Home हिंदी जामिया हिंसा में शरजील, सफूरा और अन्य किसी भी आरोपी को कोर्ट ने बरी नहीं किया
हिंदी

जामिया हिंसा में शरजील, सफूरा और अन्य किसी भी आरोपी को कोर्ट ने बरी नहीं किया

Share
Share

फरवरी 2020, जब एक तरफ दिल्ली में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आए हुए थे वहीं दूसरी तरफ दिल्ली को दंगाइयों ने जलाने का संकल्प लें लिया था। पूर्वी उत्तर दिल्ली की गलियां जलने से पहले दिसंबर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय हिंसा के चपेट में आ चुका था। जामिया मिलिया में हिंसा फैलाने के नामजद आरोपी हैं- शरजील इमाम, सफूरा जरगर, मोहम्मद कासिम और इनके अलावा आठ और आरोपी है। इनको लेकर ट्विटर पर हाल ही में एक खबर फैलाई जा रही है कि, कोर्ट ने इन्हें रिहा कर दिया है और दिल्ली पुलिस को फटकार भी लगाई है।

ट्विटर पर एक पोस्ट बहुत तेजी से वायरल किया जा रहा है जिसमें दावा किया गया है कि, कोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय हिंसा में शामिल सभी 11 आरोपियों को बरी कर दिया है और इतना ही नहीं दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा है कि, ‘असली गुनहगारों को नहीं पकड़ सकी पुलिस, इन्हें बली का बकरा बनाया’

यह पोस्ट ‘bolta hindustan‘ के पोस्टकार्ड के साथ ट्विटर पर वायरल किया जा रहा है।

ट्विटर पर 27 अप्रैल को मोहम्मद हुसैन नामक कट्टर इस्लामिस्ट ने यह पोस्ट अपने अकाउंट से साझा किया और लिखा कि, “नफ़रत की सौदागरों का मुंह हुआ फिर काला” और देखते ही देखते करीब 15,000 लोगों ने लाइक कर दिया तो वहीं 5,000 से ज्यादा लोगों ने रीट्वीट भी कर दिया है।

https://twitter.com/hussain_hrw/status/1651506417453486082?s=20

रीट्वीट करने वालों में से एक है आर. जे. साइमा, ये अपनी आवाज़ का इस्तेमाल हिन्दुओं के खिलाफ करती है। इनके अलावा BBC के पूर्व पत्रकार मोहम्मद उमर फारूक ने भी रीट्वीट किया, ये अपने कट्टर इस्लामिस्ट राय रखने के लिए जाने जाते है। कौमी दर्पण नामक अखबार के पत्रकार फ़ैज़ अनवर मुल्लाह ने भी रीट्वीट किया था।

Source- Twitter

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता नासिर सलीम ने ट्वीट कर लिखा कि ‘बर्बाद हुए इनके समय का क्या‘

एक अन्य ट्विटर यूजर अब्दुल बसीर ने यह पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि, “रमदान के दिनों में कठिन प्राथना का नतीजा है कि सभी आरोपी छूट गए हैं। अल्लाह इन्हें आशीर्वाद दे और सुरक्षित रखें”

इसके अलावा 500 से ज्यादा लोगों ने इस पोस्ट को साझा कर अपनी राय रखी हैं। आप इसे यहां, यहां और यहां भी देख सकते है।

यह भी पढ़े: बसपा उम्मीदवार द्वारा एक युवक को पीटने का विडियो साझा कर कांग्रेस ने बताया भाजपा गठबंधन का

तो क्या सच में कोर्ट ने यह कहा था कि, ‘असली गुनहगारों को नहीं पकड़ सकी पुलिस, इन्हें बली का बकरा बनाया।‘ ? आईए देखते है।

फैक्ट चेक

इस खबर की पड़ताल करने के लिए हमने गूगल पर “जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय हिंसा‘ कीवर्ड टाइप कर सर्च किया। इंडिया टुडे के अनुसार, हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी 11 आरोपियों के बरी होने पर रोक लगा दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह फैसला 28 मार्च 2023 को सुनाया है।

Source- India Today

द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक दिल्ली हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि, “ ट्रायल कोर्ट को शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन पर सरकार का दबाव और सड़कों पर दंगा फैलाने वालों पर सरकार का दबाव के बीच का फर्क साफ़ नहीं है”

Source- The Times Of India

यहीं नहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की पुरानी तीखी प्रतिक्रिया को रिकॉर्ड से हटाते हुए कहा कि, “इस प्रकार की टिप्पणियों  जोकि जांच पड़ताल में कमी को दर्शाती है यह बेशक कुछ मामलों में किया जा सकता है लेकिन न्यायिक प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए।” 

Source- The Times of India

इस मामले में और जांच पड़ताल के बाद हमें पता चला कि फरवरी 2023 में दिल्ली के ट्रायल कोर्ट ने अपने फैसले में दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी और सभी जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय हिंसा में शामिल आरोपी को बरी कर दिया था। जिसके उपरांत दिल्ली ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

Source- Outlook India

आपको बता दें कि, नवभारत टाईम्स के अनुसार 4 फरवरी को दिल्ली के ट्रायल कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा था कि, ‘ असली गुनहगारों को पकड़ने में नाकाम रही। पुलिस ने आरोपियों को बली का बकरा बना दिया।‘ इसके साथ ही ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। हालकिं दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को खारिज कर दिया है और सभी आरोपियों को रिहाई रद्द कर दी है।

Source- NavBharat Times

हमारी आगे की पड़ताल के बाद पता चला कि, 4 फरवरी को दिल्ली ट्रायल कोर्ट के फैसले के उत्साह में bolta Hindustan नामक हिंदू विरोधी न्यूज वेबसाइट ने यह वर्तमान समय वायरल की जाने वाली पोस्टकार्ड बनाया था। लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद किसी प्रकार का पोस्टकार्ड नहीं बनाया था। अथार्थ, कट्टरपंथियों ने बहुत चालाकी के साथ 4 फरवरी का पुराना पोस्ट आज के समय में फैला रहें है।

हमारी पड़ताल के बाद यह साफ पता चलता है कि, मोहम्मद हुसैन, आर जे साइमा और कई अन्य कट्टरपंथी ट्विटर यूजर द्वारा वायरल किया जा रहा है दावा भ्रामक है। हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने वायरल खबर के बिल्कुल विपरीत फैसला सुनाया है।

यह भी पढ़े: सुरेश चव्हाणके की पत्नी का मुस्लिम संग फरार होने का दावा झूठा

दिल्ली दंगा में जो परिवार बर्बाद हुए थे, वे अभी तक उस पीड़ा से उभर नहीं पाए है। ऑफिसर अंकित शर्मा का परिवार अभी भी अपने बेटे के दुख में डूबा हुआ है, लेकिन दंगाइयों को रिहाई के फर्जी खबर पर खुशियां मनाने वालों की कमी नहीं है। ऐसी तुच्छ मानसिकता को the only fact हमेशा उजागर करता रहेगा।

दावाजामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय हिंसा के सभी आरोपी बरी हो गए हैं। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है।
दावेदारमोहम्मद हुसैन एवं अन्य ट्विटर यूजर्स 
फैक्ट चैकभ्रामक

प्रिय पाठकों, हम भारत के खिलाफ फर्जी खबरों को उजागर करने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। हमारे पास अन्य लोगों की तरह कोई कॉर्पोरेट फंडिंग नहीं है। आपका छोटा सा सहयोग हमें और आगे बढ़ने में मदद करेगा। आप हमें लिविक्स मीडिया फाउंडेशन क्यूआर कोड द्वारा भी सहयोग कर सकते हैं

Share