यह बात किसी से छिपी नहीं है कि इस्लाम पंथ विस्तार में विश्वास रखता है। भारत से लेकर लेबनॉन तक और यूरोप से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक आपको समान प्रवृत्ति देखने को मिलेगा। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में अवैध रूप से इस्लाम का विस्तार करना मौलवियों के लिए एक चुनौती भरा राह हो गया है। हिंदू संगठनों को तत्परता से इसका विरोध करते हुए देखा जा रहा है। इसी तात्पर्य से जुड़ा एक मामला सुर्खियां बटोर रहा है। ट्विटर पर इस्लामिक कट्टरपंथियों दावा कर रहें हैं कि देहरादून के मसूरी में हिंदू संगठनों ने एक मुस्लिम व्यक्ति को अपने घर में नमाज अदा करने से रोका है।
इस्लामिक कट्टरपंथी ट्विटर हैंडल हिंदुत्व वॉच ने एक वीडियो साझा कर लिखा, “बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों ने मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की आवासीय योजना के तहत आवंटित फ्लैटों में से एक में मुस्लिमों द्वारा नमाज अदा करने को लेकर प्राधिकरण के खिलाफ एक और विरोध प्रदर्शन किया और दावा किया कि इसे मस्जिद में तब्दील किया जा रहा है।”
हिंदुत्व वॉच के ट्वीट का हवाला देते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्लाह ने लिखा, “लोगों को अपने घरों की गोपनीयता में प्रार्थना करने की अनुमति नहीं है और फिर भी हमारे नेता इस बात पर जोर देते हैं कि “भारत किसी भी धार्मिक भेदभाव से मुक्त है”।”
इस्लामिक जिहादी और फेक न्यूज़ पेडलर अली सोहराब ने दावा किया, “ भारत के उत्तराखंड के देहरादून में अपने फ्लैट में मुसलमान द्वारा नमाज पढ़ने को लेकर हुनूड उग्रवादी समूह बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के उग्रवादियों ने विरोध प्रदर्शन किया।”
इसके अलावा विदेशी धरती पर बैठ कर हिंदुओं के खिलाफ ज़हर उगलने वाली संस्था इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने ट्वीट कर लिखा, “बजरंग दल और वीएचपी ने लगातार दूसरी बार मसूरी देहरादून अथॉरिटी के खिलाफ प्रदर्शन किया है। इन हिंदुत्व संगठनों का आरोप है कि जो घर मुसलमानों को दिए गए हैं उनमें से एक घर में कई मुसलमान एक साथ नमाज़ पढ़ते हैं। हिंदुत्व संगठनों को ऐसा लगता है कि उस घर को मुस्लिम मस्जिद में न तब्दील कर दें। कमाल है।”
ऊपर उल्लेख किए गए कट्टरपंथियों से अलग कुछ कुछ और इस्लामिक अराजक तत्वों ने समान दावे के साथ पोस्ट साझा किया। आप इन्हें यहां, यहां और यहां देख सकते हैं।
इस्लामिक जिहादियों द्वारा किए जा रहें दावे अपने आप में रोचक है। दावा है कि मुस्लिम को अपने घर में नमाज अदा करने से रोका जा रहा है। यह दावा गले से नीचे नहीं उतर रहा है, ऐसे में हम इस खबर की पड़ताल की प्रक्रिया को प्रारंभ कर रहें है।
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फैक्ट चेक
देहरादून मसूरी से आ रही वायरल खबर की पुष्टि करने हेतु हमें खबर से जुड़ा उपयुक्त न्यूज़ रिपोर्ट मिला। न्यूज़ ट्रैक लाइव ने अपनी प्रकाशित रिपोर्ट में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट शिव कुमार बरनवाल द्वारा दिए गए कथन का जिक्र किया है।
शिव कुमार बरनवाल ने कहा कि, “देहरादून में एक गृहस्वामी ने फ्लैट की छत 4-5 फुट ऊंची कर दी, दो फ्लैट के बीच की दीवार हटा दी तथा इसे मस्जिद-मदरसा के तौर पर उपयोग करना आरम्भ कर दिया।”
रिपोर्ट में आगे लिखा है कि आवासीय घर के अंदर धोखे से मस्जिद बनाने के कारण हिन्दुओं के अंदर नाराजगी है। हिंदू संगठनों ने तत्काल प्रभाव से फ्लैट को सील करने की मांग उठाई किन्तु MDDA (मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण) के सचिव मोहन सिंह बरनिया ने घर के मालिक को आवास को उसके मूल स्वरूप में लाने के लिए एक सप्ताह का समय दे दी है।
ईटीवी भारत ने हिंदू जागरण मंच और देवभूमि रक्षा मंच की बातों का हवाला देते हुए लिखा कि, “ देहरादून की DM सोनिका ने भी ADM द्वारा लगाए जा रहें आरोप को सही ठहराया है। मुस्लिमों ने आवासीय फ्लैट के अंदर मस्जिद का गैर कानूनी निर्माण किया है। उन्होंने में भी फ्लैट को सील करने की बात कहीं है, लेकिन इसके बावजूद MDDA ने फ्लैट सील नहीं किया है।”
Organiser ने भी इस मामले पर रिपोर्टिंग करते हुए लिखा, “ इसके अलावा, साइट पर एक बड़ी पानी की टंकी का निर्माण किया गया है, जो प्रारंभिक रूप से सरकारी जल निगम विभाग की प्रतीत होती है। लेकिन, मिली जानकारी में बताया गया है कि मदरसा कमेटी द्वारा अवैध तरीके से पानी टंकी का निर्माण कराया गया था।”
रिपोर्टों के अनुसार, इस क्षेत्र में स्थापनाएं: मदरसा, मस्जिद और पानी की टंकी का निर्माण विकास प्राधिकरण के निर्माण दिशानिर्देशों का उल्लंघन करके किया गया था।
उपर्युक्त तीनों रिपोर्ट के आधार पर यह निष्कर्ष निकालना उचित होगा कि, देहरादून मसूरी में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आवासीय फ्लैट को तोड़कर गैर- कानून ढंग से मस्जिद/ मदरसा का निर्माण किया है। गैर कानून ढंग से निर्माण के जवाब में हिंदू संगठनों ने मुस्लिम समुदाय और MDDA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। अथार्थ, ट्विटर पर मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा किए जा रहें दावे फर्जी है, भ्रामक है और बेबुनियाद है।
यह पूरा प्रकरण इस्लामिक इकोसिस्टम का एक नमूना है कि कैसे पहले मुस्लिमों ने गैर कानूनी मस्जिद का निर्माण किया और जब उनका सामाजिक और कानूनी तौर पर विरोध किया गया तो सोशल मीडिया पर एक्टिव दूसरे कट्टरपंथियों की मदद से विक्टिमहुड (victimhood) का पाखंड रचने की साज़िश शुरू कर दिया।
दावा | कट्टरपंथियों ने दावा किया कि देहरादून मसूरी में मुस्लिमों को घर में नमाज अदा करने नहीं दिया जा रहा है |
दावेदार | ओमर अब्दुल्लाह, हिंदुत्व वॉच, इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल एवं अन्य इस्लामिक चरमपंथी |
फैक्ट चेक | फर्जी और भ्रामक |
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