धर्म

यूपी में 30 हजार स्कूल बंद होने और महाकुंभ के लिए 30 हजार करोड़ खर्च करने का दावा गलत है

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। 13 जनवरी से महाकुंभ शुरु हो रहा है। वहीं सोशल मीडिया पर इसे लेकर एक पोस्ट वायरल है। जिसमें दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में धन की कमी बताकर 30,000 स्कूल बंद कर दिए गए, लेकिन 30,000 करोड़ की लागत से शाही महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है।

रैशनल इंडियन नाम के एक्स हंदेल ने लिखा, ‘धन की कमी बताकर 30,000 स्कूल बंद कर दिए गए, लेकिन 30,000 करोड़ की लागत से शाही महाकुंभ का आयोजन में पैसे की कोई कमी नहीं है, धर्म की अफीम चटाकर आपके बच्चों को दिमाग से अपाहिज बनाया जा रहा है..!!’

प्रकाश राज सटायर ने लिखा, ‘धन की कमी की वजह से 30,000 स्कूल बंद किए जा रहे हैं, और 30,000 करोड़ रुपए में महाकुंभ का आयोजन किया है.. शिक्षा पर धर्म भरी है…’

वहीं गर्वी रावत ने भी यही दावा किया है।

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फैक्ट चेक

दावे की पड़ताल में हमें 4 नवंबर 2024 को प्रकाशित अमर उजाला की एक रिपोर्ट मिली जिसके मुताबिक यूपी में 27 हजार प्राथमिक विद्यालय बंद होने की बात का सरकार ने खंडन कर किया है। बेसिक शिक्षा की महानिदेशक कंचन वर्मा ने कहा कि मीडिया में ऐसी खबरें चल रही हैं जिनमें प्रदेश के 27000 हजार विद्यालयों को बंद करने की बात कही जा रही है। यह बातें निराधार और भ्रामक हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई प्रक्रिया गतिमान नहीं है। 

Source: Amar Ujala

पड़ताल में आगे हमने महाकुंभ के आयोजन में 30 हजार करोड़ रूपए खर्च करने के दावे के बारे में गूगल सर्च किया। जनसत्ता की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ 2025 के आयोजन के लिए 5,435.68 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया है। कुल मिलाकर आयोजन के लिए करीब 7,500 करोड़ रुपए का खर्च सामने आ रहा है। इस धनराशि में केंद्र सरकार का योगदान भी शामिल है, जिसने इस बार आयोजन के लिए 2,100 करोड़ रुपए का आवंटन किया है।

वहीं मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रयागराज में कुंभ के आयोजन से आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा है और प्रदेश इकोनॉमिक बूस्ट मिलता है। यूपी सरकार को उम्मीद की है कि इस बार कुंभ में दो लाख करोड़ की आर्थिक गतिविधियां हो सकती हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार और पूर्व IAS अधिकारी अवनीश अवस्थी ने कहा कि कुल आर्थिक गतिविधि 3.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 1882 के पूर्ण कुंभ में अंग्रेजी सरकार ने मेले के आयोजन के लिए 20,228 रुपये खर्च किए थे। सरकार को इस आयोजन से 49,840 रुपये राजस्व प्राप्त हुए थे यानी करीब 250 प्रतिशत मुनाफा मिला था। सरकार ने इस राशि को शहर के विकास कार्यों में खर्च किया था।

दावा उत्तर प्रदेश में धन की कमी बताकर 30,000 स्कूल बंद कर दिए गए, लेकिन 30,000 करोड़ की लागत से शाही महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है।
दावेदार रैशनल इंडियन, प्रकाश राज सटायर
निष्कर्ष उत्तर प्रदेश में धन की कमी बताकर 30 हजार स्कूल बंद करने और महाकुंभ के लिए 30 हजार करोड़ खर्च करने का दावा गलत है।

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