2024 के लोकसभा चुनाव का आगाज हो चुका है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हुआ, और दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को होने वाला है। इस दौरान सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार का अभियान जारी रखा है। इसी क्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में अपने भाषण में यह दावा किया कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में किसी भी दलित या आदिवासी समाज का व्यक्ति को नहीं देखा गया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, ‘राम मंदिर और संसद भवन के उद्घाटन में किसी भी दलित, आदिवासी को नहीं देखा गया; 90 प्रतिशत जनसंख्या इसे समझती हैं।‘
Not a single Dalit, tribal seen at Ram temple, Parliament building inauguration; 90 pc population understands this: Rahul Gandhi
— Press Trust of India (@PTI_News) April 24, 2024
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फैक्ट चेक
दावे की पड़ताल करने के लिए हमने मामले से संबंधित न्यूज़ रिपोर्ट सर्च किया जिसके बाद हमें आजतक द्वारा प्रकशित 4 जनवरी 2024 की रिपोर्ट मिली। आजतक के मुताबिक, अयोध्या में नए राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में मेहमानों को न्योते भेजे जा रहे हैं। मेहमानों की सूची में करीब 150 समुदायों से जुड़े लोगों को शामिल किया गया है। इन सभी के पास अब न्योते मिलने की पुष्टि होने लगी है। ट्रस्ट ने दलित, आदिवासी, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब परिवार और मंदिर निर्माण में जुटे श्रमिकों तक को बतौर मेहमान कार्यक्रम में बुलाया है।
इसके अलावा हमें 21 जनवरी 2024 को प्रकाशित इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के अनुसार, देश भर से विभिन्न जातियों और वर्गों के कुल 15 जोड़े सोमवार को अयोध्या में राम लला की “प्राण प्रतिष्ठा” के दौरान “यजमान” (यजमान) का कर्तव्य निभाएंगे। जोड़ों में दलित, आदिवासी, ओबीसी (यादव सहित) और अन्य जातियां शामिल होंगी।‘
इंडियन एक्सप्रेस ने आगे लिखा, ‘ आदिवासी समुदाय से आने वाले खराड़ी उदयपुर के रहने वाले हैं। तीन यजमान पीएम नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी से हैं. इनमें काशी के डोम राजा अनिल चौधरी भी शामिल हैं। सूची में अन्य नाम हैं असम के राम कुई जेमी, सरदार गुरु चरण सिंह गिल (जयपुर), कृष्ण मोहन (हरदोई, रविदासी समाज से), रमेश जैन (मुल्तानी), अदलारसन ( तमिलनाडु ), विट्ठलराव कांबले ( मुंबई ), महादेव राव गायकवाड़ (लातूर, घुमंतु समाज ट्रस्टी), लिंगराज वासवराज अप्पा ( कर्नाटक में कालाबुरागी ), दिलीप वाल्मिकी ( लखनऊ ), और अरुण चौधरी (हरियाणा में पलवल)।‘
आज तक और द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि 22 जनवरी को हुए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में दलितों और आदिवासियों को न केवल आमंत्रित किया गया था, बल्कि उन्हें यजमान भी बनाया गया था।
नई दुनिया और नव भारत टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘छत्तीसगढ़ से रामनामी समुदाय से जुड़े लोगों को भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित किया गया है। हमे इंस्टाग्राम पर साझा की गई एक तस्वीर मिली, जिसमें दिखाया जा सकता है कि रामनामी समुदाय के लोग अयोध्या मंदिर में राम लला की दर्शन करने के लिए गए हुए हैं।
रामनामी संप्रदाय की शुरुआत उस दौर में हुई जब भारत में छुआछूत का असर बहुत ज्यादा था। दलित या अछूत मानी जाने वाली जातियों को मंदिरों में प्रवेश और पूजापाठ का अधिकार नहीं था। मंदिन में प्रवेश या पूजा करने पर सजा दी जाती थी। ऐसे दौर में एक दलित युवक परशुराम ने इस संप्रदाय की शुरुआत की।
निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट होता है कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में आदिवासी और दलित समाज के लोगों को आमंत्रित किया गया और उन्हें यजमान बनाया गया था, साथ ही छत्तीसगढ़ के रामनामी समाज के लोगों को भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता दिया गया था।
दावा | राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में दलित, आदिवासी और रामनामी समाज को आमंत्रित नहीं किया गया था |
दावेदार | राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह |
फैक्ट चेक | गलत |