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Home अन्य यूपी में एससी-एसटी कर्मियों के डिमोशन का आदेश योगी सरकार ने नहीं बल्कि अखिलेश सरकार ने दिया था
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यूपी में एससी-एसटी कर्मियों के डिमोशन का आदेश योगी सरकार ने नहीं बल्कि अखिलेश सरकार ने दिया था

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एससी-एसटी कर्मियों को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है। पोस्ट में अखबार की एक कटिंग को शेयर कर दावा किया जा हा है कि बीजेपी सरकार एससी-एसटी कर्मियों को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ खत्म कर रही है। हालांकि हामारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक निकला।

समाजवादी प्रहरी ने लिखा, ‘बीजेपी सरकार एक तरफ सरकारी नौकरी नहीं देकर आरक्षण खत्म कर रही है वहीं दूसरी तरफ एससी- एसटी कर्मियों को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ देने से वंचित कर रही है। शर्मनाक’

ट्राइबल आर्मी नाम के एक्स हैंडल ने लिखा, ‘बीजेपी सरकार एक तरफ सरकारी नौकरी नहीं देकर आरक्षण खत्म कर रही है वहीं दूसरी तरफ एससी- एसटी कर्मियों को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ देने से वंचित कर रही है। शर्मनाक’

भानु प्रताप मीना ने लिखा, ‘बीजेपी सरकार एक तरफ सरकारी नौकरी नहीं देकर आरक्षण खत्म कर रही है वहीं दूसरी तरफ एससी- एसटी कर्मियों को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ देने से वंचित कर रही है। शर्मनाक’

देव मीना ने लिखा, ‘बीजेपी सरकार एक तरफ सरकारी नौकरी नहीं देकर आरक्षण खत्म कर रही है वहीं दूसरी तरफ एससी- एसटी कर्मियों को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ देने से वंचित कर रही है। शर्मनाक’

यह भी पढ़ें: सोशल मीडिया पर कथित गायों से भरे ट्रक का वीडियो भारत का नहीं, बल्कि इराक का है

फैक्ट चेक

पड़ताल में हमने देखा कि वायरल अखबार की कटिंग में मुख्य सचिव का नाम आलोक रंजन लिखा है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट से पता चलता है कि अखिलेश यादव ने अखि‍लेश ने 31 मई, 2014 को तत्कालीन मुख्य सचिव जावेद उस्मानी को हटाकर उनकी जगह आलोक रंजन को यूपी का नया मुख्य सचिव बनाया। रंजन ने मई 2014 से जून 2016 तक तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अधीन राज्य के मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया। इसके बाद वो रिटायर हो गए।

इससे यह स्पष्ट है कि वायरल अखबार की कटिंग अखिलेश यादव के कार्यकाल की है। इसके बाद हमे इससे सम्बन्धित मीडिया रिपोर्ट मिली। 19 अगस्त 2015 को प्रकाशित हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरक्षण के लाभ में प्रोन्नत अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को डिमोट करने पर लगी रोक को बुधवार को हटा दीया। इससे ऐसे कर्मचारियों को डिमोट करने का रास्ता साफ हो गया है।

Source- Hindustan

वहीं 21 जुलाई 2015 को प्रकाशित जागरण की रिपोर्ट में बताया गया है कि 28 अप्रैल 2012 के पूर्व एवं 15 नवंबर 1997 के बाद प्रोन्नत कर्मियों को पदावनत किया जाएगा। पदावनत किए गए आरक्षित श्रेणी के कार्मिक को परिवर्तित पद का वेतन ही अनुमन्य होगा। पदावनति के ठीक एक पूर्व के माह में कर्मी को प्राप्त हो रहीं परिलब्धियां (मूल वेतन, महंगाई भत्ते व अन्य भत्ता) में कोई वित्तीय हानि न हो, इसके लिए उन्हें वैयक्तिक वेतन अनुमन्य किया जाएगा। यह राशि पदावनति के बाद प्राप्त होने वाली परिलब्धियों और पदावनति के ठीक पूर्व के माह में मिल रही परिलब्धियों के अंतर के बराबर होगी।

निष्कर्ष: पड़ताल में स्पष्ट है कि बीजेपी द्वारा एससी-एसटी कर्मियों को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ खत्म का दावा गलत है। वायरल अखबार की कटिंग अखिलेश यादव के कार्यकाल की है।

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