राजनीति

मोदी सरकार में चीन का भारत की 38 हजार वर्ग किमी जमीन पर कब्जा करने का दावा भ्रामक है

भारत की जमीन पर चीन के कब्जे को लेकर दायर की गई RTI का जवाब सोशल मीडिया पर वायरल है। दावा किया जा रहा है कि एक आरटीआई के जवाब में मोदी सरकार ने माना है कि लद्दाख में चीन ने 38 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा किया हुआ है। इस मामले मोदी सरकार पर सवाल उठाये जा रहे हैं हालांकि हमारी पड़ताल में पता चलता है कि यह कब्जा मोदी सरकार में नहीं हुआ था।

प्रमोद यादव ने एक्स पर लिखा, ‘चीन को लाल आंखें दिखाने का झूठा दावा करने वाली मोदी सत्ता ने आखिर सच मान लिया है। सच यह है कि चीन ने भारत की 38 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन दबा रखी है। एक आरटीआई के जवाब में मोदी सत्ता ने माना है कि लद्दाख में चीन ने 38 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा किया हुआ है। मोदी सत्ता ही नहीं, हमारी राष्ट्रवादी सेना के करनैल और जनरैल तक यह सच जानते हैं। लेकिन चीन का नाम आते ही 56 इंच से हवा निकल जाती है। मोहन भागवत की मानें तो यह 2024 को मिली आजादी के बाद का बुझदिल भारत है।’

जीनत शब्रीन ने लिखा, ‘चीन को लाल आंखें दिखाने का झूठा दावा करने वाली मोदी सरकार ने आखिर सच स्वीकार कर लिया है।लद्दाख में 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि पर चीन का कब्जा है। RTI के जवाब में मोदी सरकार ने यह सच कबूल किया। हमारी सेना के अधिकारी भी इस हकीकत से वाकिफ हैं। लेकिन चीन का नाम आते ही 56 इंच का सीना 5.6 इंच का हो जाता है।’

अशोक दनोदा ने लिखा, ’56 इंच का सीना 5.6 इंच का हो गया है ? भारत सरकार ने RTI के जवाब में पुष्टि की है कि लद्दाख का 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र चीन के कब्जे में है। RTI में पूछा गया कि चीन द्वारा अवैध कब्जे को हटाने के लिए सरकार ने क्या कार्रवाई की है, जिसके जवाब में सरकार ने कहा कि लद्दाख का पूरा क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है।’

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फैक्ट चेक

दावे की पड़ताल में संबंधित कीवर्ड से गूगल सर्च करने पर हमें पता चला कि अजय बोस नाम के एक्स RTI एक्टिविस्ट ने यह RTI दायर की थी। अजय बोस ने एक्स पर RTI में मिले जवाब को पोस्ट कर लिखा, ‘मैंने विदेश मंत्रालय भारत सरकार के समक्ष आरटीआई दायर कर भारतीय क्षेत्रों पर चीनी कब्जे के बारे में जानकारी मांगी थी। मुझे जो चौंकाने वाला जवाब मिला, उसमें कहा गया है कि “केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में चीन के कब्जे में लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र है।’

जांच में आगे हमें 12 मार्च 2020 को प्रकाशित नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट मिली। जिसके मुताबिक सरकार ने संसद में खुद बताया है कि भारत का 38,000 स्क्वॉयर किलोमीटर लद्दाख का भूभाग चीन के कब्जे में है। चीन और पाकिस्तान के बीच 2 मार्च 1963 को तथाकथित ‘सीमा समझौते’ के तहत इस्लामाबाद ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का 5,180 स्क्वॉयर किलोमीटर का भारतीय हिस्सा चीन को दे दिया था।

विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने कहा, ‘सरकार लगातार इस बात पर कायम है और वह 22 फरवरी 1994 को संसद के दोनों सदनों से द्वारा पारित उस प्रस्ताव के साथ है जिसमें केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत का अभिन्न हिस्सा बताया गया था।’

वहीं इस सम्बन्ध में टीवी9 ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि साल 1962 के युद्ध में अक्साई चिन चीन के नियंत्रण में चला गया। भारत की 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि पर चीन का अवैध कब्जा हो गया। 2 मार्च 1963 को पाक से हुए एक करार के जरिये चीन ने पाक अधिकृत कश्मीर की 5,180 वर्ग किलो मीटर भूमि और हथिया ली। इस युद्ध में चीन के 722 सैनिक मारे गए थे और 1697 घायल हुए थे, हर मोर्चे पर चीनी भारी पड़े थे।

इसके अलावा दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2 मार्च 1963 को चीन-पाकिस्तान के बीच हुए एक समझौते में पाकिस्तान ने पीओके का 5 हजार 180 स्क्वायर किमी चीन को दे दिया था। कुल मिलाकर चीन ने भारत के 43 हजार 180 स्क्वायर किमी पर कब्जा जमा रखा है।

दावा मोदी सरकार ने माना है कि लद्दाख में चीन ने 38 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा किया हुआ है।
दावेदार प्रमोद यादव, अशोक दनोदा व अन्य
निष्कर्ष मोदी सरकार में चीन का भारत की 38 हजार वर्ग किमी जमीन पर कब्जा करने का दावा गलत है। चीन ने यह कब्ज़ा 1962 युद्ध में किया था, इस क्षेत्र को अक्साई चिन कहा जाता है। वहीं 2 मार्च 1963 को चीन-पाकिस्तान के बीच हुए एक समझौते में पाकिस्तान ने पीओके का 5 हजार 180 स्क्वायर किमी चीन को दे दिया था।

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Tags: China occupying 38000 square kilometers of Indian Fact Check Fake News Misleading चीन फैक्ट चैक मोदी सरकार लद्दाख

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