राजनीति

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अनुपम दुबे पर ब्राह्मण होने की वजह से कार्रवाई हुई? यह दावा गलत है

सुप्रीम कोर्ट ने फर्रुखाबाद के गैंगस्टर अनुराग दुबे के मामले में यूपी पुलिस पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको संवेदनशील होना चाहिए, ना कि सिर्फ शक्ति का आनंद लेना चाहिए। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि अदालत की पूर्व अनुमति के बिना उसे पुलिस हिरासत में नहीं लिया जाएगा। सोशल मीडिया पर इस मामले को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि अब सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि यूपी पुलिस ब्राह्मण होने के कारण अनुराग दुबे पर कार्रवाई कर रही है।

अनुज अग्निहोत्री स्वतंत्र ने एक्स पर लिखा, ‘अनुराग दुबे के भाई अनुपम दुबे फर्रुखाबाद के आस पास जिलों में ब्राह्मणों के नेता हैं। राजनीतिक विद्वेष में भाजपा सरकार में अनुपम को उम्रकैद हुई तो दो अन्य भाईयों पर भी कई FIR हुई? करोड़ों की सम्पत्ति कुर्क हुई, बुल्डोजर चला। अब SC ने भी माना ब्राह्मण होने के कारण कार्रवाई हुई।’

आरएसपी चीफ पंकज धवरैया ने लिखा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने भी माना UPPOLICE सत्ता का आनंद ले रही है। UP में ब्राह्मण विरोधी माहौल फर्जी ब्राह्मणों को सताया जा रहा है एक ब्राह्मण व्यक्ति पर नई एफआईआर दर्ज करने पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस पर आरोप लगाया है . सुप्रीम कोर्ट ने DGPUP को कटघरे में रखा है। यूपी पुलिस जब भी कोर्ट में आती है तो अमन दुबे पर एक नई एफआईआर लेकर आती है। पुलिस को फटकार और याचिकाकर्ता के हर fir पर गिरफ्तारी स्टे दें दिया गया है।’

कोनार्क दीक्षित ने लिखा, ‘अनुराग दुबे के भाई अनुपम दुबे फर्रुखाबाद के आस पास जिलों में ब्राह्मणों के नेता हैं। राजनीतिक विद्वेष में भाजपा सरकार में अनुपम को उम्रकैद हुई तो दो अन्य भाईयों पर भी कई FIR हुई? करोड़ों की सम्पत्ति कुर्क हुई, बुल्डोजर चला। अब SC ने भी माना #ब्राह्मण होने के कारण कार्रवाई हुई।’

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फैक्ट चेक

पड़ताल में हमे NBT की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली इस रिपोर्ट के मुताबिक फर्रुखाबाद के गैंगस्टर अनुराग दुबे ने सुप्रीम कोर्ट में अपने खिलाफ दर्ज कई एफआईआर को लेकर याचिका लगाई थी। अनुराग ने याचिका में कहा कि उसे डर है कि अगर वह पुलिस के सामने पूछताछ के लिए पेश हुआ, तो उसके खिलाफ और भी मामले दर्ज किए जा सकते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न उसे अग्रिम जमानत दी जाए।

वहीं दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि अनुराग दुबे ने अपना मोबाइल फोन हमेशा चालू रखने और जांच में सहयोग करने को कहा है। कोर्ट की इजाजत के बिना किसी भी मामले में और किसी भी परिस्थिति में हिरासत में नहीं लिया जा सकता। अनुराग दुबे की अंतरिम जमानत जारी रहेगी। इस पर यूपी सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राणा मुखर्जी ने बताया कि याचिकाकर्ता को नोटिस भेजा गया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए। सिर्फ हलफनामा भेज दिया। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की, याचिकाकर्ता को शायद इस बात का डर है कि पुलिस उनके खिलाफ नया झूठा मामला दर्ज कर सकती है।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हर बार आप उनके खिलाफ नया मामला दर्ज कर देते हैं। कितने मामलों का आप समर्थन कर पाएंगे? यह जमीन विवाद है या आपराधिक मामला? आपकी पुलिस बहुत खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश कर रही है और इसका आनंद ले रही है।

इस सम्बन्ध में यूपी तक, पत्रिका ने भी रिपोर्ट प्रकाशित की है। इन सभी रिपोर्ट्स में जाति का कोई जिक्र नहीं मिलता है।

दावा सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अनुपम दुबे पर ब्राह्मण होने की वजह से कार्रवाई हुई।
दावेदार अनुज अग्निहोत्री, पंकज धवरैया व अन्य
निष्कर्ष सुप्रीम कोर्ट ने अनुपम दुबे के मामले में जाति का कोई जिक्र नहीं किया है।

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Tags: Fact Check Fake News Misleading अनुपम दुबे फैक्ट चैक सुप्रीम कोर्ट

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