हरियाणा में हुई नूह हिंसा के बाद सेक्युलर गैंग दंगाइयों की करतूतों को नजरअंदाज कर हरियाणा पुलिस और सरकार को दोषी ठहरने का एजेंडा चला रहा है। इस एजेंडा के तहत कट्टरपंथियों द्वारा अब एक नया वीडियो शेयर किया जा रहा है। वीडियो में पुलिस कई महिलाओं को पीटते हुए उन्हें जीप में बैठाती दिख रही है।
ट्विटर पर इस वीडियो को ट्वीट करते हुए AIMIM के प्रवक्ता ‘वारिस पठान’ ने लिखा, ” किसने अधिकार दिया है इन पुलिसवालों को इस तरह से लाठियों से महिलाओं को मारने का?? इन जैसे पुलिसवालों के ख़िलाफ़ सख़्त क़ानून कब बनेगा ??
इस वीडियो को शेयर करते हुए इस्लामिक कट्टरपंथी ‘वासुद्दीन सिद्दीकी’ ने लिखा, “ये वीडियो वायरल हैं आप इसको देख कर खुश होइये, शर्मिन्दा होइये ये आप सबकी मानसिकता पर निर्भर हैं!”
‘सोहरब अंसारी‘ नाम के शख्स ने इसे नूह का बताते हुए लिखा, “हरियाणा के नूह में पुलिस का महिलाओं पर यह रवैया अपमान जनक है शर्म आनी चाहीए।”
वहीं कांग्रेस समर्थक ‘सैयद हसन अली’ ने लिखा, “मेवात के #नूह में कर्फ्यू लगा है तो पुलिस वाले औरतो को और लोगों को घरो में से उठा कर लेकर जा रहें हैं!!”
हमने हरियाणा नूह हिंसा से जुड़े पहले भी फैक्ट चेक रिपोर्ट छापे है, जिसमें हमने खुलासा किया है कि कैसे भ्रामक प्रचार कर इस्लामिक तत्व सरकार और पुलिस को दोषी ठहरने का प्रयत्न कर रहें है। ऐसे में हमारी देश हित में प्रबल जिम्मेदारी हो जाति है कि जिहादियों द्वारा किए गए दावों की सच्चाई का पता लगाया जाए। चलिए वायरल वीडियो की तहकीकात करते हैं!
अपनी जांच शुरु करने दौरान सबसे पहले हमारी नजर ‘वासुद्दीन सिद्दीकी’ के ट्वीट के कमेंट सेक्शन पर गई। ‘रफीकुद्दीन सिद्दीकी’ नाम के यूजर ने इस पोस्ट पर रिप्लाई देते हुए एक ट्वीट का स्क्रीन शॉट शेयर किया। स्क्रीन शॉट में वही वीडियो दिख रही है, जिसे शेयर किया जा रहा है. यह वीडियो 24 अप्रैल 2020 को पोस्ट क गई थी। रफीकुद्दीन ने बताया कि यह वीडियो यह वीडियो पुराना और लॉक डाउन के समय का है. स्क्रीन शॉट के मुताबिक वीडियो में दिख रही पुलिस हरियाणा में उत्तावर थाना की है.
स्क्रीन शॉट में इस वीडियो को असल में शेयर करने वाले ‘मोसिन करीम मेवाती’ के अकाउंट पर जाकर हमने यह वीडियो को ढूंढने की कोशिश की, मगर पता चला कि मोसिन ने वो वीडियो पहले ही डिलीट कर दी है।
इसके बाद हमने स्क्रीन शॉट से मिली जानकारी के मुताबिक कुछ कीवर्ड की मदद से इस वीडियो को ढूंढने की कोशिश की। इस दौरान हमें यह वीडियो फेसबुक पर मिली, जिसे दो साल पहले यानी 4 जून 2021 को पोस्ट की गई थी। इस पोस्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि यह वीडियो कहां की है।
हमारी पड़ताल में पूरी तरह से यह तो नहीं पता चल पाया कि असल में ये वीडियो कहां की है, लेकिन यह हम दावे के साथ कह सकते हैं कि यह वीडियो नूह हिंसा से किसी प्रकार से भी नहीं जुड़ी है. यह वीडियो दो साल पहले फेसबुक पर पोस्ट की जा चुकी है। ऊपर उल्लेख किए गए तमाम प्रमाण के आधार पर यह कहना उचित होगा कि नूह हिंसा के बाद पुलिस द्वारा महिलाओं को पीटने का यह वीडियो भ्रामक है।
दावा | नूह में पुलिस ने महिलाओं को पीटा और गिरफ्तार किया |
दावेदार | ट्विटर यूजर |
फैक्ट चेक | भ्रामक |
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