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अयोध्या में रामपथ और भक्तिपथ से लाइट चोरी होने का दावा गलत है

राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान पूरी अयोध्या को सजाया गया था। इस दौरान राम मंदिर तक जाने वाले रामपथ और भक्तिपथ के किनारे बैम्बू लाइट और गोबो प्रोजेक्टर लाइटें लगाई गईं थीं। वहीं बीते कुछ दिनों पहले खबर आई कि अयोध्या में 3800 बैम्बू लाइट और 96 गोबो प्रोजेक्टर लाइट चोरी हो गई। हालांकि हमारी पड़ताल में यह खबर गलत साबित हुई।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, ‘उप्र-अयोध्या में चोरों ने की क़ानून-व्यवस्था की बत्ती गुल। इसीलिए जनता तो पहले ही कह रही थी, बिन बिजली के खड़ा है खंभा। भाजपा सरकार, मतलब अंधेर नगरी सब तरफ़ अंधकार। अयोध्या कहे आज का। नहीं चाहिए भाजपा।’

यूपी कांग्रेस ने लिखा, ‘अयोध्या के रामपथ और भक्तिपथ से 3800 बैम्बू लाइट और 36 गोबो प्रोजेक्टर का गायब होना चोरी है या घोटाला? देखिये! धर्मनगरी में भाजपा के एक और काले धंधे की सच्चाई…’

रणविजय सिंह ने लिखा, ‘राम मंदिर की ओर जाने वाले राम पथ और भक्ति पथ पर लगाई गई ‘बैम्बू लाइट’ और ‘गोबो प्रोजेक्टर लाइट’ चोरी हो गई. अयोध्या, यूपी’

पत्रकार सचिन गुप्ता ने लिखा, ‘अयोध्या में रामपथ से 3800 बैम्बू लाइट और भक्तिपथ से 36 गोबो प्रोजेक्टर चोरी हो गए। ये घटना 19 अप्रैल से 9 मई के बीच हुई। यानि श्रीराम मंदिर उदघाटन के तीन महीने बाद ही ये कांड हो गया था। जिसकी ऑनलाइन FIR अब 9 अगस्त को दर्ज हुई है।’

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फैक्ट चेक

दावे की पड़ताल के लिए हमने कुछ कीवर्ड की मदद से गूगल सर्च किया। इस दौरान हमें 15 अगस्त को प्रकाशित जागरण की एक रिपोर्ट मिली। जिसके मुताबिक, अयोध्या में रामपथ एवं हनुमानगढ़ी जाने वाले भक्तिपथ पर लगी लाइटों के चोरी होने के मामले का खुलासा हुआ है। जांच में पता चला कि मेसर्स यश इंटरप्राइजेज और कृष्णा आटो मोबाइल नाम की इन दो कंपनियों को लाइटें लगाने का काम मिला था। लेकिन कार्यदायी संस्था ने ज्यादा भुगतान लेने के लिए एफआईआर में लाइटों की संख्या 3800 लिखाई, जबकि सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, 2600 लाइटें ही लगवाई गई थीं, जिसका भुगतान कंपनी को किया जा चुका है। अयोध्या के मंडलायुक्त और विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष गौरव दयाल ने भी बताया कि लाइट लगाने वाली संस्था ने फर्जी भुगतान प्राप्त करने के लिए गलत एफआईआर कराई है। अयोध्या में पेड़ों पर केवल 2600 बैंबू लाइट ही लगाई गई हैं। जिन 3800 लाइट चोरी होना बताया जा रहा है, वो लगाई ही नहीं गई। विकास प्राधिकरण की ओर से संबंधित संस्था के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

Source: Jagran

वहीं दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में बताया गया है कि टेंडर के मुताबिक कंपनी ने प्रति बैम्बू लाइट प्राधिकरण से करीब 365 रुपए लिया। प्रशासन ने सत्यापन के बाद कहा कि कंपनी ने सिर्फ 2600 लाइट ही लगाईं। ऐसे में यह माना जा रहा कि कंपनी ने 3800 एक्स्ट्रा लाइट दिखाकर करीब 14 लाख रुपए फर्जी तरीके से ले लिए। कंपनी को प्राधिकरण कुल 23 लाख 35 हजार का भुगतान कर चुका है।

निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि अयोध्या में लाइटें चोरी होने का दावा झूठा है। असल में कार्यदायी संस्था ने ज्यादा भुगतान लेने के लिए एफआईआर में लाइटों की संख्या 3800 लिखाई, जबकि सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, 2600 लाइटें ही लगवाई गई थीं।

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Tags: Congress Fact Check Misleading अयोध्या फैक्ट चैक लाइट चोरी

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