Appeasement यानी तुष्टिकरण की राजनीति क्या होती हैं? जब एक पार्टी किसी वर्ग विशेष को बाकी वर्ग के तुलना में अत्यधिक लाभ देकर उसे अपने वोटबैंक के लिए लुभाने की कोशिश करें उसे तुष्टिकरण की राजनीति कहते है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी और राजद तुष्टिकरण की राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी माने जाते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि लगभग सभी विपक्षी पार्टियों का मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति ही उनका मुख्य हथियार है। अफसोस यह है कि अब यह तुष्टिकरण का दीमक राजनीति से चलकर सोशल मीडिया पर आ गया है। हाल ही में ट्विटर पर डॉक्टर नीमो यादव नामक एक यूजर ने एक ट्वीट कर लिखा कि “एक मुस्लिम युवक आशिक़ अली ने हरिद्वार में एक कावड़िए की जान बचाई।”
सीरियल फेक न्यूज़ पेड़लर नीमो यादव ने लिखा, “यह आशिक़ अली है, एक मुस्लमान। यह काम से हरिद्वार जा रहें थे, तभी अचानक से देखा कि एक आदमी गंगा नदी में डूब रहा है। यह देखते ही आशिक़ अली तुरंत नदी में कूदकर आदमी को बचा लेता है। जो आदमी डूब रहा था, उसका नाम मंजीत है। कथित तौर पर वो भारतीय जनता पार्टी का समर्थक है। वो हरिद्वार कावड़ यात्रा के लिए गया था। और वहीं कुछ दिन उसी हरिद्वार का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें मुस्लिमों को हरिद्वार घाट से भगाया जा रहा है।”
इस ख़बर को प्रोपगंडा पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने भी ट्वीट कर लिखा, “हरिद्वार में आशिक़ अली नाम के लड़के ने गंगा में डूब रहे एक कावड़िया मंजीत को बचाया। वहीं इसी महीने इसी हरिद्वार में गंगा घाट पर बैठे एक मुस्लिम परिवार को एक संघी ने ये कहते हुए अपमानित कर भगा दिया कि- तुम मुस्लिम हो। यहाँ गंगा नदी पर नहीं आ सकते।”
इस्लामिस्ट पत्रकार अलीशान जाफरी ने ट्विटर पर लिखा, “आशिक़ अली ने मंजीत को नदी में डूबने से बचा लिया। और कुछ महीने पहले हिंदुत्व समर्थकों ने मुस्लिमों को हरिद्वार गंगा घाट से गाली देकर भगा दिया था।”
बता दें कि नीमो यादव, श्याम मीरा सिंह और अलीशान जाफरी ने यह ट्वीट नवभारत टाइम्स के खबर का स्क्रीनशॉट लेकर किया था।
नवभारत टाईम्स ने हेडलाइन लिखा, “गंगा के तेज बहाव में फंसा हरियाणा का कांवड़िया मंजीत, देवदूत बन आए आशिक अली ने जान बचाई।”
हालांकि भारत की अवधारणा है कि , ‘ इंसानियत का कोई धर्म नहीं होता है।’ इसके बावजूद लेफ्टिस्टों ने इंसानियत का धर्म मुसलमान बताकर तुष्टिकरण का नैरेटिव सेट करने की कोशिश वर्षों से कर रहें है। खैर, हम अपनी रिपोर्ट में पता लगाएंगे की क्या आशिक़ अली इंसानियत के खातिर अपने जान की परवाह किए बिना नदी में कूदकर कावड़िए की जान बचाई? क्या मंजीत सच में भारतीय जनता पार्टी का समर्थक है? चलिए देखते हैं!
