लोकसभा चुनाव 2024 का शंखनाद हो चुका है, इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिल चैनल Thanthi टीवी पर एक इंटरव्यू दिया। इसके बाद सोशल मीडिया पर उनके इंटरव्यू का एक हिस्सा वायरल हो रहा है। वीडियो में दावा किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इंटरव्यू के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ को इलेक्टोरल बांड के मामले पर धमकी दी।
कांग्रेस पार्टी समर्थक शांतनु ने X पर लिखा, ‘नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को जो चुनावी बॉन्ड घोटाले पर कार्रवाई की, उन्हें खुली धमकी दी।‘
Narendra Modi issued an open threat to Supreme Court Judges and the CJI DY Chandrachud who acted upon the Electoral Bonds scam. pic.twitter.com/CybAEcKWQY
— Shantanu (@shaandelhite) April 1, 2024
प्रियंका देशमुख ने लिखा, ‘कल चंदा चोर मोदी ने खुलेआम चीफ जस्टिस को धमकी दिया है कि पछताएंगे।‘
कल #चंदा_चोर_मोदी ने खुलेआम चीफ जस्टिस को धमकी दिया है कि पछताएंगे।#चंदा_चोर_मोदी_दिवस
— Priyanka Deshmukh (@anarkaliofara) April 1, 2024
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कांग्रेस नेता अविनाश कादबे ने लिखा, ‘नरेंद्र मोदी ने चुनावी बांड घोटाले पर कार्रवाई करने वाले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को खुली धमकी दी।हिटलर शाह अब सुप्रीम कोर्ट से भी अपनें आप को ऊपर मानते हैं।‘
नरेंद्र मोदी ने चुनावी बांड घोटाले पर कार्रवाई करने वाले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को खुली धमकी दी।
— Avinash Kadbe اویناش کڈبے (@INCAvinashkadbe) April 1, 2024
हिटलर शाह अब सुप्रीम कोर्ट से भी अपनें आप को ऊपर मानते हैं। #SaveDemocracy pic.twitter.com/qVeQa2ObQ1
आरजेडी सोशल मीडिया यूथ इंचार्ज आलोक चिक्कू ने लिखा, ‘CJI को धमकी दिया जा रहा है । CJI पछताएँगे?‘
CJI को धमकी दिया जा रहा है । CJI पछताएँगे ?
— Alok Chikku (@AlokChikku) April 1, 2024
#चंदा_चोर_मोदी_दिवस pic.twitter.com/QrAmbWCERy
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फैक्ट चेक
दावे की पड़ताल करने के लिए हमने प्रधानमंत्री के यूट्यूब चैनल पर प्रकाशित Thanthi Tv का इंटरव्यू देखा। यह इंटरव्यू लगभग 1 घंटे का था। इंटरव्यू के 53 मिनट 30 सेकंड के आगे, पत्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछता है, ‘सर, मैं आपसे चुनावी बॉन्ड डेटा के बारे में पूछना चाहता हूँ जो प्रकाशित किया गया है। क्या आपकी पार्टी को इससे कोई शर्मिंदगी या सेटबैक लगा। इस पर पीएम मोदी ने जवाब दिया, ‘मुझे बताइए ऐसा क्या किया है जिससे मुझे सेटबैक हो। मैं पक्का मानता हूं जो लोग इसको लेकर के आज नाच रहें है और गर्व कर रहें हैं वो पछताने वाले है। मैं ज़रा पूछना चाहता हूं इन सभी बुद्धिजीवियों और विद्वानों से कि 2014 से पहले जितने चुनाव हुए चुनाव में खर्चा तो हुआ ही होगा ना कौन एजेंसी है जो बता पाए कि पैसा कहां से आया कहां गया और किसने खर्च किया। ये तो मोदी ने इलेक्टोरल बांड बनाया। इसके कारण आज ढूंढ़ पा रहें हो कि बांड किसने लिया कहां दिया वरना तो पहले तो पता ही नहीं चलता था चुनाव का तो खर्चा होता था। आज आपको ट्रेल मिल रहा है क्योंकि इलेक्टोरल बांड थे। कोई व्यवस्था पूर्ण नहीं होती, कमियां हो सकती है, उन कमियों को सुधारा जा सकता है। कम से कम इलेक्टोरल बांड होता तो आपको पास जानकारी हो कि यहां से यहां से यहां गया।’
आगे पड़ताल में हमने यह देखने की कोशिश करी कि इलेक्टोरल बांड के नियम से पहले देश में राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के क्या नियम थे। इस पर मुझे tv9 भारतवर्ष द्वारा प्रकाशित 01 अप्रैल 2024 की एक रिपोर्ट मिली। tv9 भारतवर्ष के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड योजना से पहले पार्टियों को चंदा अधिकतर नगदी के तौर पर मिलता था, जिससे राजनीतिक दलों और चुनावी प्रक्रिया में काले धन को बढ़ावा मिलता था। किसी पार्टी को चंदा देने वालों को अक्सर विरोधी पार्टी से निशाना बनाए जाने की आशंका रहती थी।
