बीते दिनों राजस्थान के अजमेर में इमाम मोहम्मद माहिर की हत्या कर दी गयी। सोशल मीडिया इस मामले को सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी शासित राजस्थान में कट्टरपंथियों के हौसले इस कद्र बुलंद है कि मस्जिद के अंदर घुसकर इमाम साहब की पीट पीटकर हत्या कर दी। हालांकि हमारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक निकला।
इम्तियाज जलील ने एक्स पर लिखा, ‘अजमेर के इमाम साहब की मस्जिद में हत्या की गई, मिडिया खामोश प्रशासन खामोश कोई कार्यवाही नहीं ना ही हत्यारो के गिरफ्तारी हुई. अगर हत्या किसी हिंदू की होती तो पूरा सिस्टम जाग जाता और पुलिस अभी तक दोषियों को गिरफतार कर चुकी होती।’
औरंगजेब मिस्बाही ने लिखा, ‘यह सिर्फ इमाम की हत्या नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय की हत्या है। यह इस्लामोफोबिक हत्या है’
किंग जैक ने लिखा, ‘अजमेर में कुछ लोगों ने मस्जिद में घुसकर एक निर्दोष इमाम की हत्या कर दी। लेकिन दुर्भाग्य है कि हमारे मीडिया का एक वर्ग उर्दू नाम देखकर आवाज नहीं उठाएगा। न ही इस पर कोई बहस होगी। क्योंकि इससे उनके एजेंडे में दिक्कतें पैदा होती हैं।’
इस्लामवादी मीडिया संस्थान जर्नो मिरर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि ‘भारतीय जनता पार्टी शासित राजस्थान में कट्टरपंथियों के हौसले इस कद्र बुलंद है कि, मस्जिद के अंदर घुसकर इमाम साहब की पीट पीटकर हत्या कर दी।’
वहीं अश्विनी सोनी व All news ने भी इसी दावे के साथ इस वीडियो को शेयर किया है।
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दावे की पड़ताल में हमने मामले से संबंधित की-वर्ड्स की मदद से गूगल सर्च किया। इस दौरान हमें 13 मई 2024 को प्रकाशित दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक 27 अप्रैल को अजमेर में हुई मौलाना की हत्या के मामले में पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। मौलाना की हत्या मस्जिद में साथ रहने वाले 6 नाबालिगों ने ही की थी।
पुलिस पूछताछ में नाबालिगों ने बताया- मौलाना मोबाइल पर अश्लील फिल्में दिखा कर उनके साथ पिछले चार साल से कुकर्म कर रहा था। इससे परेशान होकर सभी ने रायते में नींद की गोली मिलाकर दे दी और सोने के बाद मौलाना के सिर पर डंडे से वार किया। इसके बाद रस्सी से तब तक गला घोंटा जब तक मौलाना ने दम नहीं तोड़ दिया।
वहीं अमर उजाला की रिपोर्ट में एसपी अजमेर देवेंद्र कुमार बिश्नोई ने बताया कि इस मामले में मदरसे के छह छात्रों को मौलाना की हत्या के मामले में हिरासत में लिया है। उन्होंने बताया कि इमाम माहिर मदरसे के छात्रों के साथ दुष्कर्म करता था। जिससे मदरसे के सभी छात्र परेशान थे। सभी छात्रों ने शारीरिक शोषण से मुक्ति पाने के लिए इमाम माहिर को जान से मारने का प्लान बना डाला और 26 अप्रैल की रात इमाम माहिर को नींद की गोली खिलाने के बाद डंडों से पीट-पीटकर हत्या क़र दी। इसके बाद छात्रों ने पुलिस को नकाब पहन कर आये तीन बदमाशों द्वारा इमाम की पीट-पीटकर हत्या की कहानी बताई।
निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि अजमेर में इमाम मोहम्मद माहिर की हत्या में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है। मदरसे के छात्रों ने ही शारीरिक शोषण से मुक्ति पाने के लिए हत्या की थी।
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