द केरला स्टोरी फिल्म ने कट्टरपंथी इस्लामिस्टों की नींद अभी तक हराम कर रखा है। नतीजन गुजरात के पाटन शहर में कट्टरपंथियों की झुंड ने सोशल मीडिया पोस्ट के कारण हिन्दुओं के ऊपर जानलेवा हमला कर दिया था। इसी घटना से जुड़ा एक मामला ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है। हालांकि यह ट्रेंड इस्लामिस्ट जमात तक सीमित है। कुछ अपराधियों को पुलिस के साथ का वीडियो साझा कर दावा किया जा रहा है कि पुलिस मुसलमानों को जुलूस निकाल रही है।
हिंदुफोविक हिंदुत्व वॉच नामक यूजर ने लिखा, “गुजरात पुलिस मुसलमानों को गिरफ्तार कर खुले में जुलूस निकाल रही है। यह तब हुआ जब इस्लामोफोबिक केरल स्टोरी फिल्म के ऊपर दो दलों में विवाद हो गया।”
कट्टरपंथी जिहादी अली सोहराब ने लिखा, “ दारुलअमन के बालिसाना (पाटन, गुजरात) में मुसलमानों की औकात बताते हुए मुस्लिम युवकों का जानवरों की तरह संवैधानिक पुलिस ने निकाला जुलूस।”
उपद्रवी मानसिकता का पत्रकार अशरफ हुसैन ने लिखा, “गुजरात के पाटन में मुस्लिम नौजवानों को पुलिस द्वारा क़ैदियों कि तरह बांधकर सड़कों पर घुमाने का मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर फ़िल्म द केरला स्टोरी को लेकर पोस्ट के कारण दो पक्षों के बीच तनाव के बाद हुई झड़प में दोनों तरफ के लोगों पर मामला दर्ज हुआ था।
लेकिन आरोप है कि केवल मुस्लिम नौजवानों पर एकतरफा इस तरह कि कार्रवाई कि गई।”
इनके अलावा और भी कट्टरपंथ विचारधारा से प्रेरित और भी ट्विटर यूजर्स जैसे द मुस्लिम, मोहम्मद तनवीर, काशिफ अरसलान इत्यादि ने पोस्ट साझा किया।
तो, क्या सच में गुजरात पुलिस ने बेगुनाह मुस्लिमों को बांधकर पाटन शहर में जुलूस निकाल रही हैं? चलिए देखते हैं कि कट्टरपंथियों द्वारा किए जा रहें दावे कितने देर तक टिक पाते है!
इस खबर की पड़ताल हमने मामले को गंभीरता को जानने से शुरू किया।
नव भारत टाइम्स के मुताबिक, “ गुजरात के पाटन जिले सोशल मीडिया एक धर्म विशेष के खिलाफ विवादित पोस्ट के मामले को लेकर बीती रात दो गुटों में झड़प हो गई। सात लोग घायल हो गए। सभी को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। स्थिति को काबू में करने के लिए बालिसाना गांव में पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है। दोनों के पक्षों के बीच दो दिन से धार्मिक पोस्ट को लेकर विवाद था। बीती रात में इसी मुद्दे का निपटारा करने के लिए दो पक्ष इकट्ठा हुए थे। इसी दौरान बात बिगड़ गई और दोनों पक्षों में संघर्ष हो गया। दोनों पक्षों की तरफ से कुल 12 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है।”
इस मामले में प्रकाश डालते हुए हिंदुस्तान ने लिखा, “ बलिसना थाने के निरीक्षक जेएस चौधरी ने अब तक दोनों पक्षों से दस लोगों को गिरफ्तार किया है। उनमें से एक पक्ष के आठ लोगों को हिरासत में लिया गया है जबकि दूसरे पक्ष से कृष पटेल समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया गया हैl जेएस चौधरी ने कहा कि दस आरोपियों के खिलाफ दंगा, हमला और हत्या के प्रयास साहित विभिन्न आरोपों के तहत मामला दर्ज किया है।”
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, “मित पटेल अपने दोस्तों के साथ रविवार की रात अपने गांव में जा रहा था, तभी एक भीड़ ने जानलेवा हथियार से उसके ऊपर हमला कर दिया।”
“पुलिस ने मित के शिकायत पर अब्दुल मास्टर, तौफीक़ शेख, सहद शेख, आरिफ शेख, इस्लियास शेख, फ़ैज़ अली शेख, अहमद शेख, सिकंदर अब्दुल, खलील दिलावर और मास्टर के लड़के को गिरफ्तार किया है।
तो वहीं आरिफ शेख के शिकायत पर पुलिस कृष पटेल और निमेश पटेल को गिरफ्तार कर लिया है।”
उल्लेख किए गए तीन मीडिया रिपोर्ट्स से यह साबित होता है कि गुजरात पुलिस ने हिंदू और मुस्लिमों दोनों के ऊपर कार्यवाही की है।
अब सवाल आता है कि क्या पुलिस ने मुस्लिमों का जुलूस निकाला है?
इस दावे का खंडन हम डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट का हवाला देकर करेंगे। हेराल्ड के 18 जुलाई मंगलवार, की रिपोर्ट में मुताबिक, “सोमवार के दिन मामले में छानबीन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए पुलिस ने घटना में शामिल अपराधियों को मस्जिद चौक छेत्र में ले गई। यानी क्राइम को समझने हेतु पुलिस ने सीन को री क्रिएट किया जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है।”
न्यूज़ नाइन ने भी हेराल्ड की रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए लिखा, “जांच के लिए अपराध स्थल को फिर से बनाने के लिए, पुलिस कुछ आरोपियों को बालिसाना गांव के मस्जिद चौक इलाके में ले गई। पुलिस के इस अभ्यास की एक छोटी क्लिप भी इंटरनेट पर वायरल हो रही है।”
डेक्कन हेराल्ड और न्यूज़ नाइन के रिपोर्ट के आधार पर यह कहना उचित होगा कि पुलिस ने आरोपियों का जुलूस नहीं निकाला था बल्कि पुलिस ने कानूनी कार्यवाही को आगे बढ़ाने के लिए अपराध स्थल को रीक्रिएट करने के लिए अपराधियों को चौक में ले गई थी। बता दें कि अपराध स्थल रीक्रिएट एक मानक प्रक्रिया है।
कुलमिलाकर इस खबर को वायरल करने के लिए कट्टरपंथियों ने तीन झूठ बोले है।
पहला- दो दलों का मामूली विवाद बताया है जबकि असलियत यह है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मस्जिद चौक पर हिंदू युवकों पर हमला कर दिया क्योंकि उन्हें सोशल मीडिया पोस्ट पसंद नहीं आया।
दूसरा – मामले में पुलिस ने कार्यवाही मुस्लिम और हिंदू दोनों के ऊपर किया है।
और तीसरा यह कि- गुजरात पुलिस ने आरोपियों का जुलूस या परेड नहीं निकला था बल्कि कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने हेतु अपराध स्थल को दुबारा रीक्रिएट करने के लिए गुनहगारों को चौक में ले गई थी।
दावा | कट्टरपंथियों ने दावा किया कि गुजरात पुलिस ने केवल मुस्लिमों के ऊपर मामला दर्ज किया और मुस्लिमों को बांधकर शहर में जुलूस निकाला। |
दावेदार | अली सोहराब, हिंदुत्व वॉच, काशिफ अरसलान, द मुस्लिम, इत्यादि |
फैक्ट चेक | गलत और भ्रामक |
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