tv9 भारतवर्ष ने आगे लिखा, ‘केंद्र सरकार द्वारा चुनावी बॉन्ड स्कीम लाए जाने से पहले राजनीतिक पार्टियों को चेक के जरिए चंदा दिया जाता था। चंदे में दी गई राशि की पूरी जानकारी उनके एनुअल अकाउंट में होती थी। राजनीतिक पार्टियां चुनाव आयोग को चंदा देने वाले का नाम और प्राप्त राशि की जानकारी देती थीं. ऐसी स्थिति में आमतौर पर कॉरपोरेट चेक के जरिए बड़ी रकम का चंदा देने से बचा जाता था, क्योंकि इसकी पूरी जानकारी आयोग को देनी होती थी। बता दें कि आज से लगभग 40 साल पहले सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के पास एक रसीद बुक हुआ करती थी. इस बुक को लेकर कार्यकर्ता घर-घर जाते थे और अपनी पार्टी के लिए लोगों से चंदा वसूलते थे।‘
रिपोर्ट में आगे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पेश किए ADR का हवाला दिया गया है। नवंबर 2023 में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि वित्त वर्ष 2004-05 से 2014-15 के बीच 11 साल की अवधि के दौरान राजनीतिक दलों की कुल आय का 69 फीसदी हिस्सा ‘अज्ञात स्रोतों’ से प्राप्त हुआ था। आगे बताया था कि इस अवधि के दौरान, ‘अज्ञात स्रोतों’ से राष्ट्रीय पार्टियों की आय 6,612.42 करोड़ रुपये और क्षेत्रीय पार्टियों की आय 1,220.56 करोड़ रुपये थी। अज्ञात स्रोत का अर्थ हुआ कि ऐसे राजनीतिक चंदे का कोई लेखा जोखा नहीं था।ऐसे में राजनीतिक चंदे कैश में दिए जाते हैं और बैंकिंग सिस्टम से बाहर रहते हैं। इस कारण ऐसे चंदे को ब्लैक मनी माना जा सकता है।
tv9 भारतवर्ष ने इलेक्टोरल बांड की प्रक्रिया से पहले राजनीतिक पार्टियों चंदे के लेन देन में कैसे घपला करती थी इस पर प्रकाश डालते हुए लिखा, ‘इलेक्टोरल बॉन्ड से पहले की स्थिति को देखें तो सभी राजनीतिक दलों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करते समय पार्टी फंड में 20 हजार रुपये से अधिक का योगदान देने वाले दानकर्ताओं के नाम और अन्य विवरण रिपोर्ट करना अनिवार्य था। 20 हजार से कम राशि दान करने वालों की जानकारी नहीं मांगी जाती थी, इस दान को अज्ञात स्रोतों से आमदनी के रूप में घोषित किया जाता था और ऐसे दानदाताओं के विवरण सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध नहीं होते थे। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेट रिफॉर्म्स यानी एडीआर ने 2017 में एक अध्ययन के जरिए पाया कि 2004-5 और 2014-15 के बीच भारत में राजनीतिक दलों की कुल आय 11 हजार 367 करोड़ रुपये थी, जिसमें 20 हजार से कम दान वाले दान से प्राप्त आमदनी कुल आय का 69 प्रतिशत हिस्सा थी। यानी 7833 करोड़ रुपये अज्ञात स्रोतों से आए थे, जबकि राजनीतिक दलों की कुल आय का केवल 16 प्रतिशत हिस्सा ही ज्ञात दानदाताओं से था।‘
निष्कर्ष: Thanthi टीवी को दिए गए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इलेक्टोरल बॉंड के मुद्दे पर विपक्षी दलों की बात कर रहें हैं। पीएम मोदी ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि आज ये नाच रहें हैं, कल ये पछताएंगे क्योंकि इलेक्टोरल बॉंड से पहले देश में कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी जिसके जरिए यह पता किया जा सके कि राजनीति में ब्लैक मनी आ रहा है या साफ सुधारा पैसा।
दावा | पीएम मोदी ने चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ को धमकी दी |
दावेदार | कांग्रेस समर्थक एवं अन्य सोशल मीडिया यूजर्स |
फैक्ट चेक | भ्रामक |
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