सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव देश के इकलौते रेल मंत्री थे, जिनके कार्यकाल में रेलवे ने मुनाफा कमाया। इस दावे में यह भी कहा गया है कि लालू यादव का कार्यकाल भारतीय रेलवे के लिए एक स्वर्णिम युग था, जब रेलवे ने पहली बार लाभ कमाया और देश को 90 हजार करोड़ रुपये का फायदा हुआ।
गरवी रावत ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘भारत सरकार के पूर्व रेलमंत्री लालू जी का कार्यकाल भारतीय रेलवे के लिए स्वर्णिम युग था। रेलवे पहली बार फ़ायदे में रहा। देश को 90 हज़ार करोड़ का फ़ायदा हुआ। बतौर रेल मंत्री उन्होंने बिहार और देश को क्या दिया? बस ये देख लीजिए। •छपरा में 872करोड़ की लागत से रेल पहिया कारख़ाना लगवाया। • 2025 करोड़ की लागत से सारण के मढौरा में डीजल इंजन कारख़ाना लगवाया। • मधेपुरा में 1300 करोड़ की लागत से विद्युत रेल इंजन कारख़ाना लगवाया। • 90 करोड़ की लागत से सोनपुर में माल वैगन मरम्मत वर्कशॉप और 15 करोड़ की लागत से दी ईएमयू डिपो लगवाया । • समस्तीपुर में 33 करोड़ की लागत से वैगन रिपेयर वर्कशॉप लगवाया। •15 करोड़ की लागत से मधेपुरा, सीतामढ़ी और चकसिकंदर में कंक्रीट स्लीपर फैक्ट्री लगवाया ।• सारण के गरखा में 40 करोड़ की लागत से वैगन पुनर्निर्माण वर्कशॉप लगवाया । • 5500 करोड़ की लागत से 1000 मेगावाट बिजली उत्पादन परियोजना लगवाया। • 1240 करोड़ की लागत से नयी रेल लाइन निर्माण अमान परिवर्तन दोहरीकरण सह विद्युतीकरण करवाया| • गरीब रथ पूर्णत : वातानुकूलित रेलगाड़ी चलवाया ताकि गरीब-गुरबा AC में सफर कर सके।• पहले रेलमंत्री जिन्होने लगातार हर बजट में यात्री किराया कम किया। • कुली भाइयों को रेलवे में सरकारी नौकरी दी गई।• जब बिहार में कोसी तटबंध टूटा था तो बिहार को 90 करोड़ रुपया बाढ़ पीड़ितो के लिए बिहार सरकार को दिया । • साक्षात्कार के लिए जाने वाले युवाओं का रेल किराया मुफ्त किया। • इन्टरनेट से रेल टिकट बुकिंग प्रारम्भ करवाया। समस्तीपुर,मुजफ्फरपुर वालों को राजधानी ट्रेन की सुविधा और पटना राजधानी प्रतिदिन करवाया । • पटना में सबसे बड़ा रेलवे अस्पताल का निर्माण जो कि पटना रेलवे स्टेशन के बगल में है। • रेलवे बजट के अंतर्गत पटना से छपरा तक गंगा नदी पर रेलवे व सड़क पुल बनवाने का कार्य किया, इसका कार्य निर्माणाधीन है।• गरीब कुम्हार भाइयों को रोजगार देने हेतु चाय • के लिए कुल्हड़ का प्रयोग अनिवार्य किया।• गरीबों और अक्लियतों के गाँवों में लोकल गाड़ियों को रुकने के निर्देश दिए गए। ये सब लालूजी के नेतृत्व में हुआ। बाक़ी गाली देने वाले देते रहेंगे। अब सामन्तवाद के सीने पर लात रख के राजनीति होगी। लालू यादव ज़िंदाबाद रहेंगे।’
इसके अलावा इस दावे को इंडिया अवेकएंड, जैकी यादव, और कंचना यादव ने किया।
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने मामले से संबंधित कीवर्ड्स की मदद से गूगल सर्च किया। इसके बाद हमें बिजनेस स्टैंडर्ड की फरवरी 2016 की एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के अनुसार, लालू प्रसाद यादव भारत के 34वें रेल मंत्री थे। लालू ने अपने 2004 से 2009 के बीच के कार्यकाल में दावा किया था कि उन्होंने रेलवे को भारी मुनाफे में बदल दिया है। हालांकि, सरकारी खातों की जांच करने वाले नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने उनके इस दावे को गलत बताया। CAG ने कहा कि रेलवे का यह मुनाफा केवल आंकड़ों को बेहतर दिखाने का एक तरीका था। रिपोर्ट में यह भी लिखा गया कि लालू प्रसाद ने कहा था कि उनके नेतृत्व में रेलवे ने 25,000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। लेकिन 2011 की CAG रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे के जो आंकड़े पेश किए गए थे, वे “कैश और निवेश योग्य अधिशेष” को जोड़कर बनाए गए थे।
