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Home विशेष अग्निवीर सैनिक अमृतपाल सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर क्यों नहीं दिया गया?
विशेष

अग्निवीर सैनिक अमृतपाल सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर क्यों नहीं दिया गया?

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जम्मू कश्मीर के पुंछ में ड्यूटी के दौरान बलिदान देने वाले 19 साल के अग्निवीर अमृतपाल सिंह को लेकर हंगामा मचा हुआ है। आरोप है कि भारतीय सेना ने अग्निवीर जवान को सम्मान नहीं दिया, इसे शहीद का अपमान बताया जा रहा है। साथ ही अग्निवीर योजना पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं।

भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवासन बीबी ने एक्स पर लिखा, ‘पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए। वो कश्मीर में तैनात थे, 10 अक्टूबर को गोली लगने से वे शहीद हो गए। दुखद ये है कि देश के लिए शहीद होने वाले अमृतपाल जी को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई। उनका पार्थिव शरीर एक आर्मी हवलदार और दो जवान लेकर आए। इसके अलावा आर्मी की कोई यूनिट तक नहीं आई। यहां तक कि उनके पार्थिव शरीर को भी आर्मी वाहन के बजाए प्राइवेट एंबुलेंस से लाया गया। ये देश के शहीदों का अपमान है।’

कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा, ‘पंजाब के 19 वर्षीय अमृतपाल सिं अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए। कश्मीर में 10 अक्टूबर को गोली लगने से वे शहीद हो गए। यहाँ उनकी बहनें कंधा दे रही हैं। इनके लिए ना सैन्य सम्मान ना आर्मी की कोई यूनिट। वो शहीद हैं – पर ये अग्निवीर योजना की असलियत’

इस्लामिस्ट पत्रकार वसीम अकरम त्यागी ने लिखा, ‘अग्निपथ योजना के तहत अमृतपाल सिंह सेना में भर्ती हुए थे, अपना फर्ज़ निभाते हुए वो शहीद हो गए। विडंबना यह कि उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई।’

वामपंथी पत्रकार रणविजय सिंह ने लिखा, ‘कश्मीर में तैनात एक अग्निवीर की गोली लगने से मौत हो गई. अग्निवीर का नाम अमृतपाल सिंह था. उनका शव एक हवलदार और जवान गांव लेकर पहुंचे. खबरों के मुताबिक, उनके अंतिम संस्कार के दौरान आर्मी की ओर से कोई सलामी नहीं दी गई. समाज के प्रबुद्ध लोगों की दखल पर लोकल पुलिस ने सलामी दी.’

वामपंथी अशोक कुमार पाण्डेय ने लिखा, ‘कम से कम शहीद होने वाले अग्निवीर सैनिकों को ‘शहीद’ का दर्जा, सम्मान और उसके आश्रितों के लिए एकमुश्त रक़म/पेंशन का इंतज़ाम तो करना ही चाहिए। क्या फ़ायदा कि जब हम ग़रीब देश थे तो सैनिकों को पेंशन, शहादत पर आश्रितों को पेंशन, पेट्रोल पंप, सैनिक सम्मान देते थे और आज जब न्यू इंडिया के दावे हैं तो देने के लिए कुछ नहीं है। देश के लिए अपने युवा बच्चों को खो देने वाले परिवारों से उनका गौरव तो मत छीनिए।’

सदफ आफरीन ने लिखा, ‘दुःखद अग्निवीर अमृतपाल सिंह(19), कश्मीर में तैनात थे! गोली लगने से वे शहीद हो गए! उनका पार्थिव शव 1 हवलदार और 2 आर्मी प्राइवेट एंबुलेंस में लेकर आए! न आर्मी वाहन और न आर्मी की तरफ से कोई सलामी दी गई! लोगो के आवाज़ उठाने पर लोकल पुलिस ने सलामी दी!’

