हाल ही में केंद्र सरकार ने पर्सनल कंप्यूटर, लैपटॉप और टैबलेट के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। अगर अब भारत में स्थित विदेशी कंपनियों को अपना पीसी, लैपटॉप या टैबलेट बेचना है तो केंद्र सरकार से अतिरिक्त लाइसेंस लेनी पड़ेगी। उम्मीद यह लगाई जा रही है कि यह तीनों चीज भारत में मंहगी हो सकती है। केंद्र सरकार अपने इस कदम के पीछे का कारण मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया के साथ ही पीएलआई स्कीम को बढ़ावा देने का बता रही है। केंद्र सरकार चाहती है कि जैसे भारत स्मार्ट फोन का पावर हाउस बना है वैसे ही पीसी लैपटॉप और टैबलेट का भी पावर हाउस बने। फिलहाल भारत इन तीनों उपकरणों के लिए चीन के निर्यात पर निर्भर है।
निससंदेह, भारत सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। लेकिन, अफ़सोस कुछ लोग इस फैसले के महत्व को समझ नहीं पा रहें है और मंगढ़त कहानी रच तुच्छ आरोप लगा रहें है। 4 pm न्यूज़ नेटवर्क के चीफ एडिटर संजय शर्मा ने लिखा, “गजब खेल है। सरकार ने लैपटॉप,टैबलेट और पीसी के आयात पर प्रतिबंध लगाया । प्रतिबंध लगाने के तुरंत बाद रिलायंस ने अपना लैपटॉप और टैबलेट लॉच कर दिया । साहेब सीधे सीधे देश के नाम संदेश दे दीजिये कि देश हित में सभी को यह ख़रीदना ही है । पहली बार देख रहा हूँ कि देश का प्रधानमंत्री कैसे एक उधोगपति के चरणों में बिछा जा रहा है।”
हालांकि संजय शर्मा यह तर्क देने वाले अकेले नहीं है। देश का विपक्षी खेमा ट्विटर पर इस नैरेटिव को आग की तरह वायरल कर रहें हैं। राजेन्द्र कुंबत, राजू परेलकर, भविका कपूर , सूर्य प्रताप सिंह, कुनाल शुक्ला, नेहा नागर, रोशन राय एवं कई अन्य।
कुलमिलाकर जिसकी जितनी विवेक की क्षमता है उस हिसाब से इस खबर को समझा है। लेकिन वाकाई में क्या है इस खबर की सच्चाई ! क्या केंद्र सरकार यह कदम मुकेश अंबानी की कंपनी जियो की व्यावसायिक लाभ के लिए लिया है? ऐसे कुछ मुख्य बिंदुओं पर हम प्रकाश डालेंगे और ऊपर किए हुए दावों की फैक्ट चेक करेंगे।
ट्विटर यूजर्स और पत्रकारों द्वारा किए गए दावों से ऐसा प्रतीत होता है कि, उनके ज्ञान के अनुसार जियो मुकेश अंबानी की कंपनी है ऐसे में जियो लैपटॉप मेड इन इंडिया है।
ऐसे में हमने जियो बुक लैपटॉप के बारे में जानकारी हासिल किया। रिलायंस डिजिटल स्टोर पर जियो लैपटॉप के बारे में विस्तार में विवरण दिया गया है।
दी हुई जानकारी के मुताबिक, जियो बुक लैपटॉप का निर्माता कंपनी का नाम है- हुनान ग्रेटवॉल कंप्यूटर सिस्टम लिमिटेड। यह कंपनी चीन के हुनान प्रांत में स्थित है। बता दें कि हुनान ग्रेटवॉल कंप्यूटर सिस्टम लिमिटेड ना केवल जियो बुक का उत्पादक बल्कि पैकेजिंग भी करता है।
रिलायंस डिजिटल जियो बुक लैपटॉप के बारे में आगे बताया है कि रिलायंस कंपनी जियो बुक को इंपोर्ट यानी आयात करती है।
यानी केंद्र सरकार द्वारा लाया गया हालिया फरमान का प्रभाव जियो लैपटॉप पर भी पड़ेगा। सरकार द्वारा लाया गया नियम किसी भी तर्क से मुकेश अंबानी को फायदा नहीं पहुंचेगा बल्कि जियो बुक की बिक्री को नुकसान ज़रूर पहुंचा सकता है।
आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने शुक्रवार को कहा कि “लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर के आयात के लिए लाइसेंस की आवश्यकता लागू करने के भारत के फैसले से घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और यह सुनिश्चित होगा कि इसका टेक्निकल इकोसिस्टम केवल वेरिफाइड सिस्टम का इस्तेमाल करता है।”
आपको बता दें कि फिलहाल भारत में विदेशी कंपनियां जैसे डेल, एचपी और लेनोवो कंप्यूटर का पहले से ही मैन्युफैक्चरिंग प्लांट उपलब्ध है ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नियम इन कंपनियों पर कुछ असर डालते हैं या नहीं यह आने वाला समय बताएगा। लेकिन, ऐपल, शियाओमी, सैमसंग, असुस, और रिलायंस जियो बुक जैसे कम्पनियों का दिक्कत सामना करना पड़ सकता है।
रिलायंस जियो बुक लैपटॉप और केंद्र सरकार द्वारा लाए गए आईटी नियमों को लेकर जो सोशल मीडिया पर भ्रांतियां फैलाई जा रही है, वो इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है कि कैसे वामपंथ का दीमक किसी के मस्तिष्क को ऐसे खोखला कर देता है। इतना खोखला की मनुष्य विवेकहीन हो जाता है। उसे समाज में, सरकार में हर जगह केवल खामियां ही नजर आती हैं।
उपसंहार में यह कहना उचित होगा कि भारत सरकार मुकेश अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए नए आईटी नियम नहीं लाए हैं। नय नियम से मुकेश अंबानी की लैपटॉप कंपनी जियो बुक को नुकसान झेलना पड़ सकता है। केंद्र सरकार द्वारा नए आईटी नियम यह सिद्ध करता है कि सरकार साम दाम दंड भेद करके भी भारत को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ग्लोबल पॉवर हाउस बनाने के लिए आतुर है।
दावा | पत्रकार, और कांग्रेस समर्थकों ने दावा किया कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया नए आईटी नियम अंबानी की कंपनी जियो लैपटॉप को फायदा देने के लिए है। |
दावेदार | संजय शर्मा, रोशन राय, भाविका कपूर, नेहा नागर एवं अन्य |
फैक्ट चेक | भ्रामक |
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