिस की टीम को जला देना चाहते थे। डीएम ने कहा कि थाने से अधिकारियों को निकालने नहीं दिया गया। उन्हें जिंदा जलाने की कोशिश की गई। पेट्रोल बम से वाहनों में आग लगाई गई। थाने पर पेट्रोल बम से हमला किया गया। हल्द्वानी में हिंसा की बड़ी तैयारी थी।

डीएम ने कहा है कि यह सांप्रदायिक घटना नहीं थी तो इसे सांप्रदायिक या संवेदनशील न बनाया जाए। किसी विशेष समुदाय ने जवाबी कार्रवाई नहीं की। यह राज्य मशीनरी, राज्य सरकार और कानून व्यवस्था की स्थिति को चुनौती देने का एक प्रयास था।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल से स्पष्ट है कि वनभूलपुरा क्षेत्र में स्थानीय लोगों ने जबरन सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ है। यहाँ प्लाटिंग कर कम दामों में जमीन को बेचा जा रहा है, साथ ही मस्जिद और मदरसा भी बनाया गया। मदरसे एवं नमाज वाली जगह से जुड़े कागजात दिखाने के लिए कल नगर निगम में लोगों से कहा गया था लेकिन उनके द्वारा कोई कागजात नहीं दिखाया गया। साथ ही नगर निगम से मुलाकात के दौरान भी जमियत नेता और स्थानीय निवासी ने इस जमीन को अपना नहीं बताया प्रशासन ने अचानक से कोई कार्रवाई नहीं की, इसके लिए बीते करीबन 10 दिनों से लगातार नोटिस जारी किए गए थे। पुलिस प्रशासन ने क्षेत्र में फ्लैग मार्च भी किया, इस दौरान भी कुछ लोग हंगामा कर रहे थे। वहीं जब 8 फरवरी को प्रशासन ने अतिक्रमण हटाना शुरू किया तो उपद्रवियों ने पुलिस और पत्रकारों पर हमला बोल दिया।

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