हंसराज मीना ने लिखा, ‘पंजाब के 19 वर्षीय अमृतपाल सिंह 10 दिसंबर 2022 को ‘अग्निवीर’ बने थे। 11 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर में गोली लगने से शहीद हो गए। जवान का पार्थिव शरीर सेना के वाहन की बजाय एंबुलेंस में आया। गार्ड ऑफ ऑनर भी सेना की टुकड़ी ने नहीं दिया। ये शहीद का अपमान है। शर्मनाक।’

कांग्रेस समर्थक संदीप सिंह ने लिखा, ‘पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए। वो कश्मीर में तैनात थे, 10 अक्टूबर को गोली लगने से वे शहीद हो गए। दुखद ये है कि देश के लिए शहीद होने वाले अमृतपाल जी को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई। उनका पार्थिव शरीर एक आर्मी हवलदार और दो जवान लेकर आए। इसके अलावा आर्मी की कोई यूनिट तक नहीं आई। यहां तक कि उनके पार्थिव शरीर को भी आर्मी वाहन के बजाए प्राइवेट एंबुलेंस से लाया गया। ये देश के शहीदों का अपमान है।’

कांग्रेस समर्थक शांतनु ने लिखा, ‘पंजाब के 19 वर्षीय अमृतपाल सिंह दिसंबर 2022 में अग्निवीर के रूप में सेना में शामिल हुए। वह इसी बुधवार को जम्मू-कश्मीर में अपनी ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए। उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया गया क्योंकि मोदी सरकार द्वारा लाए गए अग्निवीर के नियम के अनुसार वह सरकारी सेवक नहीं हैं।’

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लिखा, ‘पंजाब के अग्निवीर शहीद अमृतपाल सिंह के पार्थिव शरीर को न तो सैन्य-सम्मान मिला न राजकीय-सम्मान। ये एक त्रुटिपूर्ण सैन्य-भर्ती का दुष्परिणाम है। सैनिकों को उनका यथोचित सम्मान हर दशा-अवस्था में मिलना ही चाहिए। हम इस शहादत को शत-शत नमन करते हैं। हम अग्निवीर योजना के अपने विरोध को पुनः रेखांकित करते हैं और परम्परागत भर्ती की पुनर्बहाली की माँग उठाते हैं। देश की सुरक्षा व देश के युवा के भविष्य के साथ हमें कोई भी समझौता मंज़ूर नहीं। जय हिंद!’

इसके अलावा आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्र शेखर आजाद, समाजवादी पार्टी समर्थक अश्विनी यादव, हर्ष छिकारा, पुनीत कुमार सिंह, रमनदीप सिंह मान ने भी अग्निवीर योजना पर सवाल उठाए हैं।

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फैक्ट चेक

पड़ताल में हमने सम्बंधित कीवर्ड्स को गूगल पर सर्च किया तो 11 अक्टूबर को 2023 को अमर उजाला पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक पुंछ जिले के मेंढर उपमंडल के मनकोट इलाके में एलओसी के पास सिपाही (अग्निवीर) अमृतपाल सिंह संतरी के तौर पर ड्यूटी कर रहे थे। इस दौरान गोली लगने से उनकी मौत हो गई। एक पुलिस अधिकारी ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि यह घटना दुर्घटनावश लगी आग, आत्महत्या या किसी अन्य कारण से हुई, इसकी पुष्टि की जा रही है।

दैनिक जागरण पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ड्यूटी के दौरान अग्निवीर अमृतपाल सिंह को गोली लगी और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। अधिकारियों ने कहा कि पुलिस ने घटना का संज्ञान लिया है और जांच शुरू कर दी है। पुलिस उनकी मौत के कारणों का खुलासा करने में जुटी हुई है। पुलिस इस बात का पता लगा रही है कि सैनिक की मौत आत्महत्या के कारण हुई या किसी अन्य कारण से।

इसके बाद हमे भारतीय सेना की 16वीं कोर ‘व्हाइट नाईट कोर’ के ऑफिशल एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट मिला। 14 अक्टूबर 2023 की इस पोस्ट में लिखा है, ‘अग्निवीर अमृतपाल सिंह की 11 अक्टूबर 23 को मृत्यु एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। अमृतपाल की मौत राजौरी सेक्टर में ड्यूटी के दौरान खुद को लगी गोली लगी थी। जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पार्थिव शरीर जूनियर कमीशंड अधिकारी के साथ चार अन्य रैंक के लोगों के साथ एक सिविल एम्बुलेंस से घर पहुंचाया गया। अंतिम संस्कार में उनके साथ सेना के जवान भी शामिल हुए। चूंकी मौत का कारण खुद से लगी चोट थी। ऐसे में वर्तमान नीति के मुताबिक अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें कोई गार्ड ऑफ ऑनर या सैन्य अंतिम संस्कार की प्रक्रिया नहीं की गई। भारतीय सेना शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती है।’

