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खान सर का भारत और चीन को लेकर वायरल वीडियो भ्रामक है, पढ़े रिपोर्ट

सोशल मीडिया पर एक दो मिनट के वीडियो में खान सर दावा कर रहे हैं कि भारत की विदेश नीति के कारण उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में कमी आई है। खान सर श्रीलंका से लेकर ईरान तक के उदाहरण के माध्यम से बता रहे हैं कि इन देशों के साथ रिश्तों में कमी होने का कारण भारत की विदेश नीति है, जिसका परिणामस्वरूप ये पड़ोसी देश चीन के प्रति अधिक समर्थन जता रहे हैं। 

सपा नेता आईपी सिंह ने X पर लिखा, ‘भारत के विदेश नीति का बंटाधार कर दिया मोदी सरकार ने आज पड़ोसी देश भारत के सगे नहीं रहे। एक शिक्षक ने सरल भाषा में रेखांकित किया है।चीन हमारे लिए चिन्ता का सबब बना।‘

कांग्रेस समर्थक शांतनु ने लिखा, ‘ यह वीडियो भारत के अभी तक के सबसे खराब विदेश नीति को बता रहा है। मोदी सरकार के अंदर चीन सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है।‘

कांग्रेसी पत्रकार संदीप सिंह ने तंज कसते हुए लिखा, ‘ देखो डंका बज रहा है !‘

अली सोहराब ने लिखा, ‘ विदेशनीति‘

मंजीत घोशी ने लिखा, ‘हिंदू मुस्लिम और मीडिया में विश्वगुरू बनकर आप मूर्ख बनाकर जनता को आप चुनाव जीत सकते है पर जो सच्चाई है वो नहीं बदलने वाली। हम आपने रीज़न में ही अकेले पड़ रहे है बाक़ी देश को इस से फ़र्क़ नहीं पड़ रहा आज पर भविष्य में फ़र्क़ पड़ेगा।‘

कन्हैया कुमार के पैरोडी अकाउंट से पोस्ट किया गया, ‘विदेश मे डंका बज रहा है‘का जो फटा ढोल गोदी मीडिया पीटती आ रही है‘ खान सर ने उस फटे ढोल को सबके सामने ला दिया।’

कांग्रेस नेता सुरेन्द्र राजपूत ने लिखा, ‘भारत की विदेश नीति में पहली बार मित्र विहीन पड़ोसी हैं। वाह भाजपा सरकार वाह मोदी जी।‘

दिल्लीआईट ने लिखा, ‘ खान सर की बातों पर मोदी को ध्यान देना चाहिए‘

इसके अलावा खान सर के वीडियो को अमरेन्द्र पटेल, आदिवासी डॉट कॉम, निगार परवीन और शामा परवीन ने X पर शेयर किया है।

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फैक्ट चेक

1- मालदीव को लेकर

खान सर कहते हैं कि हमने मालदीव को खो दिया है, लेकिन यह सच नहीं है। तत्कालिन मालदीव सरकार और भारत के बीच तनाव है, न कि मालदीव के साथ। मालदीव की विपक्ष ने भारत का समर्थन किया, जबकि वर्तमान सरकार ने भारत विरोधी प्रचार के माध्यम से चुनाव लड़ा। मुइज्जू ने भारतीय सेना को हटाने के लिए प्रचार किया, जिसका समर्थन स्थानीय लोगों ने किया, लेकिन मालदीव की जनता ने भारतीय पर्यटकों को हटाने की मांग नहीं की। नए घटनाक्रम के बाद, मालदीव की जनता मुइज्जू सरकार से क्रोधित है, जिसके परिणामस्वरूप मालदीव की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होगा।

सोशल मीडिया पर, मालदीव के नेताओं से लेकर व्यापारियों तक ने मौजूदा सरकार के मंत्रियों के खिलाफ आपत्ति व्यक्त की है। इसके अलावा, 2021 में भारत ने मालदीव के साथ “ग्रेटर मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट” को वित्तपोषित किया है, जो मालदीव का सबसे बड़ा परियोजना है। इस साथ, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद चीन पर खुलेआम डेट- ट्रैप का आरोप लगाते हैं, जबकि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की है।

