तर्क- वितर्क, सराहना- आलोचना भारतीय राजनीति का एक पारंपरिक हिस्सा रही है। आज इस परंपरा को विपक्ष की तुच्छ राजनीति आघात पहुंचा रही है। चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपतिजनक भाषा का प्रयोग करना हो या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के ऊपर अभद्र टिप्पणी करनी हो, विपक्ष प्रतिदिन राजनीतिक मर्यादा की लकीर को लांघ रहा है। इसी प्रकार हाल ही में ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी जी का एक फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट वायरल किया जा रहा है। वायरल पोस्ट के अनुसार पीएम मोदी ने “फर्स्ट सैलरी” ट्रेंड में हिस्सा लिया है।
फेसबुक स्क्रीनशॉट के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा है,
“ पहली सैलरी -₹2/कप
उम्र -8 साल
काम- चाय बेचना”
पीएम मोदी के इस कथित पोस्ट पर विपक्षी मानसिकता के पत्रकार और एजेंडावादियों ने कटाक्ष और व्यंग-कथ करना शुरू कर दिया।
कांग्रेसी प्रोपगंडा पत्रकार सलिल त्रिपाठी ने लिखा, “ पीएम मोदी एक असाधारण चाय बेचने वाले थे। अगर वो 1958 में दो रुपए का चाय बेचते थे, और मैं 1971 में जब मैं नौ साल का था तब 35 पैसे में कोकाकोला खरीदा करता था और सैंडविच 15 पैसे का और चाय 25 पैसा। यह सभी रेट बिना सब्सिडी वाले है।”
गांधी परिवार के चापलूस चिराग ने लिखा, “ मोदी जी सन 1950 में जन्मे है। आठ साल के उम्र में वो दो रुपए की चाय बेचते थे और 1958 में सोने का कीमत 9.58 रुपया प्रति दस ग्राम था, यानी मोदी जी दो ग्राम सोने के दाम में चाय बेचते थे। वर्तमान समय के अनुसार 12000 रूपए का एक कप चाय हुआ और हो भी क्यों नहीं! भविष्य के प्रधानमंत्री जी के हाथ की चाय थी।”
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “फर्स्ट सैलरी” ट्रेंड में हिस्सा लिया था और अगर लिया भी था तो क्या वास्तविक में कथित फेसबुक पोस्ट पोस्ट किया था? चलिए पता लगाते हैं अपनी इस रिपोर्ट में!
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ट्विटर पर वायरल हो रहें इस कथित पोस्ट की पड़ताल हमने प्रधानमंत्री जी के फेसबुक प्रोफाइल से शुरू किया। बता दें कि “ फर्स्ट सैलरी” ट्रेंड नवंबर 2020 में सोशल मीडिया पर प्रचलित हुआ था। ऐसे में हमें पीएम मोदी के फेसबुक वॉल पर कथित वायरल पोस्ट से मिलता जुलता एक भी पोस्ट नहीं मिला।
पीएम मोदी के फेसबुक पर वायरल किया जाना पोस्ट ना मिलने से हमारी संका और ज्यादा गहराई गई। हमने अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए कथित पोस्ट में लगी हुई डिस्प्ले पिक्चर यानी डीपी को नवंबर 2020 में लगी हुई डीपी के बीच समांतर ढूंढने की कोशिश की। और हमने पाया कि कथित पोस्ट में लगी हुई डीपी, मोदी जी ने फेसबुक पर अप्रैल 2020 में लगाई थी। याद रहें कि “फर्स्ट सैलरी” ट्रेंड नवंबर 2020 से प्रचलित हुआ था। ऐसे में यह कहना असुगम नहीं होगा कि पीएम मोदी कि डीपी का गलत इस्तेमाल अप्रैल से लेकर नवंबर के बीच में किया गया है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अप्रैल 2020 के बाद अक्टूबर 2021 में अपनी फेसबुक प्रोफाइल फोटो बदली थी।
ऊपर उल्लेख किए गए दो सबूतों के आधार पर यह कहना उचित होगा कि पीएम मोदी की कथित वायरल पोस्ट फर्जी है। हालांकि हमने पड़ताल की प्रक्रिया को यहीं नहीं रोका!
वायरल स्क्रीनशॉट को हमने फोटो फॉरेंसिक लैब की मदद से जांच किया। जांच के उपरांत हमने यह पाया कि कथित फेसबुक पोस्ट एडिटेड है। नीचे साझा की गई इस तस्वीर में सफ़ेद रंग का भाग यह दर्शाता है कि पीएम मोदी के नाम से वायरल कि जाने वाला स्क्रीनशॉट फैब्रिकेटेड यानी फर्जी तरीके से बनाया गया है।
इसके अलावा हमने इंडियन एक्सप्रेस कि एक रिपोर्ट का हवाला लिया। इंडियन एक्सप्रेस ने “फर्स्ट सैलरी” ट्रेंड में शामिल हुए मशहूर सोशल मीडिया यूजर्स के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित किया था और रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र नहीं है। इससे यह साबित होता है कि पीएम मोदी ने ट्रेंड में हिस्सा लिया ही नहीं था क्योंकि अगर प्रधानमंत्री ट्रेंड में शामिल होते तो वे निश्चित रूप से इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में उनकी विशेष जगह होती।
अतः हमने वायरल कथित पोस्ट को खंडन करने के लिए हमने चार सबूत पेश किए है।
1- पीएम मोदी ने नवंबर 2020 में “फर्स्ट सैलरी” ट्रेंड से जुड़ा एक भी पोस्ट नहीं किया है।
2- कथित पोस्ट में प्रधानमंत्री की जो डीपी लगी हुई है वो डीपी नवंबर 2020 में भी लगी हुई है। यानी संभवतः फैब्रिकेटेड स्क्रीनशॉट बनाने वाले ने मोदी जी का प्रोफाइल फोटो का गलत इस्तेमाल नवंबर 2020 से अक्टूबर 2021 के बीच किया है।
3- तकनीकी तौर पर फोटो फॉरेंसिक ने कथित पोस्ट को एडिटेड करार दिया है।
4- द इंडियन एक्सप्रेस ने “फर्स्ट सैलरी” ट्रेंड के ऊपर प्रकशित रिपोर्ट में पीएम मोदी के पोस्ट का जिक्र नहीं किया है।
एक बार फिर से हमने फेक नरेटिव फैलाने वालों का पर्दाफाश कर दिया है। कांग्रेसी चाटुकारों ने बहुत ही चालाकी से अपनी नीच एजेंडा को सीचने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के छवि को धूमिल करने की कोशिश की है। इसकी निंदा होनी चाहिए अथवा इस कथित पोस्ट के बनाने और वायरल करने वाले जालसाजों के ऊपर कानूनी कार्यवाही भी होनी चाहिए।
दावा | सलिल त्रिपाठी ने पीएम मोदी के कथित फेसबुक पोस्ट कर वायरल कर दावा किया पीएम मोदी साल 1958 में दो रुपए की चाय बेचते थे। अतः पीएम मोदी झूठ बोल रहे है। |
दावेदार | सलिल त्रिपाठी, चिराग और अन्य ट्विटर यूजर्स |
फैक्ट चेक | भ्रामक और फर्जी |
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