इसके बाद भारतीय सेना के ऑफिसल एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट मिला। 15 अक्टूबर 2023 के इस पोस्ट में बताया गया है कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। अमृतपाल के अंतिम संस्कार में गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया क्योंकि खुद को पहुंचाई गई चोटों से होने वाली मौत के मामले में यह सम्मान नहीं दिया जाता है।

भारतीय सेना ने कहा है कि किसी सैनिक की आत्महत्या या खुद से लगी चोट के कारण होने वाली मौत की घटना होने, सेना में एंट्री के तरीके की परवाह किए बिना सैनिक को उचित सम्मान दिया जाता है। हालांकि, ऐसे मामले 1967 के सेना आदेश के अनुसार सैन्य अंत्येष्टि के हकदार नहीं हैं। इस नीति का बिना किसी भेदभाव के लगातार पालन किया जा रहा है।सेना के जारी किए आंकड़ों के अनुसार 2001 के बाद से हर साल 100-140 सैनिकों की मौत हुई है। ये मौतें आत्महत्या/खुद को लगी चोटों के कारण हुईं हैं। इसी तरह के मामलों में सैन्य अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं दी गई। अंतिम संस्कार के लिए वित्तीय सहायता के अलावा मृतक के पद के अनुसार मदद की जाती है।

चूँकि भारतीय सेना ने इस पोस्ट में मौत का कारण आत्महत्या बताया है इसीलिए हमने यह जानने की कोशिश कि क्या वाकई ऐसे मामलों में गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाता है।

पड़ताल में हमे सबसे पहले टीवी9 भारतवर्ष पर 26 मार्च 2022 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के गोरखपुर निवासी एक जवान धनंजय यादव की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी थी। सेना का कहना था कि धनंजय यादव ने आत्महत्या की थी जबकि परिजन कहना था कि कि वो आतंकियों के हमले में शहीद हुए। इस मामले में सेना ने गार्ड ऑफ ऑनर के साथ सम्मान से इनकार कर दिया था। जिसके बाद परिजनों ने शव को सड़क पर रखा चक्काजाम कर दिया। आगजनी और पत्थरबाजी भी की गयी। हालाँकि परिजनों के हिंसक विरोध के बाद सैन्य सम्मान के साथ धनंजय यादव का अंतिम संस्कार हुआ।

इसके अलावा हमे 26 अगस्त 2023 को जी न्यूज पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के चुरू निवासी सैनिक करण सिंह ने आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद परिजनों ने सैनिक को शहीद का दर्जा देने एवं गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम संस्कार करने आदि मांगों को लेकर शव लेने से इनकार कर दिया था।इसके बाद सेना ने करण सिंह के परिवारजन को कोलकाता बुलाकर घटना सम्बधी सहयोग का आश्वासन दिया तथा गार्ड ऑफ ऑनर की बात पर बताया कि सेना के नियमों अनुसार आत्महत्या करने वाले सैनिक को गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जा सकता है तथा गाइडलाइन भी दिखाई गई। इसके बाद वार्ता में सहमति बनी और सैनिक का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि संदिग्ध मौत और आत्महत्या के मामले में सेना की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर सम्मान का प्रावधान नहीं है। गौर करने वाली बात है कि धनंजय यादव और करण सिंह अग्निवीर योजना से पूर्व सेना में भर्ती हुए थे और उनके मामले भी सेना ने गार्ड ऑफ़ ऑनर से इनकार किया था यानि यह नियम अग्निवीर भर्ती से पहले से लागू है।

दावाअग्निवीर सैनिक होने की वजह से अमृतपाल सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया
दावेदारश्रीनिवासन बीवी, सुप्रिया श्रीनेत, सदफ आफरीन, अखिलेश यादव, संदीप सिंह समेत अन्य
फैक्ट चेकभ्रामक
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