देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के माहौल के बीच सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि पीएम मोदी ने हिंदुस्तान के अमीर अरबपतियों का 14 लाख करोड़ रुपये माफ किया है। राहुल गाँधी ने अपने भाषण में कहा कि PM मोदी ने हिंदुस्तान के चुनिंदा अरबपतियों का 14 लाख करोड़ रुपया माफ किया है। जिन लोगों का कर्ज माफ हुआ, उनमें कितने OBC, दलित, आदिवासी हैं? PM मोदी ने अपने मित्रों को ’14 लाख करोड़ रुपए’ का तोहफा दिया है। हालांकि हमारी पड़ताल में यह दावा गलत है।
कांग्रेस ने अपने ऑफिशल एक्स हैंडल पर राहुल गांधी का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘PM मोदी ने हिंदुस्तान के चुनिंदा अरबपतियों का 14 लाख करोड़ रुपया माफ किया है। जिन लोगों का कर्ज माफ हुआ, उनमें कितने OBC, दलित, आदिवासी हैं? PM मोदी ने अपने मित्रों को ’14 लाख करोड़ रुपए’ का तोहफा दिया है।’
PM मोदी ने हिंदुस्तान के चुनिंदा अरबपतियों का 14 लाख करोड़ रुपया माफ किया है।
— Congress (@INCIndia) November 19, 2023
जिन लोगों का कर्ज माफ हुआ, उनमें कितने OBC, दलित, आदिवासी हैं?
PM मोदी ने अपने मित्रों को '14 लाख करोड़ रुपए' का तोहफा दिया है।
: राजस्थान में @RahulGandhi जी pic.twitter.com/fYZckRxLi0
इंडियन यूथ कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने लिखा, ‘मोदी जी ने आपको 15 लाख रुपए देने का वादा किया था, जो किसी को नहीं मिला और कभी मिलेगा भी नहीं। PM मोदी ने आपको 15 लाख रुपए तो नहीं दिए, लेकिन अरबपतियों के साढ़े 14 लाख करोड़ रुपए के कर्ज माफ कर दिए।’
मोदी जी ने आपको 15 लाख रुपए देने का वादा किया था, जो किसी को नहीं मिला और कभी मिलेगा भी नहीं।
— Srinivas BV (@srinivasiyc) November 16, 2023
PM मोदी ने आपको 15 लाख रुपए तो नहीं दिए, लेकिन अरबपतियों के साढ़े 14 लाख करोड़ रुपए के कर्ज माफ कर दिए।
: राजस्थान में @RahulGandhi जी pic.twitter.com/W0OF4W0rH4
वहीं रमनदीप सिंह ने लिखा, ‘नया कारनामा नहीं है, 9 साल की मेहनत है इस कारनामे के पीछे, अमृत काल। लाने का जुनून है इस कारनामे के पीछे !!’
नया कारनामा नहीं है, 9 साल की मेहनत है इस कारनामे के पीछे, अमृत काल।लाने का जुनून है इस कारनामे के पीछे !! pic.twitter.com/bP6djcE2Zx
— Ramandeep Singh Mann (@ramanmann1974) November 20, 2023
इसे भी पढ़िए: क्या PM मोदी ने हर भारतीय के बैंक खाते में 15 लाख देने का वादा किया था?
फैक्ट चेक
पड़ताल में हमे दैनिक जागरण पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। अगस्त 2023 को प्रकाशित इस रिपोर्ट को ‘केंद्र ने 9 वर्षों में 14.56 लाख करोड़ के कर्ज बट्टे खाते में डाले, कुल ऋण में करीब 50 प्रतिशत रकम उद्योगों की’ शीर्षक के साथ प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने संसद में बताया कि पिछले नौ वित्त वर्ष (2014-15) के दौरान 14.56 लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्जों (एनपीए) को बट्टे खातों में डाला गया है। बट्टे खाते में डाले गए कुल कर्ज में से बड़े उद्योगों का ऋण 7,40,968 करोड़ रुपये था। वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) ने अप्रैल, 2014 से मार्च, 2023 तक कारपोरेट कर्ज सहित बट्टे खाते में डाले गए कर्जों में से कुल 2,04,668 करोड़ रुपये की वसूली की है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2017-18 में बट्टे खाते में डाले गए कर्ज के मुकाबले ऋण वसूली 1.18 लाख करोड़ रुपये रही। हालांकि वित्त वर्ष 2021-22 में यह वसूली घटकर 0.91 लाख करोड़ और वित्त वर्ष 2022-23 में मात्र 0.84 लाख करोड़ रुपये रह गई। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा बट्टे खाते में डाला गया कुल कर्ज 73,803 करोड़ रुपये था।
इसके अलावा हमे वामपंथी मीडिया संस्थान ‘द वायर‘ पर ‘वित्त वर्ष 2014-15 से बैंकों ने 14.56 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले: केंद्र’ शीर्षक के साथ प्रकाशित रिपोर्ट मिली। यहाँ गौर करने वाली बात है कि इन दोनी ही रिपोर्ट में ‘कर्ज माफी’ शब्द का जिक्र नहीं किया है।
पड़ताल में हमे 17 नवम्बर 2016 को Live Mint पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक एसबीआई ने बताया है कि बट्टा खाता और ऋण माफी अलग-अलग हैं, किसी खाते को तब बट्टे खाते में डाल दिया जाता है जब बैंकों ने खराब ऋण के विरुद्ध पूरी तरह से प्रावधान कर दिया हो। इस खाते को बैलेंस शीट से हटा दिया जाता है क्योंकि इसके खिलाफ सभी लंबित देनदारियां बैंक द्वारा चुका दी गई हैं। हालाँकि, बैंक पुनर्भुगतान के लिए उधारकर्ता का पीछा करना जारी रखता है।
इस सम्बन्ध में एक बेवसाईट से जानकारी मिली कि बैंक के लोन को बट्टे खाते में डालने का मतलब कर्जमाफी नहीं होता है। ऐसे कर्जदार जो सक्षम होने के बावजूद जानबूझकर कर्ज नहीं चुका रहे हैं तो बैंक चार साल पुराने फंसे हुए कर्ज को बैलेंस सीट से हटा देते हैं। बैंक इस कर्ज को राइट ऑफ कर देते हैं यानी बट्टे खाते में डाल देते हैं ताकि बहीखाते में इस कर्ज का उल्लेख न हो और बहीखाता साफ-सुथरा रहे और उसी हिसाब से प्रभावी तरीके से टैक्स देनदारी हो लेकिन यह कर्जमाफी नहीं है। इसके बाद भारत सरकार कर्जदारों से कानूनी प्रक्रिया के तहत वसूली करती है।
आखिर में हमे बैंकों की तरफ से की गई वसूली की रिपोर्ट भी मिली। बिजनस स्टैंडर्ड की वेबसाइट पर 23 फरवरी 2022 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि बैंकों ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या, नीवर मोदी और मेहुल चौकसी से 18,000 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है।’
निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि मोदी सरकार ने अरबपतियों का 14 लाख करोड़ कर्ज माफ नहीं किया है, इस राशि को बट्टे खाते में डाला गया है। यह बैंक की नियमित प्रक्रिया है हालाँकि इसके बाद भी कर्जदारों से वसूली की प्रक्रिया जारी रहती है।
दावा | मोदी सरकार ने अरबपतियों का 14 लाख करोड़ कर्ज माफ किया |
दावेदार | राहुल गांधी, कांग्रेस, श्रीनिवस बीवी व अन्य |
फैक्ट | भ्रामक |