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जैसे कि ट्विटर यूजर्स ने दावे में नवभारत टाईम्स की रिपोर्ट को हवाला दिया है। ऐसे में हमने नवभारत टाईम्स की रिपोर्ट पढ़ कर अपनी पड़ताल की प्रक्रिया को शुरू किया।
नवभारत टाईम्स की रिपोर्ट के पहले अनुच्छेद में लिखा है कि, आशिक़ अली, कोई आम मुस्लिम नहीं बल्कि स्ट्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स यानी SDRF की टीम का हिस्सा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, “देवनगरी हरिद्वार में हरियाणा से आया एक कांवड़िया गंगा के तेज बहाव को देख कर भी गहराई में उतर गया। इस दौरान वह बहते हुए डूबने लगा। एसडीआरएफ का एक जवान इस युवक के लिए देवदूत बनकर आया। जवान आशिक अली ने तुरंत क्राफ्ट लेकर गंगा में डूबते हरियाणा मानेसर निवासी मंजीत को बचाया। एसडीआरएफ कर्मी की फुर्ती और हिम्मत देखकर किनारे खड़े लोगों ने उनकी खूब हौसला अफजाई की।”
इस खबर पर प्रकाश डालते हुए वन इंडिया ने लिखा, “हरियाणा के मानेसर का एक शिवभक्त मंजीत जैसे ही जल भरने हरिद्वार में गंगा नहीं में आगे बढ़ा, नदी के तेज बहाव में वह आगे निकल गया। मंजीत बेकाबू हो गया और तेज धार में बहने लगा। आसपास खड़े लोगों ने शोर मचाना शुरू किया। जैसे ही शोर मचा वहां पर ड्यूटी पर तैनात आशिक अली ने तुरंत मोर्चा संभालते हुए युवक को बचाने के लिए मोर्चा संभाला।
एसडीआरएफ टीम के जवान आशिक अली ने बेड़ा के जरिए युवक को सुरक्षित बाहर निकाला और उसकी जान बचाई। इस घटना के बाद सभी जवान आशिक अली की जमकर तारीफ कर रहे हैं। साथ ही इसे ड्यूटी के साथ मानवता और धर्म से जोड़ कर भी देख रहे हैं।”
ए एन आई ने इस घटना का वीडियो ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा कि, “एसडीआरएफ का जवान कावड़िया को कांगड़ा ब्रिज हरिद्वार में डूबने से बचाया”
ई टीवी के मुताबिक, “4 जुलाई से शुरू हुए कांवड़ यात्रा के तहत हरिद्वार पुलिस अभी तक 10 कांवड़ियों को गंगा में बहने से बचा चुकी है।”
इसके अलावा हमें किसी भी मीडिया रिपोर्ट में मंजीत को भारतीय जनता पार्टी का समर्थक होने का पुष्टि का नहीं मिला। गौरतलब है कि नीमो यादव ने कावड़िए को भारतीय जनता पार्टी का समर्थक होने का अनुमान लगाया है।
इस फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट से एक बात साफ हो गए है कि मंजीत की जान आशिक़ अली ने नहीं बल्कि SDRF ने बचाई है। बेशक आशिक़ अली के उत्तराखंड SDRF टीम के जवान है, लेकिन उन्होंने बहादुरी से मंजीत की जान बचा कर अपना कर्तव्य का पालन किया। एक बात और साफ हो जाती हैं कि, ‘आशिक़ अली अपने काम से जा नहीं रहें थे‘, बल्कि उनका काम ही है हरिद्वार में कावड़ियों को डूबने से बचाना।
इस रिपोर्ट के दावे और सच जानने के बाद इसे मुसलमानों की तुष्टिकरण के निष्कर्ष पर पहुंचना कोई दूरगामी सोच नहीं होगा। कथित पत्रकारों ने SDRF के जवान को अपने प्रोपेगंडा के खातिर उसे मजहब के रंग में रंग दिया, जिसके कारण एक बहादुर जवान अब एक मुसलमान बन कर रह गया है।
दावा | नीमो यादव, श्याम मीरा सिंह, और अलीशान जाफरी ने ट्विटर पर दावा किया कि एक मुस्लिम आदमी ने एक एक हिंदू कावड़िए की जान बचाई। |
दावेदार | नीमो यादव, श्याम मीरा सिंह और अलीशान जाफरी |
फैक्ट चैक | भ्रामक |
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