सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक न्यूज़ रिपोर्ट के वीडियो का दावा है कि उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में प्रशासन द्वारा गौतम बुद्ध और बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमाएं हटाने की कार्रवाई प्रदेश सरकार की साजिश है और प्रशासन जानबूझकर गरीब व शोषित वर्गों पर अत्याचार कर रहा है। हालांकि हमारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक निकला।
अखिलेश यादव ने लिखा, ‘महात्मा बुद्ध व बाबसाहेब जैसे महापुरुष की प्रतिमाओं को हटाने पर सीतापुर में हुआ विवाद एक बड़ी सियासी साज़िश की ओर इशारा कर रहा है। सब जानते हैं कि वो कौन हैं जिनके इशारे पर प्रशासन ऐसा प्रहार कर रहा है। शोषित-वंचित समाज की जागरूकता नई चेतना बनकर उभर रही है, इन साज़िशों की उम्र अब बहुत लंबी नहीं बची है।’
महात्मा बुद्ध व बाबसाहेब जैसे महापुरुष की प्रतिमाओं को हटाने पर सीतापुर में हुआ विवाद एक बड़ी सियासी साज़िश की ओर इशारा कर रहा है। सब जानते हैं कि वो कौन हैं जिनके इशारे पर प्रशासन ऐसा प्रहार कर रहा है। शोषित-वंचित समाज की जागरूकता नई चेतना बनकर उभर रही है, इन साज़िशों की उम्र अब… pic.twitter.com/nnKToUwgTA
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 6, 2025
डी एस सरीवालिया ने लिखा, ‘यूपी सीतापुर के गांव में प्रशासन और पुलिस ने दबाव में सत्ता परिवर्तन के कारण आज भगवान बुद्ध और बाबा साहब जैसे महापुरुषों की मूर्तियां तोड़ी दी व @bijnorpolice की मिली भगत ने थाना स्योहारा के रतौली गांव में बाबा साहब की मूर्ति को हटाया गया जो .शर्मनाक !’
यूपी सीतापुर के गांव में प्रशासन और पुलिस ने दबाव में
— D.S Sirwalia
सत्ता परिवर्तन के कारण आज भगवान बुद्ध और बाबा साहब जैसे महापुरुषों की मूर्तियां तोड़ी दी व @bijnorpolice की मिली भगत ने थाना स्योहारा के रतौली गांव में बाबा साहब की मूर्ति को हटाया गया जो
शर्मनाक ! pic.twitter.com/vocqntxNnh(@DR_Ambedkarji) April 6, 2025
कुलदीप भार्गव ने लिखा, ‘सीतापुर में महात्मा बुद्ध व बाबासाहेब की प्रतिमाएं हटाना केवल मूर्तियों पर नहीं, विचारों पर हमला है। यह घटना एक गहरी सियासी साज़िश की ओर इशारा करती है, जो शोषित-वंचित समाज की जागरूकता से घबराई हुई ताक़तों की चाल है।लेकिन याद रहे—चेतना को कुचला नहीं जा सकता।’
सीतापुर में महात्मा बुद्ध व बाबासाहेब की प्रतिमाएं हटाना केवल मूर्तियों पर नहीं, विचारों पर हमला है।
— Dr. Kuldeep Bhargav (@Drkuldeepbhargv) April 6, 2025
यह घटना एक गहरी सियासी साज़िश की ओर इशारा करती है, जो शोषित-वंचित समाज की जागरूकता से घबराई हुई ताक़तों की चाल है।
लेकिन याद रहे—चेतना को कुचला नहीं जा सकता। pic.twitter.com/CzfQ0ShGJS
इसके अलावा इस दावे को पवन और क्लाउड X नामक यूजर्स ने शेयर किया है.
फैक्ट चेक
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने मामले से जुड़े कुछ की-वर्ड्स की मदद से गूगल सर्च की। इस दौरान हमें 6 अप्रैल 2025 को प्रकाशित अमर उजाला की रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के अनुसार सीतापुर के पिसावां क्षेत्र स्थित नेवादा प्रथम गांव के विभरापुर मजरे में शनिवार को प्रशासन की टीम बुद्ध और बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमाएं हटाने गई थी। तभी कुछ दबंगों ने पुलिस और राजस्व विभाग की टीम पर हमला कर दिया। हमले के दौरान न केवल पथराव हुआ बल्कि पुलिस के कई वाहनों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया। इस घटना में सात पुलिसकर्मी घायल हुए। एसपी चक्रेश मिश्र के अनुसार, इस मामले में दस नामजद और सौ अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। फिलहाल गांव में एहतियातन पुलिस बल तैनात किया गया है।

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि होली से पहले गांव के सामुदायिक भवन के सामने खाली पड़ी भूमि पर ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर बुद्ध और अंबेडकर की प्रतिमाएं स्थापित कर दी थीं जबकि इसके लिए कोई प्रशासनिक अनुमति नहीं ली गई थी। मामले को लेकर संबंधित सचिव ने शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद 13 मार्च को उपजिलाधिकारी महोली शशिबिंदु द्विवेदी और क्षेत्राधिकारी विकास गुप्ता ने पुलिस के साथ पहुंचकर प्रतिमाओं को तिरपाल से ढकवा दिया था और संबंधित लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर दिया गया था। साथ ही एसडीएम ने ग्रामीणों को तीन दिनों के भीतर प्रतिमाएं हटाने का नोटिस भी दिया था। लेकिन ग्रामीणों ने इस निर्देश का पालन नहीं किया। करीब 22 दिन बाद, 5 अप्रैल को समाधान दिवस के मौके पर प्रशासन की टीम जब प्रतिमाएं हटाने गांव पहुंची तो लौटते समय ग्रामीणों ने हमला कर दिया।
इसी मामले में दैनिक भास्कर की 5 अप्रैल 2025 की रिपोर्ट में बताया गया है कि एसडीएम शशिबिंदु द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि सामुदायिक भवन के सामने अवैध रूप से स्थापित प्रतिमाओं के बारे में पहले ही नोटिस जारी कर प्रतिमाएं हटाने को कहा गया था। लेकिन, लोगों ने बात नहीं सुनी। इसके बाद प्रशासन को यह कदम उठाना पड़ा। फिलहाल प्रतिमाओं को ब्लॉक कार्यालय में सुरक्षित रखवा दिया गया है। गांव में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। स्थिति नियंत्रण में है।
अपर पुलिस अधीक्षक दक्षिणी, प्रवीण रंजन सिंह ने बताया कि ग्रामीणों ने कुछ दिनों पहले सरकारी जमीन पर डॉ भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापित की थी। जिसको नोटिस के बाद आज हटाने के लिए पुलिस और प्रशासन की टीम गई थी। इस दौरान ग्रामीणों ने महिलाओं के साथ पथराव कर दिया। जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए। वाहन क्षतिग्रस्त हुए। पुलिस ने केस दर्ज कर 5 लोगों को हिरासत में लिया है।
दावा | सीतापुर में बाबा साहेब अंबेडकर और गौतम बुद्ध की प्रतिमा हटाने के पीछे प्रदेश सरकार की साज़िश है |
दावेदार | अखिलेश यादव एवं अन्य सोशल मीडिया यूजर्स |
निष्कर्ष | वायरल वीडियो और दावों के विपरीत, यह घटना बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा को योजनाबद्ध साज़िश के तहत नहीं, बल्कि बिना अनुमति के स्थापित मूर्तियों को हटाने के प्रशासनिक आदेश के तहत हुई। |