मणिपुर में 3 मई को कुकी और मैतेई समुदाय के बीच शुरू हुआ संघर्ष अभी तक जारी है। मणिपुर में इंटरनेट सेवाएं बहाल करने के 2 दिन बाद ही इस पर फिर से पाबंदी लगा दी गई है। ये फैसला 6 जुलाई से लापता 2 छात्रों की हत्या के बाद लिया गया है। वहीं इस बीच सोशल मीडिया पर सुरक्षा बलों द्वारा छात्रों को पीटने और उन्हें गिरफ्तार करने का वीडियो भी वायरल है। हालंकि हमारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक निकला।
पत्रकार तनुश्री पांडे ने एक वीडियो और फोटो पोस्ट करते हुए ट्वीट किया कि, “क्या राज्य और केंद्र सरकार देख रही है? क्या उन्होंने सुरक्षा बलों को छात्रों के साथ इस तरह का व्यवहार करने की अनुमति दे दी है? निहत्थे छात्रों पर पैलेट गन और डंडों से हमला! यदि यह आपको मणिपुर के लोगों के लिए आवाज उठाने पर मजबूर नहीं करता है, तो मुझे नहीं पता कि और क्या करेगा।
वहीं फैक्ट चेकर मुहम्मद जुबैर ने भी इस मामले को बिना जांचे इसे रीट्वीट कर अपना प्रोपोगेंडा चलाया।
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पड़ताल में हमने सबसे पहले तनुश्री पांडे द्वारा शेयर किये गए मणिपुर के वीडियो को ध्यान से देखा। वीडियो में पुलिस वालों को एक व्यक्ति को पीटते हुए देखा जा सकता है। वहीं इसके बाद पुलिस उसे जीप में बिठाकर अपने साथ ले जाती है। वहीं वीडियो में 35 सेकंड पर देखा जा सकता है कि जब पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर जीप में बैठा रही होती है उसी वक़्त पीछे से पत्थरबाजी शुरू हो जाती है। देखते ही देखते ढेर सारे पत्थर पुलिस वालों की तरफ फेकें जाते हैं। इससे समझ आता है कि मणिपुर पुलिस ने पत्थरबाजी करने वाले को गिरफ्तार किया है, जिसे स्टूडेंट बताकर भ्रम फैलाया जा रहा।
वहीं मणिपुर पुलिस ने भी ट्वीट कर बताया कि, “सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए न्यूनतम बल का प्रयोग किया है। दो लापता छात्रों के शवों की वायरल तस्वीरों को लेकर कई विरोध प्रदर्शन और रैलियां हुईं। भीड़ में उपद्रवियों ने सुरक्षा बलों के खिलाफ लोहे के टुकड़ों और पत्थरों का इस्तेमाल किया। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए न्यूनतम बल प्रयोग किया और कुछ आंसू गैस के गोले छोड़े जिसमें कुछ लोग घायल हो गए।
दावा | मणिपुर में सुरक्षाबलों ने बेरहमी से की स्टूडेंट की पिटाई |
दावेदार | तनुश्री पांडे और ज़ुबैर अहमद |
फैक्ट चेक | भ्रामक |
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