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नोएडा में दलित परिवार द्वारा निर्वस्‍त्र होकर प्रदर्शन करने का पुराना मामला भ्रामक दावे के साथ वायरल

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सोशल मीडिया पर एक निर्वस्त्र परिवार की फोटो वायरल है। इसे शेयर कर दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के नोएडा में चोरी की रिपोर्ट लिखा कर चोर को पकड़ने की मांग करने पर पुलिस ने दलित परिवार के साथ ऐसा व्यवहार किया। हालांकि पड़ताल में यह दावा भ्रामक निकला।

शमा प्रवीन ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ‘उत्तर प्रदेश नोएडा में दलित परिवार के साथ ऐसा व्यवहार चोरी की रिपोर्ट लिखा कर चोर को पकड़ने की मांग करने पर ऐसे सजा इन्हे मिली क्या यह सही है। रिट्वीट किजिए ताकी इन्हे इंसाफ मिल सके।’ वहीं पोस्ट में एक वॉइस ओवर भी है, जिसमें कहा गया, ‘महान देश की इस सच्चाई को पेश करते हुए शर्मसार हो रहा हूं। लेकिन इसको पोस्ट करना भी जरूरी है, जहां पर मीडिया विकलांग, बिकाऊ और पक्षपाती हो जाता है, वहां पर हम सभी को एक सच्चे पत्रकार की भूमिका में सामने आना पड़ता है। ये तस्वीर उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के धनकौर थाने की है। कोई प्रवीन यादव इसके इंचार्ज हैं, जिसने इस गरीब दलित दम्पत्ति को चौराहे पर इसलिए नंगा कर दिया, क्योंकि ये थाने में अपने घर हुई चोरी की घटना की शिकायत करने और चोरों को पकड़ने की मांग करने थाने में प्रवीन एस.एच.ओ. के पास आए थे। देखिए बीच चौराहे पर बेबस पति और पत्नी को नंगा किया गया है और पास खड़ी हिजड़ों की फौज तमाशा देख रही है। अनुरोध है कि आप इस पोस्ट को इतना शेयर करें कि अपराधी एस एच ओ तक टंग जाए।’ 

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फैक्ट चेक

दावे की पड़ताल करने के लिए हमने वायरल तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया। इस दौरान यह तस्‍वीर हमें 10 अक्टूबर 2015 को इंडिया टुडे की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में मिली। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रेटर नोएडा में पुलिस की लापरवाही से नाराज होकर एक परिवार ने ऐसा विरोध प्रदर्शन किया कि देखने वाले सब हैरान रह गए। यहां लूट के आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर प्रदर्शन कर रहे परिवार को जब पुलिस ने हटाने की कोशिश की तो उन्होंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। घटना ग्रेटर नोएडा के दनकौर पुलिस स्टेशन की है। वहां सुनील गौतम नाम का एक शख्‍स पुलिस स्टेशन में लूट के मामले में एक एफआईआर दर्ज करवाना चाहता था, लेकिन जब उसकी शिकायत नहीं लिखी गई तो वह पूरे परिवार के साथ निर्वस्त्र हो गया। वहीं नग्न होकर प्रदर्शन करने के मामले में पुलिस ने परिवार को गिरफ्तार किया था। 

Source-India Today

निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि दलित परिवार को निर्वस्‍त्र किये जाने का दावा भ्रामक है। यह घटना 2015 की है, जहां लूट की एफआईआर दर्ज नहीं करने पर दलित परिवार ने निर्वस्‍त्र होकर पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

दावानोएडा में चोरों को पकड़ने की मांग करने पर दलित परिवार को किया गया निर्वस्‍त्र 
दावेदारसमा प्रवीन 
फैक्ट चेकभ्रामक
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