चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds) मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से मिला डेटा 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। इसी बीच पत्रकार पूनम अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि मैंने 5 अप्रैल 2018 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से दो इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे लेकिन चुनाव आयोग द्वारा जारी हालिया लिस्ट में बॉन्ड का तारीख 20 अक्टूबर 2020 है। इसके संदर्भ में पूनम ने चुनाव आयोग और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।
पत्रकार पूनम अग्रवाल ने लिखा, ‘मैंने अप्रैल 2018 में दो ElectoralBonds खरीदे थे, प्रति बॉन्ड की कीमत 1,000 रुपये। लेकिन डेटा में मेरा नाम 20 अक्टूबर 2020 के दिन के खरीदार के रूप में दिख रहा है। क्या यह एक त्रुटि, अयोग्यता है या मेरे हम नाम ने बॉन्ड खरीदा? यह एक बड़ा संयोग होगा। डेटा में एक छिपा हुआ नंबर संदेहों को दूर कर देता।’
I bought 2 #ElectoralBonds of Rs 1,000 each in April 2018. But the data shows my name as a purchaser of dated 20 Oct 2020. Is this an error, inaccuracy or my namesake purchased the bond. It will be a big coincidence.
— Poonam Agarwal (@poonamjourno) March 17, 2024
A unique hidden no. in d data would've cleared doubts. pic.twitter.com/tgwke2MEIj
पूनम अग्रवाल ने इस मामले पर वीडियो बनाकर शेयर करते हुए लिखा, ‘ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए, मैंने ElectoralBondsData में संभावित त्रुटि या अयोग्यता पर यह वीडियो अंग्रेजी में बनाया है।’
वहीं कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा, पूनम का नवीनतम खुलासा @TheOfficialSBI द्वारा साझा किए गए डेटा पर गंभीर संदेह उत्पन्न करता है। उन्होंने अप्रैल 2018 में बॉन्ड ख़रीदा, पर SBI के आँकड़े में वह अक्टूबर 2020 में दिख रहा है। कैसे?’
Kudos to @poonamjourno for some exceptional work on the bond scam
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) March 18, 2024
Her latest expose raises serious concerns on the data shared by SBI
उन्होंने अप्रैल 2018 में बॉण्ड ख़रीदा, पर @TheOfficialSBI के आँकड़े में वह अक्टूबर 2020 में दिख रहा है. कैसे? https://t.co/YxzM60MPFc
पत्रकार स्वाति मिश्रा ने लिखा, ‘पत्रकार पूनम अग्रवाल ने अप्रैल 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा. डेटा में पूनम अग्रवाल के नाम अक्टूबर 2020 में इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीदारी दिख रही है. पूनम पूछ रही हैं कि ये कोई गड़बड़ी है या दुर्लभ संयोग कि उनके नाम वाली किसी और महिला ने उतने का ही बॉन्ड खरीदा. क्या एसबीआई बताएगा?’
पत्रकार पूनम अग्रवाल ने अप्रैल 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा. डेटा में पूनम अग्रवाल के नाम अक्टूबर 2020 में इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीदारी दिख रही है. पूनम पूछ रही हैं कि ये कोई गड़बड़ी है या दुर्लभ संयोग कि उनके नाम वाली किसी और महिला ने उतने का ही बॉन्ड खरीदा. क्या एसबीआई बताएगा? https://t.co/CfsRIirhFJ
— Swati Mishra (@swati_mishr) March 17, 2024
कांग्रेस नेता श्रीनिवास ने लिखा, ‘मोदी की गारंटी। एसबीआई के साथ मिलकर डेटा में भी स्कैम’
Modi Ki Guarantee!
— Srinivas BV (@srinivasiyc) March 17, 2024
SBI के साथ मिलकर Data में भी Scam 👇 https://t.co/Fm9wqoJnXG
वामपंथी पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने लिखा, ‘यह बेहद अयोग्य है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने भारत के सबसे बड़े बैंक के रूप में अपनी विश्वसनीयता को नष्ट कर दिया है। अब यह केवल भाजपा की हथियार है।’
वामपंथी पत्रकार गोविंद प्रताप सिंह ने लिखा, ‘ये एक गंभीर मसला है. अगर इलेक्टोरल बॉन्ड एक ही व्यक्ति ( पूनम) द्वारा खरीदा गया है, तो खरीद की तारीख अलग-अलग कैसे हो सकती है!’
ये एक गंभीर मसला है.
— Govind Pratap Singh | GPS (@govindprataps12) March 17, 2024
अगर इलेक्टोरल बॉन्ड एक ही व्यक्ति (@poonamjourno) द्वारा खरीदा गया है, तो खरीद की तारीख अलग-अलग कैसे हो सकती है! https://t.co/LIQVVEwX8i
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फैक्ट चेक
पूनम अग्रवाल द्वारा किए गए दावों की जाँच के दौरान हमें द क्विंट के यूट्यूब चैनल पर 27 अक्टूबर 2020 का एक वीडियो मिला। इस वीडियो में पूनम अग्रवाल सरकार राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने की इलेक्टोरल बॉन्ड नीति पर सवाल उठा रही हैं। मुख्य बात यह है कि पत्रकार पूनम वीडियो में दावा करती हैं कि उन्होंने 20 अक्टूबर 2020 को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा था। इस वीडियो ‘Electoral Bond- A Threat To Democracy But Nothing Has Changed‘ में पूनम कहती है कि हमने भी एक 20 अक्टूबर 2020 को एक हज़ार रुपए का स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पार्लियामेंट स्ट्रीट ब्रांच से इलेक्टोरल बांड खरीदा। हमने बांड को अल्ट्रावॉयलेट लाइट के सामने, जिसके बाद हमें पता चला कि बांड के अंदर एक छिपा हुआ अल्फा न्यूमेरिक कोड है।
हालांकि पत्रकार पूनम अग्रवाल द्वारा फैलाई जा रही भ्रामक खबर का पर्दाफाश होने पर उन्होंने कोरोना काल और अपनी कमजोर यादाश्त का हवाला दिया और झूठ फैलाने को लेकर माफी मांग ली।
One can blame it on my poor memory. 2020 was COVID outbreak year, many things were happening. Maybe that's why I don't remember it. My apologies for my poor memory. 🙏
— Poonam Agarwal (@poonamjourno) March 18, 2024
निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट होता है कि पूनम अग्रवाल ने 20 अक्टूबर 2020 को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से इलेक्टोरल बांड खरीदा था न कि 5 अप्रैल 2018 को। पूनम अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाने के उद्देश्य से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और सरकार पर निराधार भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।
दावा | स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी की गई इलेक्टोरल बांड की लिस्ट में भ्रष्ट है |
दावेदार | पूनम अग्रवाल, सुप्रिया श्रीनेत एवं अन्य |
फैक्ट चेक | गलत |
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