Customize Consent Preferences

We use cookies to help you navigate efficiently and perform certain functions. You will find detailed information about all cookies under each consent category below.

The cookies that are categorized as "Necessary" are stored on your browser as they are essential for enabling the basic functionalities of the site. ... 

Always Active

Necessary cookies are required to enable the basic features of this site, such as providing secure log-in or adjusting your consent preferences. These cookies do not store any personally identifiable data.

No cookies to display.

Functional cookies help perform certain functionalities like sharing the content of the website on social media platforms, collecting feedback, and other third-party features.

No cookies to display.

Analytical cookies are used to understand how visitors interact with the website. These cookies help provide information on metrics such as the number of visitors, bounce rate, traffic source, etc.

No cookies to display.

Performance cookies are used to understand and analyze the key performance indexes of the website which helps in delivering a better user experience for the visitors.

No cookies to display.

Advertisement cookies are used to provide visitors with customized advertisements based on the pages you visited previously and to analyze the effectiveness of the ad campaigns.

No cookies to display.

Home राजनीति सीतापुर में अंबेडकर-बुद्ध प्रतिमाएं हटाने को लेकर प्रदेश सरकार पर साज़िश का दावा भ्रामक है
राजनीति

सीतापुर में अंबेडकर-बुद्ध प्रतिमाएं हटाने को लेकर प्रदेश सरकार पर साज़िश का दावा भ्रामक है

Share
Share

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक न्यूज़ रिपोर्ट के वीडियो का दावा है कि उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में प्रशासन द्वारा गौतम बुद्ध और बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमाएं हटाने की कार्रवाई प्रदेश सरकार की साजिश है और प्रशासन जानबूझकर गरीब व शोषित वर्गों पर अत्याचार कर रहा है। हालांकि हमारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक निकला।

अखिलेश यादव ने लिखा, ‘महात्मा बुद्ध व बाबसाहेब जैसे महापुरुष की प्रतिमाओं को हटाने पर सीतापुर में हुआ विवाद एक बड़ी सियासी साज़िश की ओर इशारा कर रहा है। सब जानते हैं कि वो कौन हैं जिनके इशारे पर प्रशासन ऐसा प्रहार कर रहा है। शोषित-वंचित समाज की जागरूकता नई चेतना बनकर उभर रही है, इन साज़िशों की उम्र अब बहुत लंबी नहीं बची है।’

डी एस सरीवालिया ने लिखा, ‘यूपी सीतापुर के गांव में प्रशासन और पुलिस ने  दबाव में सत्ता परिवर्तन के कारण आज भगवान बुद्ध और बाबा साहब जैसे महापुरुषों की मूर्तियां तोड़ी दी व @bijnorpolice की मिली भगत ने थाना स्योहारा के रतौली गांव में बाबा साहब की मूर्ति को हटाया गया जो .शर्मनाक !’

कुलदीप भार्गव ने लिखा, ‘सीतापुर में महात्मा बुद्ध व बाबासाहेब की प्रतिमाएं हटाना केवल मूर्तियों पर नहीं, विचारों पर हमला है। यह घटना एक गहरी सियासी साज़िश की ओर इशारा करती है, जो शोषित-वंचित समाज की जागरूकता से घबराई हुई ताक़तों की चाल है।लेकिन याद रहे—चेतना को कुचला नहीं जा सकता।’

इसके अलावा इस दावे को पवन और क्लाउड X नामक यूजर्स ने शेयर किया है.

फैक्ट चेक

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने मामले से जुड़े कुछ की-वर्ड्स की मदद से गूगल सर्च की। इस दौरान हमें 6 अप्रैल 2025 को प्रकाशित अमर उजाला की रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के अनुसार सीतापुर के पिसावां क्षेत्र स्थित नेवादा प्रथम गांव के विभरापुर मजरे में शनिवार को प्रशासन की टीम बुद्ध और बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमाएं हटाने गई थी। तभी कुछ दबंगों ने पुलिस और राजस्व विभाग की टीम पर हमला कर दिया। हमले के दौरान न केवल पथराव हुआ बल्कि पुलिस के कई वाहनों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया। इस घटना में सात पुलिसकर्मी घायल हुए। एसपी चक्रेश मिश्र के अनुसार, इस मामले में दस नामजद और सौ अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। फिलहाल गांव में एहतियातन पुलिस बल तैनात किया गया है।

Source- Amar Ujjala

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि होली से पहले गांव के सामुदायिक भवन के सामने खाली पड़ी भूमि पर ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर बुद्ध और अंबेडकर की प्रतिमाएं स्थापित कर दी थीं जबकि इसके लिए कोई प्रशासनिक अनुमति नहीं ली गई थी। मामले को लेकर संबंधित सचिव ने शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद 13 मार्च को उपजिलाधिकारी महोली शशिबिंदु द्विवेदी और क्षेत्राधिकारी विकास गुप्ता ने पुलिस के साथ पहुंचकर प्रतिमाओं को तिरपाल से ढकवा दिया था और संबंधित लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर दिया गया था। साथ ही एसडीएम ने ग्रामीणों को तीन दिनों के भीतर प्रतिमाएं हटाने का नोटिस भी दिया था। लेकिन ग्रामीणों ने इस निर्देश का पालन नहीं किया। करीब 22 दिन बाद, 5 अप्रैल को समाधान दिवस के मौके पर प्रशासन की टीम जब प्रतिमाएं हटाने गांव पहुंची तो लौटते समय ग्रामीणों ने हमला कर दिया।

इसी मामले में दैनिक भास्कर की 5 अप्रैल 2025 की रिपोर्ट में बताया गया है कि एसडीएम शशिबिंदु द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि सामुदायिक भवन के सामने अवैध रूप से स्थापित प्रतिमाओं के बारे में पहले ही नोटिस जारी कर प्रतिमाएं हटाने को कहा गया था। लेकिन, लोगों ने बात नहीं सुनी। इसके बाद प्रशासन को यह कदम उठाना पड़ा। फिलहाल प्रतिमाओं को ब्लॉक कार्यालय में सुरक्षित रखवा दिया गया है। गांव में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। स्थिति नियंत्रण में है।

अपर पुलिस अधीक्षक दक्षिणी, प्रवीण रंजन सिंह ने बताया कि ग्रामीणों ने कुछ दिनों पहले सरकारी जमीन पर डॉ भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापित की थी। जिसको नोटिस के बाद आज हटाने के लिए पुलिस और प्रशासन की टीम गई थी। इस दौरान ग्रामीणों ने महिलाओं के साथ पथराव कर दिया। जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए। वाहन क्षतिग्रस्त हुए। पुलिस ने केस दर्ज कर 5 लोगों को हिरासत में लिया है।

दावासीतापुर में बाबा साहेब अंबेडकर और गौतम बुद्ध की प्रतिमा हटाने के पीछे प्रदेश सरकार की साज़िश है
दावेदारअखिलेश यादव एवं अन्य सोशल मीडिया यूजर्स
निष्कर्ष वायरल वीडियो और दावों के विपरीत, यह घटना बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा को योजनाबद्ध साज़िश के तहत नहीं, बल्कि बिना अनुमति के स्थापित मूर्तियों को हटाने के प्रशासनिक आदेश के तहत हुई।
Share