सोशल मीडिया में फावड़े से दो युवकों को पीटने का वीडियो वायरल है। इसे शेयर कर दावा किया जा रहा है कि एक ब्राहमण युवक पंकज उपाध्याय ने निचली जाति के मजदूरों को चमार कहा इसीलिए उसकी हत्या कर दी गयी। वहीं हमारी पड़ताल में पता चलता है कि इस घटना में कोई जातिगत एंगल नहीं है।
क्राइम रिपोर्ट्स इंडिया ने इस वीडियो को एक्स पर शेयर करते हुए लिखा, ‘चेतावनी: ब्राह्मण पंकज उपाध्याय ने निचली जाति के मजदूरों के लिए चमार शब्द का इस्तेमाल किया और उन्हें मलबा हटाने के लिए बुलाया। हरिजन ने निचले क्रम पर बल्लेबाजी करने का फैसला किया।’
दावे की पड़ताल में सबसे पहले हमने कुछ कीवर्ड्स की मदद से इस मामले को गूगल सर्च किया। इस दौरान इस घटना से सम्बंधित एक रिपोर्ट हमें ईटीवी भारत पर प्रकाशित मिली, जिसके मुताबिक यह घटना 14 फरवरी 2024 की है। मृतक युवक पंकज उपाध्याय अपने दोस्त कल्लू के साथ जा रहा था। रास्ते में निर्माण कार्य का मलाब बिखरा बड़ा था। पंकज और उसके दोस्त ने वहां काम कर रहे लोगों से कहा कि वो मलबा किनारे कर लें, जिसके बाद दोनों पक्षों में विवाद शुरू हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि उन्होंने लाठी डंडे और पत्थरों से पीटकर दोनों को लहुलूहान कर दिया। पिटाई की वारदात में जहां पंकज उपाध्याय की इलाज के दौरान मौत हो गई। वहीं कल्लू की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है।
नवभारत टाइम्स के मुताबिक जिस रात की घटना है उस रात गोपी सूर्यवंशी अपने भाइयों के साथ दुकान की फ्लोरिंग का कुछ काम कर रहे थे। जिसमें सीमेंट गिट्टी फैलाकर मसाला तैयार हो रहा था। इस दौरान पंकज और उसका दोस्त कल्लू में रोड पर मसाला फैलाने से मना किए। यहीं इस भीषण घटना की जड़ बन गया। इस बात को लेकर गोपी सूर्यवंशी और उसके भाइयों ने पंकज उपाध्याय और कल्लू के साथ मारपीट शुरू कर दी।।
वहीं पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस के बाद नगर निगम ने भी आरोपियों पर कार्रवाई की है। निगम ने आरोपियों द्वारा सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखे गए बिल्डिंग मटेरियल को जब्त करने के साथ ही आरोपी द्वारा श्मशान भूमि पर बनाए गए अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए 24 घंटे की चेतावनी देते हुए नोटिस जारी किया है। निगम अधिकारियों ने हत्या के आरोपियों के घर में नगर निगम अधिनियम 1956 की धारा 322, 323 के तहत नोटिस चस्पा किया है। जिसमें नियम के तहत शासकीय भूमि पर बनाए गए मकान के संबंध में जवाब देने कहा है। जवाब नहीं देने पर अधिनियम की धाराओं के तहत मकान तोड़ने का अल्टीमेटम दिया गया है। वहीं अधिनियम की धारा 307(3) के तहत वर्तमान में बिना अनुमति के मकान बनाए जाने पर जवाब मांगते हुए तोड़फोड़ की चेतावनी दी गई है।
निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में स्पष्ट है कि युवक की हत्या सड़क पर फैले बिल्डिंग मटेरियल को हटाने की बात पर हुई थी। इस घटना में कोई जातिगत एंगल नहीं है।
दावा | निचली जाति के मजदूरों को चमार कहने पर हुई ब्राहमण युवक पंकज उपाध्याय की हत्या |
दावेदार | क्राइम रिपोर्ट्स इंडिया |
फैक्ट चेक | भ्रामक |
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