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मलंग गढ़ दरगाह परिसर में ‘जय श्री राम’ के नारे में सांप्रदायिक एंगल नहीं

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30 मार्च 2023 को पत्रकार मीर फैजल ने ट्विटर पर एक विडियो साझा कर दावा किया कि महाराष्ट्र में, हिंदुत्ववादियों ने मलंग गढ़ में पुलिस की उपस्थिति में दरगाह हाजी अब्दुलरेहम मंगल शाह परिसर में प्रवेश किया और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए।

https://twitter.com/meerfaisal01/status/1641448370521903113?s=20

ट्विटर यूजर वेनिलाएसेंस ने मीर फैजल के इस ट्विट को साझा कर लिखा कि, इस देश में हमारे पास कितने अच्छे व्यवहार वाले आज्ञाकारी पुलिसकर्मी हैं जो ऐसे तमाशबीन बनकर खड़े रहते हैं।

https://twitter.com/vaniIlaessence/status/1641641803400245248?s=20

हिंदूविरोधी लेखक और फिल्मनिर्माता विनोद कापरी ने भी मीर फैजल के ट्विट को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को टैग कर लिखा, “महाराष्ट्र में कानून और संविधान का राज हैं कि नही?”

न्यूज पोर्टल रेडिट ने अपनी एक रिपोर्ट में इस विडियो के लिखा कि आखिर पुलिस क्यों कुछ नहीं कर रही? यदि ऐसा कुछ मुसलमानों द्वारा किया जाता तो जरा सोचिए उन्हें किस तरह के आक्रोश का सामना करना पड़ता।

स्त्रोत — रेडिट

हिंदू विरोधी पेज हिंदुत्ववॉच ने भी इस हिंदू चरमपंथीयो द्वारा मलंग गढ़ में दरगाह परिसर में केसरिया झंडे लहराने का दावा किया।

स्त्रोत – हिदुत्ववॉच

क्या विडियो को साझा कर किए दावे सच है? यदि दरगाह परिसर में तथाकथित उकसाने वाली नारे लगे है तो पुलिस इस पर कोई संज्ञान लेती क्यों नजर नहीं आ रही? क्या हिंदुत्ववादियों ने सामूदायिक द्वेष के कारण ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए है? इस तरह के सवालों के जवाब जानने के लिए हमने इसकी पड़ताल की।

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फैक्ट चैक

पड़ताल के हमनें इंटरनेट पर ‘मलंग गढ़ परिसर महाराष्ट्र’ सर्च किया तो हमें नवभारत टाइम्स हिंदी की 31 मार्च 2021 की एक रिपोर्ट मिली जो कि मलंग गढ़ विवाद को लेकर थी। इस रिपोर्ट के विश्लेषण से यह जानकारी मिली कि, हाजी मलंग के नाम से प्रसिद्ध इस पहाड़ी पर 80 के दशक से ही विवाद चलता आ रहा है।

गोरख नाथ पंथ को मानने वाले लोगों का कहना है कि यह नाथ पंथ के संत मछिंदर नाथ की समाधि है। वही दूसरे पक्ष का यह कहना है कि 13वीं सदी में यमन से आए सूफी संत सूफी फकीर हाजी अब्दुल रहमान शाह मलंग उर्फ मलंग बाबा की मजार है। दोनों ही पक्षों का जमीन के एक-एक हिस्से पर कब्जा है। इसे लेकर दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है।

28 मार्च 2021 को भी दोनों समुदायों के बीच धार्मिक कार्यक्रम को लेकर विवाद का मामला सामने आया था। समाधि स्थल पर आरती के समय दुसरे पक्ष ने धार्मिक नारे लगाए, जिससे दोनों पक्षों के बीच कहासुनी हो गई थी। जब मामला काफी बढ़ गया तो पुलिस ने इस मामले में केस भी दर्ज किया था।

स्त्रोत –नवभारत टाइम्स हिंदी

थोड़ी और पड़ताल पर इंडिया टीवी की एक और रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2021 को माघ पूर्णिमा के दिन आरती में ‘अल्लाह-हु-अकबर’ के नारे लगे थे। क्योंकि इस स्थान पर धार्मिक समुदायों के बीच विवाद है इसलिए पुलिस मूकदर्शक बनकर देखती रहीं।

स्त्रोत –इंडिया टीवी

मलंग गढ़ पर थोड़ी और पड़ताल करने पर हमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का 5 फरवरी 2023 का एक ट्विट मिला, जिसमें उन्होंने मंगल गढ़ स्थित श्री मछिंदरनाथ के दर्शन तथा आरती की तस्वीरे साझा की थी। मुख्यमंत्री शिंदे 5 फरवरी को ठाणे स्थित मलंग गढ़, मलंग यात्रा के दौरान गए थे।

हमारी पड़ताल से यह निष्कर्ष निकला कि, मलंग गढ़ में पुराने धार्मिक विवाद को लेकर पहले भी धार्मिक नारे लग चुके है। मलंग गढ़ मामले पर विवाद जरूर बना हुआ है, लेकिन दोनो पक्षों की अपनी अपनी आस्था है इसलिए सामूदायिक सौहार्द को नकारा नहीं जा सकता। अतः इस बार लगे धार्मिक नारों में भी कोई विशेष सामूदायिक कारण नहीं है।

दावा हिदुत्ववादियो ने दरगाह परिसर में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए
दावेदार मीर फैजल, वेनिलाएसेंस, विनोद कापरी, रेडिट, हिंदुत्ववॉच
फैक्ट चैकभ्रामक

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जय हिन्द

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