धर्म

कानपुर बौद्ध कथा विवाद: आखिर झूठ क्यों बोल रही यूपी पुलिस?

उत्तर प्रदेश के कानपुर में बौद्ध कथा पर हमले का मामला बीते दिनों से चर्चा का विषय है। साढ़ थाना क्षेत्र के पहेवा गांव 15 दिसम्बर से नौ दिवसीय बुद्ध धम्म एवं अंबेडकर ज्ञान का आयोजन किया गया। आरोप है कि 19 दिसम्बर 2023 को इस कथा पर सवर्ण समाज के लोगों ने हमला कर दिया, उन्होंने तोड़फोड़ और फायरिंग भी की। इस घटना के मामले में पुलिस ने कथा आयोजक राम सागर पासवान की तहरीर पर 8 लोगों के खिलाफ बलवा, मारपीट, डकैती, SC-ST एक्ट समेत अन्य गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है। इन 8 आरोपियों में चन्द्रभान मिश्रा, गोलू मिश्रा, शिवम मिश्रा, जीतू मिश्रा, किन्नर मिश्रा, विशम्भर मिश्रा, मनीष तिवारी शामिल है।

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक गांव के रहने वाले सवर्ण समाज के लोगों ने घाटमपुर एसडीएम रामानुज को तहरीर देकर बुद्ध कथा में वर्ग विशेष को अपमानित करने और उनका पुतला बनाकर कालिक पोतने के साथ जूते की माला पहनाने का आरोप लगाया था। जिस पर उन्होंने अधिकारियों को बताया था कि इस कथा को लेकर गांव के लोगों में रोष व्याप्त है। अगर गांव में कथा हुई तो दोनों समुदाय के बीच दंगा हो सकता है।

सोशल मीडिया में एक पत्र भी वायरल है। इस पत्र में गांव निवासी और इस घटना में आरोपी चन्द्रभान मिश्रा ने 16 दिसम्बर 2023 को एसडीएम को बताया कि बुद्ध कथा में कुछ अराजक तत्वों द्वारा ब्राह्मण का पुतला बनाकर उसके मुंह पर कालिख पोतकर, जूते की माला पहनाकर दौड़ाया जाता है तथा पब्लिक के बीच में ब्राह्मण समाज को अपमानित किया जाता है। जो कि प्रक्रिया पिछले वर्ष भी की गयी थी। जिससे हम ब्राह्मण समाज में रोष व्याप्त है तथा दोनों समुदाय के बीच दंगा होने की सम्भावना है। अतः विनम्र प्रार्थना है कि उपरोक्त प्रकरण की जांच करवाकर बुद्ध कथा को रोका जाए।

वहीं इस पत्र के सम्बन्ध में कानपुर के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि हमने जाँच में पाया कि इस वर्ष ऐसी कोई चीज नहीं की जा रही है, पिछले वर्षों की जो भी चीजें हैं वो इस वर्ष नहीं देखी गयी हैं। यहाँ पुलिस तैनात थी, साथ ही कार्यक्रम की वीडियोग्राफी भी की गयी।

इस मामले सोशल मीडिया में एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो को पत्रकार शुभम शर्मा ने एक्स पर पोस्ट किया है। शुभम का दावा है कि यह वीडियो कानपुर के गांव पहेवा की बौद्ध कथा का है। इस वीडियो में एक अर्चना बौद्ध नाम की एक महिला कहती है कि दुर्गा ने हमारे राजा महिसासुर का कत्ल किया और उसी दुर्गा की पूजा मनुवादियों ने शुरू करवा दी। राम ने शम्भुक का कत्ल कर दिया, तो क्या वो भगवान है तुम्हारे लिए? इन मनुवादियों के जितने भगवान हुए हैं, इन्होने हमारे राजाओं का कत्ल किया है और इन मनुवादियों ने त्यौहार बना दिया।

शुभम के इस पोस्ट के जवाब में कानपुर पुलिस ने बताया है कि यह वीडियो पहेवा, कानपुर नगर का नहीं है। इस वीडियो का भलीभांति परीक्षण किया गया और पाया कि वीडियो में दिख रहा माइक, माइक के लाल रंग के तार, पीछे दिख रहा पंडाल, बैकड्राप, मंच की अवस्थिति आदि सभी अलग है। पहेवा कानपुर में चल रही बौद्ध कथा के दौरान प्रथम दिन से ही पुलिस की तैनाती रखी गयी है और साथ ही इस कार्यक्रम की वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी प्रकार की अमर्यादित टिप्पणी अथवा विद्देष मूलक वक्तव्य किसी के भी द्वारा नहीं दिए जा जाएँ। कानपुर पुलिस विधि के अनुरूप कार्यक्रमों का किया जाना सुनिश्चित कर रही है।

तो क्या वाकई यह वीडियो कानपुर के पहेवा गांव की बौद्ध कथा का नहीं है?