Source- India Today
Source- Indian Express

2- बांग्लादेश को लेकर

खान सर आगे कहते हैं कि बांग्लादेश के कॉक्स बाजार की ओर से चीन ने हमें घेर लिया है। खान सर कॉक्स बाजार में बने सबमरीन बेस की बात कर रहे हैं, जिसे चीन की सहायता से बनाया गया है। तो क्या इससे यह तात्पर्य है कि चीन बंगाल के खाड़ी क्षेत्र में हमें घेर सकता है? नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। खान सर ने यह भूल गए हैं कि भारत ने चीन के सामने बढ़ने के लिए INS कोहस्सा और INS बाज़ का बेस स्थित किया है, और इसके अलावा, भारत अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर भी नवल बेस बना रहा है, जो कि चीन को इस क्षेत्र में सामरिक रूप से प्रतिस्थापित करने के लिए पर्याप्त हैं। वर्तमान में उस क्षेत्र में भारत के कुल सात जिनमें एयरफोर्स और नेवी बेस हैं।

3- श्रीलंका को लेकर

खान सर श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट की चर्चा कर रहे हैं, जिसे श्रीलंका ने 99 साल के लिए लीज पर दे रखा है। हंबनटोटा पोर्ट और चीन से लिए गए कर्ज के कारण श्रीलंका आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहा है। श्रीलंका अब सीख चुका है।जिसका सर्वोत्तम उदाहरण कोलंबो पोर्ट का निर्माण है, जिसे अदानी पोर्ट को कॉन्ट्रैक्ट मिला है और जिसे अमेरिका ने वित्तपोषित किया है। हाल ही में, जब श्रीलंका आर्थिक मुश्किलों से गुजर रहा था, तो भारत ने ने उसका समर्थन किया है। कोलंबो पोर्ट चीन के हंबनटोटा पोर्ट के खिलाफ प्रभावी रूप से कार्रवाई कर सकता है।

Source- Hindu Business Line

4- म्यांमार को लेकर

खान सर म्यांमार के बारे में बात करते हैं और कहते हैं कि वहां आर्मी ने तख्ता पलटा है तो म्यांमार से कोई उम्मीद नहीं हैं। खान सर आगे यह भी कहते हैं कि म्यांमार के अंदर तख्ता पलट में चीन का हाथ है। सच यह है कि म्यांमार की सरकार हमेशा से आर्मी के गिरफ्त में था। म्यांमार कभी पूर्ण रूप से आर्मी को सत्ता से अलग नहीं कर पाया था। चीन और जुनटा के बीच संबंध राजनायिक से ज्यादा कुछ नहीं है।

आज, जुनटा म्यांमार के चीनी सीमा क्षेत्र में रेबेल ग्रुप के साथ संघर्ष कर रही है, जिसमें चीन सहायता कर रहा है। हाल ही में, चीन ने जुनटा नेता से मिलकर चीन-म्यांमार सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखने की इच्छा जाहिर की है। यह याद रखना चाहिए कि जुनटा को म्यांमार के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप पसंद नहीं है, इसलिए जब जुनटा 2021 में म्यांमार में सत्ता का हस्तक्षेप कर रही थी, तब भारत ने चुप्पी साध ली थी। जुनटा ने भारत के नॉर्थईस्ट के रेबेल ग्रुप्स को अपने यहां पनाह नहीं दी है, जबकि उनके खिलाफ मिलकर भारत उनसे निपट रहा है, जैसे कि ऑपरेशन गोल्डन बर्ड और ऑपरेशन हॉट पुर्सूट

