भगवा लव ट्रैप जैसे कॉन्सपिरेसी थेओरी की वजह से ना जाने कितने मुस्लिम लड़कियों के साथ बदसुलूकी की गई। ऐसी कई वीडियो आई है जिसमें इस्लामिक कट्टरपंथियों ने सरेआम मुस्लिम लड़कियों को बेइज्जत किया है और बस इसलिए लिए क्योंकि उसका दोस्त हिंदू होता था। ज़ुबैर जैसे जिहादियों ने भी लिबरल नकाब पहनने के लिए भगवा लव ट्रैप को कट्टरपंथी दिमाग का उपज बताया है, लेकिन अफ़सोस इस्लामिस्टों द्वारा बोया गया यह जहर समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। इसी क्रम में उत्तरप्रदेश की एक जोड़े, नितिन और शबनम की कहानी सुर्खियां बटोर रही है।
उत्तरप्रदेश के औरैया जिले के रहने वाले नितिन और शबनम ने अपने घर वालों के मर्जी के खिलाफ जाकर थाने परिसर में शादी कर डाली। हमेशा की तरह इस्लामिस्ट चरमपंथियों ने नितिन और शबनम की शादी को भगवा लव ट्रैप करार दिया। सोशल मीडिया पर शबनम की फैसले की निंदा होनी लगी है।
उग्रवादी आमिर अंसारी ने लिखा, “ लानत हो ऐसी औलाद पर जो मां-बाप को दुख पहुंचा और उनकी इज्जत को मिट्टी में मिलाए
मेरा दिल अब बेटियों की तरफ से बिलकुल सख्त हो रहा है
अल्लाह से दुआ है कि वह मेरे पूरे खानदान में बेटी ना दे और खुद का शुक्र है कि उसने मुझे आज तक बेटी नहीं दी”
कट्टरपंथियों के साथ ही मुख्यधारा मीडिया चैनल आजतक ने भी नितिन और शबनम की विवाह को अंतरधार्मिक विवाह का नाम दिया।
उत्तरप्रदेश के औरैया जिले में हुआ नितिन और शबनम का विवाह वहां के स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। सोशल मीडिया पर भी शादी का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में नितिन ने भगवा लव ट्रैप के तहत शबनम से शादी रचाया है?
यह भी पढ़े: मंदिर में मुस्लिम महिलाओं ने पढ़ी नमाज, बीमारी से निजात के लिए मंदिर में प्रार्थना करने दवा झूठा
नितिन और शबनम की विवाह कि जानकारी प्राप्त करने हेतु हमने इस मामले से संबंधित न्यूज़ रिपोर्ट पढ़े। भारत एक्सप्रेस ने इस मामले पर प्रकाश डालते हुए लिखा, “दिबियापुर कस्बे के संजय नगर में शबनम और नितिन रहते हैं दोनों पिछले कई सालों से एक दूसरे को जानते थे और प्रेम करते थे। धीरे-धीरे दोनों को लगा कि दोनों एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकेंगे और उनको शादी कर लेनी चाहिए। इसी के बाद दोनों ने शादी करने का फैसला ले लिया। हालांकि दोनों की बिरादरी अलग-अलग थी, लेकिन दोनों ने ही अपनी खुशी के लिए परिवार वालों की चिंता किए बगैर शादी करने का फैसला लिया।हालांकि युवती के घर वाले इस शादी के खिलाफ थे लेकिन शबनम और नितिन ने फैसला लिया और फिर दोनों थाने के मंदिर में पहुंच गए और पंडित को बुलाकर पूरे विधि-विधान से शादी कर ली।
भारत एक्सप्रेस ने आगे अपनी रिपोर्ट में शबनम का पूरा नाम का जिक्र किया- शबनम यादव। भारत एक्सप्रेस के मुताबिक, शबनम यादव ने बताया कि उसके पिता इस शादी के खिलाफ थे। इसलिए शादी मंदिर में की है। वहीं इस पूरे मामले को लेकर दिबियापुर थाने के सब इस्पेक्टर देवेंद्र ने मीडिया को बताया कि, दोनों बालिग हैं और दोनों ने थाने में आकर पहले ही अपनी शादी की बात बता दी थी और ये भी बताया था कि, घर वाले राजी नहीं हैं।
भारत एक्सप्रेस की रिपोर्ट ने साफ कर दिया कि शबनम मुस्लिम समुदाय से नहीं बल्कि हिंदू धर्म से जुड़ी है। शबनम का पूरा नाम शबनम यादव है।
जब यह मामला तूल पकड़ने लगा तो उत्तरप्रदेश, औरैया पुलिस ने अंतरधार्मिक विवाह के अफवाह का खंडन किया। औरैया पुलिस ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए लिखा, “सोशल मीडिया पर वायरल खबर “युवक व युवती द्वारा मन्दिर में विवाह किया गया जिन्हें अलग-अलग समुदाय का बताया जा रहा है।” का खण्डन करते हुए अवगत कराना है कि उक्त दोनो युवक व युवती एक ही धर्म से सम्बन्धित है। दोनो युवक व युवती का अलग- अलग धर्म का बताया जाना असत्य है। अतः सोशल मीडिया सेल, औरैया उक्त प्रसारित खबर का खण्डन करती है तथा आग्रह किया जाता है कि इस तरह की असत्य, भ्रामक खबरे प्रसारित न करें अन्यथा आपके विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जायेगी ।”
न्यूज़ रिपोर्ट और औरैया पुलिस की बयान इस बात की पुष्टि करते है कि शबनम हिंदू है। यानी नितिन के ऊपर लग रहें भगवा लव ट्रैप का इल्ज़ाम बेबुनियाद है।
ट्विटर पर कट्टरपंथी आमिर अंसारी ने शबनम के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया साथ ही प्रेम विवाह को भगवा लव ट्रैप का नाम देकर नितिन को इस्लामिस्ट चरमपंथियों का टारगेट बना दिया। आमिर अंसारी के साथ ही आजतक ने क्लिक बेट के खातिर भ्रम फैला रहा है। यह मुख्यधारा मीडिया के स्तर से नीचे की करतूत है।
दावा | उग्रवादी आमिर अंसारी और यूपी तक ने दावा किया कि शबनम मुस्लिम है |
दावेदार | आमिर अंसारी, यूपी तक |
फैक्ट चेक | फर्जी |
यह भी पढ़े: माजिद हैदरी की गिरफ्तारी को मेहबूबा मुफ्ती ने बताया गैरकानूनी, फैक्ट चेक में पकड़ा गया झूठ
प्रिय पाठकों, हम भारत के खिलाफ फर्जी खबरों को उजागर करने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। हमारे पास अन्य लोगों की तरह कोई कॉर्पोरेट फंडिंग नहीं है। आपका छोटा सा सहयोग हमें और आगे बढ़ने में मदद करेगा। आप हमें लिविक्स मीडिया फाउंडेशन क्यूआर कोड द्वारा भी सहयोग कर सकते हैं।
This website uses cookies.