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चुनाव आयोग दो बार दे चुका है ईवीएम हैक करने का चैलेंज, प्रज्ञा मिश्रा ने फैलाया झूठ

छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद कुछ यूट्यूब पत्रकारों ने ईवीएम मशीन के साथ कथित छेड़छाड़ होने का विवाद शुरू किया है। इस सम्बंध में पत्रकार प्रज्ञा मिश्रा ने भी ईवीएम पर सवाल उठाते हुए है। उन्होंने अपने हाल के वीडियो(1:08 मिनट के बाद से) में कहा है कि ईवीएम के CU में एक माइक्रोचिप लगी होती है। इस चिप में केवल चुनाव आयोग को ही पता चलता है उम्मीदवार का डेटा होता है जिससे कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती है लेकिन आयोग पर स्वयं बीजेपी के पक्षधर करने का आरोप है। चुनाव आयोग की भूमिका संदिग्ध है तो फिर चुनाव आयोग के जवाब का कोई सार्थकता नहीं रहती है और इसलिए चुनाव आयोग को ईवीएम की संदिग्धता से बाहर निकाला जाना चाहिए। एक महीने के लिए ईवीएम को किसी दल को देने के माध्यम से चुनौती देना चाहिए ताकि यह हैक हो सके लेकिन चुनाव आयोग ऐसा करने को तैयार नहीं होता है।

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फैक्ट चेक

प्रज्ञा मिश्रा द्वारा किए गए दावे की जाँच के लिए हमने मामले से संबंधित कीवर्ड्स से न्यूज़ रिपोर्ट सर्च किया तो हमें 9 मार्च 2022 को दैनिक जागरण में प्रकशित रिपोर्ट मिली। दैनिक जागरण ने लिखा है कि ईवीएम हैक करने का चैलेंज चुनाव आयोग ने 2017 में ही राजनीतिक दलों को दिया था लेकिन ज्यादातर पार्टियों ने इसे स्वीकार नहीं किया। रिपोर्ट में बताया गया कि चुनाव आयोग के चैलेंज को ज्यादातर दलों ने स्वीकार नहीं किया। ईवीएम पर सवाल तो कई दलों ने उठाए लेकिन चुनाव आयोग की तरफ से हैकिंग का चैलेंज दिए जाने के बाद दो ही दल सामने आए थे। एनसीपी और सीपीएम के नेता चुनाव आयोग के दफ्तर तो पहुंचे लेकिन उन्होंने भी चैलेंज में हिस्सा लेने से हाथ खड़े कर दिए। दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने वाली अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी चैलेंज में हिस्सा लेने से मना कर दिया था।

इस मामले की जाँच को आगे बढ़ाने के लिए 2017 की रिपोर्ट की जाँच की गई। आजतक ने ईवीएम हैक चैलेंज रिपोर्ट को प्रकाशित किया था। रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग ने 2017 में सभी राजनीतिक दलों को ईवीएम हैक करने का चैलेंज दिया था। इसमें कहा गया है कि चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों को दस दिनों का मुकाबला दिया जिसमें वैज्ञानिक, इंजीनियर, एक्सपर्ट या टेक्नीशियन ईवीएम को हैक कर सकने का चैलेंज था। हालांकि अधिकांश पार्टियां ने इस चैलेंज को स्वीकार नहीं किया जबकि एनसीपी और सीपीआई ने चैलेंज को स्वीकारा, लेकिन उन्होंने ईवीएम को हैक करने में अपनी अक्षमता को स्वीकृत किया।

Source- Aajtak

बता दें कि साल 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद भी ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए थे। उस समय, चुनाव आयोग ने ईवीएम के साथ टेम्पर करने का चैलेंज दिया था, और उस समय भी कोई दल ने ईवीएम को हैक या टेम्पर करने में सफलता नहीं प्राप्त की थी।

निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि चुनाव आयोग ने एक ही बार नहीं बल्कि दो बार राजनीतिक दलों के सामने ईवीएम को हैक करने का चैलेंज रखा है, लेकिन अधिकांश पार्टियां ने इसे स्वीकार नहीं किया। और दो दलों ने चैलेंज को स्वीकारा लेकिन उन्होंने ईवीएम को हैक करने में अपनी अक्षमता जाहिर की।

दावाचुनाव आयोग ने ईवीएम मशीन को हैक करने का चैलेंज नहीं दिया है
दावेदारप्रज्ञा मिश्रा
फैक्ट चेकचुनाव आयोग ने 2004 और 2017 में ईवीएम हैक करने का चैलेंज दिया है
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Tags: Fake News फैक्ट चैक

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