5- भूटान को लेकर

खान सर भूटान के बारे में बात करते हैं और कहते हैं कि वहां का विदेश मंत्री हाल ही में चीन गए थे और चीन से यह कहा गया कि आप डोकलाम के ले लीजिए। यह बिल्कुल भ्रामक बयान है। समझना चाहिए कि जितने भी पड़ोसी देश हैं उनकी पॉलिटिकल पार्टियां कुछ चीन के समर्थन में होते हैं और कुछ भारत के समर्थन में। भूटान भी ऐसा ही है। हाँ, यह सत्य है कि भूटान के भूटान टेंद्रेल पार्टी ने सरकार में रहते हुए चीन के साथ सीमा संबंधों पर चर्चा की थी, लेकिन उन्होंने भारत को यह आश्वासन दिया था कि कोई ऐसा निर्णय नहीं लिया जाएगा जो भारत के खिलाफ हो। खैर, अब यह सब आवश्यक नहीं है क्योंकि भूटान की टेंद्रेल पार्टी की सरकार बदल चुकी है और नई सरकार, पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी, ने स्थापित की है। पीडीपी पूरी तरह से भारत के समर्थन में खड़ी रहती है और इसके नेता Tshering Tobgay का भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बहुत अच्छा संबंध है।

6- अफ़ग़ानिस्तान को लेकर

खान सर अफ़ग़ानिस्तान के बारे में बात करते हैं और कहते हैं कि वहां तो तालिबान की सरकार है तो कोई मतलब ही नहीं है। भारत ने तालिबान के प्रति अपना दृष्टिकोण पूरी तरह से बदला है, इसमें कोई संदेह नहीं है। हाल ही में, अफगानिस्तान दूतावास ने भारत में कार्य करना बंद कर दिया है, जो भारत और तालिबान के रिश्तों के लिए महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, हमें यह भी देखना होगा कि पाकिस्तान और चीन एक दूसरे के करीब हैं और पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच मदभेद है, इस परिस्थिति में अफगान तालिबान का चीन और भारत के प्रति उनका समर्थन किस दिशा में हो सकता है, यह देखना होगा।

7- ईरान को लेकर

आगे खान सर ईरान की बात करते हुए कहते हैं कि हम इजरायल के समर्थन में है इसलिए ईरान से रिश्ता खराब है। जियो स्ट्रेटजिक के नजरिए से यह एक बेवकूफी भरा बयान है। क्या भारत का रिश्ता रूस से खराब हुआ जब हम अभी अमेरिका के करीब आए? नहीं। क्या रूस यूक्रेन युद्ध में रूस का समर्थन करने से भारत का रिश्ता अमेरिका या यूरोप से खराब हुआ? नहीं। तो यहां इजरायल के समर्थन करने से ईरान से रिश्ता कैसे खराब होगा। दूसरा यह कि रूस और ईरान घनिष्ठ मित्र है, और भारत रूस का। ऐसे में ईरान चीन का समर्थन करेगा यह समय बताएगा। फिलहाल रूस- ईरान और भारत तीनों मिलकर INSTC कॉरिडोर का निर्माण कर रहें हैं। तीसरा – चाबाहर पोर्ट। जो कि ईरान के चाबाहर शहर में स्थित है और ईरान का एकमात्र समुंद्री पोर्ट है। इस पोर्ट को भारत ऑपरेट करता है।

8- बेल्ट रोड योजना को लेकर

वायरल वीडियो में, खान सर यह कहते हैं कि चीन ने भारत को चारों ओर से घेरने की पूरी तैयारी कर ली है, जिसमें उन्होंने बेल्ट रोड, ग्वादर पोर्ट, और कॉक्स बाज़ार सबमरीन बेस की चर्चा की है। बता दें कि बेल्ट रोड योजना चीन के लिए एक जोखिमपूर्ण कदम है, जिसे अब तक सफलता नहीं मिली है। दूसरे क्षेत्र में, ग्वादर पोर्ट को काउंटर करने के लिए भारत चाबाहर पोर्ट के साथ तैयार है। तृतीय, बंगाल की खाड़ी में, भारत पूरी तरह से तैयार है ताकि वह चीन के साथ मुकाबला कर सके।

Source-TOI

निष्कर्ष: यह बिल्कुल स्पष्ट है कि भारत और चीन के बीच रिश्ते सही नहीं हैं। दोनों देश एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा में हैं और घेराबंदी की रणनीतियों का अपनाते हैं। इसलिए, यह कहना कि चीन भारत को बंद करने के लिए जाल बना रहा है और भारत कुछ नहीं कर रहा है, एक अपरिपक्व बयान है।

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Tags: Misleading PM Modi फैक्ट चैक

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