हमने इस सम्बन्ध में अपनी पड़ताल की। पड़ताल में हमे इस मामले में दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में दैनिक जागरण ने मंच की एक तस्वीर प्रकाशित की है, इसमें अर्चना बौद्ध को कथावचाक बताया गया है।

इसके बाद हमे अर्चना बौद्ध का फेसबुक पेज मिला। अर्चना की प्रोफाइल खंगालने पर पता चलता है कि वो एक बौद्ध कथावचाक हैं। वो कानपुर के पहेवा में बौद्धकथा में शामिल थीं। 19 दिसम्बर को हुए हमले के मामले में उन्होंने फेसबुक पर पुलिस अधिकारियों के साथ तस्वीर भी पोस्ट की है, जिससे पहेवा में उनकी मौजूदगी की पुष्टि होती है, इस तस्वीर के साथ उन्होंने लिखा है, ‘गायक अर्चना सिंह बौद्ध के गाथा मे ब्रह्माणो ने किया आतंक।’ कथावाचक अर्चना बौद्ध ने पहेवा में कथा के दौरान वीडियो को अपने फेसबुक पेज पर लाइव प्रसारित किया है।

15 दिसम्बर 2023 को रात 9:26 पर प्रसारित वीडियो में अर्चना ने,

33 सेकेंड्स पर कहा कि हमारे-तुम्हारे घर में अनेक देवी देवताओं की मूर्तियाँ पाई जाती हैं, उनके घर में क्या बाबा साहेब की तस्वीर मिलेगी क्या, नहीं मिलेगी न। लेकिन उनके समाज की नारियां कितनी बुद्दिमान हैं और हमारे समाज की नारियां बुद्दिमान नहीं है। 2:10 मिनट पर अर्चना ने कहा कि आपके सामने भी गुलामी रही होगी लेकिन तब भी आप उनका गुणगान करने में लगे हो। अगर इन भगवानों में शक्ति होती तो क्या आपकी गुलामी दूर करके नहीं जाते?

16 दिसंबर को प्रसारित वीडियो में अर्चना ने, 

1:24 मिनट पर कहा कि जितना बाबा साहब ने संघर्ष किया उतना ही संघर्ष कांशीराम ने भी किया। लेकिन तुमने पढ़े लिखे विद्वान महापुरषों को एक कोने में रख दिया है। वहीं राम, कृष्ण और शंकर भगवान के पीछे पड़े हो, जो कतई एक अक्षर पढ़े लिखे नहीं हैं। और जैसे ही तुमलोग इनकी पूजा करते हो वैसे ही तुम्हरे बच्चों पर फर्क पड़ता है। इसी वीडियो में 10:01 मिनट पर अर्चना ने कहा कि आप लोग हाथ उठाकर बताइये की किसके किसके घर देवी देवताओं की फोटो नहीं लगी है? भीड़ में से एक महिला ने कहा मेरे घर में मूर्तियां रखी हैं। इसका जवाब देते हुए अर्चना ने कहा कि एक बात बताओ..जब वो हमारा सम्मान नहीं कर सकते तो तुम उनका सम्मान क्योँ करते हो? अगर किसी को डर लगता है तो हमें बताओ। हम उनका ऑपरेशन भी कर देते हैं और उन्हें नदी में भी बहा देते हैं। हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता। वीडियो में 13:44 मिनट पर अर्चना ने कहा कि आप लोगों के घर में मनुवादियों की जो तसवीरें लगी हैं, उनकी स्त्रियां कभी बाबा साहेब को सम्मान नहीं दे सकती हैं। वो लोग हमारे बाबा साहेब की मूर्तियां तोड़ देते… उनका अपमान करते हैं और तुम लोग उनके भगवानों की पूजा करते हो।

इसी वीडियो में 16:00 मिनट पर अर्चना ने कहा कि जिन भगवानों की तस्वीरें तुमने लगा रखी हैं उन्होंने हमारे राजा का क़त्ल करके हमारे राजा को लूटा है.. दुर्गा ने हमारे राजा महिषासुर का क़त्ल किया और मनुवादियों ने दुर्गा की पूजा इस समाज से करवा दी। यह बताओ कोई तुम्हारे व्यक्ति को मार जाये तो क्या तुम उसको पूजोगी? राम ने शम्बूक ऋषि की हत्या कर दी…तो क्या वह भगवान है तुम्हारे लिए? इन मनुवादियों ने हमारे राजाओं का क़त्ल कर उसे त्यौहार बना दिया।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल से कानपुर पुलिस का अनीता बौद्ध के वीडियो के सम्बन्ध में दावा गलत है, यह वीडियो बौद्ध कथावाचक अनीता बौद्ध के कानपुर के पहेवा गाँव के कार्यक्रम का है। यह भी स्पष्ट है कि इस बौद्ध कथा में दूसरे समुदाय और उनके आराध्य पर अपमानजनक टिप्पणी की गयी थीं। जबकि कानपुर पुलिस इससे इनकार कर रही है।

(नोट: अर्चना बौद्ध के लाइव वीडियो डिलीट होने की स्थिति में हमने इन वीडियो को सुरक्षित रखा है।)

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