• कैश अधिशेष: वह पैसा, जो लाभांश देने, पुरानी संपत्तियों की मरम्मत या बदलने, और अन्य निवेश के लिए रखा जाता है।
• निवेश योग्य अधिशेष: वह पैसा, जो बड़े प्रोजेक्ट्स और निर्माण कार्यों पर खर्च करने के लिए तय किया जाता है।
CAG ने साफतौर पर कहा कि यह मुनाफा दिखाने का तरीका असली लाभ से ज्यादा “आंकड़ों की सजावट” था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि लालू प्रसाद के कार्यकाल के आखिरी वर्षों में रेलवे के प्रदर्शन में गिरावट देखने को मिली थी।
पड़ताल में आगे हमें फाइनेंशियल एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित 2016 की एक और रिपोर्ट मिली। इसके अनुसार, CAG की रिपोर्ट में कहा गया कि लालू प्रसाद यादव का यह दावा, कि उनके कार्यकाल में रेलवे फायदे में था, महज एक “फूले हुए गुब्बारे” के जैसा है। यह दावा पूरी तरह गलत था। CAG ने अपनी रिपोर्ट में आगे यह भी बताया कि रेलवे के विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर, पुरानी संपत्तियों की मरम्मत, डिविडेंड और निवेश के लिए आवंटित किए गए पैसे को भी लालू प्रसाद यादव ने बजट में मुनाफे के रूप में पेश किया। इस वजह से रेलवे के मुनाफे को 25,000 करोड़ रुपये का बताया गया। रिपोर्ट में आगे लिखा गया कि लालू ने रेल मंत्री के कार्यकाल में “कैश और निवेश योग्य अधिशेष” को जोड़ दिया था, जबकि पहले ऐसा नहीं किया जाता था।
पड़ताल में आगे हमें टीवी 9 भारतवर्ष द्वारा प्रकाशित 2023 की एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक, लालू के बेटे और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने दावा किया था कि लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में भारतीय रेलवे ने 90,000 करोड़ रुपये की कमाई की। हालांकि, साल 2009 के बाद, जब ममता बनर्जी रेल मंत्री बनीं, तो उन्होंने श्वेत पत्र जारी कर यह बताया कि लालू के कार्यकाल में रेलवे को औसत से भी कम मुनाफा हुआ था। इसके बाद लालू और ममता के बीच बयानबाजी भी खूब हुई।
पड़ताल में आगे हमें हिंदुस्तान टाइम्स की 2009 की रिपोर्ट मिली। इसके अनुसार, ममता बनर्जी ने जब रेल मंत्रालय का कार्यभार संभाला, तो लालू प्रसाद यादव द्वारा किए गए मुनाफे के दावे के ऊपर जांच बैठा दी गई थी। इसी तरह, DW द्वारा प्रकाशित दिसंबर 2009 की रिपोर्ट के अनुसार, ममता बनर्जी ने दावा किया कि 2004-05 से 2008-09 के दौरान, जब लालू यादव रेल मंत्री थे, रेलवे का प्रदर्शन आमतौर पर कमजोर रहा। लालू यादव भी संसद में मौजूद थे, जब यह रिपोर्ट संसद में पेश की गई। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2008-09 में रेलवे के यात्री ऑपरेशन्स का घाटा 14 करोड़ रुपये का रहा। स्टेटस पेपर के मुताबिक, लालू के कार्यकाल में रेलवे के दस्तावेज़ों और खातों में हेरफेर कर मुनाफे के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया, ताकि रेलवे की वित्तीय स्थिति बेहतर नजर आए।
दावा | लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में रेलवे फायदे में था. |
दावेदार | सोशल मीडिया यूजर्स |
निष्कर्ष | CAG और विभिन्न रिपोर्ट्स के मुताबिक, लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में रेलवे का मुनाफा पूरी तरह से झूठा और गढ़ा हुआ था। लालू ने मुनाफा दिखाने के लिए बजट में कैश और निवेश योग्य अधिशेष को जोड़ दिया, जो पहले की बजट प्रक्रियाओं में नहीं किया जाता था। असल में, रेलवे के प्रदर्शन में गिरावट हुई थी, और यात्री ऑपरेशन्स में घाटा भी दर्ज हुआ। लालू का मुनाफे का दावा केवल आंकड़ों की हेरफेर से बनी एक गढ़ी हुई कहानी थी। |
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