लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद एक बार फिर ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। ‘मिड डे’ अखबार में छपी रिपोर्ट में कहा गया कि मुंबई नॉर्थ वेस्ट से मात्र 48 वोटों से जीते शिवसेना कैंडिडेट रवींद्र वायकर के एक रिश्तेदार के पास ईवीएम को अनलॉक करने वाला मोबाइल था। जिस पर ओटीपी आता था।
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने एक्स पर ‘मिड डे’ की रिपोर्ट पोस्ट करते हुए लिखा, ‘भारत में ईवीएम एक “ब्लैक बॉक्स” हैं और किसी को भी उनकी जांच करने की अनुमति नहीं है। हमारी चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएँ व्यक्त की जा रही हैं। जब संस्थानों में जवाबदेही की कमी हो जाती है तो लोकतंत्र एक दिखावा बन जाता है और धोखाधड़ी का शिकार हो जाता है।’
कांग्रेस ने लिखा, ‘EVM से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है. मुंबई में NDA के कैंडिडेट रवींद्र वायकर के रिश्तेदार का मोबाइल फोन EVM से जुड़ा था. NDA के इस कैंडिडेट की जीत सिर्फ 48 वोट से हुई है. ऐसे में सवाल है कि 👇 * आखिर NDA के कैंडिडेट के रिश्तेदार का मोबाइल EVM से क्यों जुड़ा था? * जहां वोटों की गिनती हो रही थी, वहां मोबाइल फोन कैसे पहुंचा? सवाल कई हैं, जो संशय पैदा करते हैं. चुनाव आयोग को स्पष्टीकरण देना चाहिए.’
ध्रुव राठी ने लिखा, ‘यह मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट है इंडिया अलायंस यह सीट महज 48 वोटों से हार गई। एनडीए उम्मीदवार के रिश्तेदार के पास एक फोन था जो ईवीएम को अनलॉक कर सकता था। @ECISVEEP इस निर्वाचन क्षेत्र में पुनः चुनाव का आदेश देना चाहिए!’
आरजेडी प्रवक्ता प्रियंका भारती ने लिखा, ‘मुंबई में NDA उम्मीदवार रवींद्र वायकर के रिश्तेदार का मोबाइल फोन EVM से जुड़ा था. इस उम्मीदवार की जीत सिर्फ 48 वोट से हुई थी. अब जब सवाल उठेंगे तो आयोग के मुशायरा प्रकोष्ठ के शायर की शायरी में जवाब सुनने को मिलेंगे..’
नेहा सिंह राठौर ने लिखा, ‘लोकतंत्र में सेंध नहीं डाका डाला गया है. अभी भी वक़्त है जाग जाइए… अंतिम मौक़ा है. …वरना नार्थ कोरिया और चीन बनने को तैयार रहिए’
पड़ताल में हमने सबसे पहले मिड डे द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ा। इस रिपोर्ट के आखिरी पैराग्राफ में लिखा है, ‘4 जून को यह घटना मतदान के दिन NESCO केंद्र के अंदर हुई, और रवींद्र वाइकर और उम्मीदवार अमोल कृतिकर वहां मौजूद थे। पुलिस ने यह भी पाया कि सेवा मतदाता के लिए इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ETPBS) का उपयोग किया गया था, जो ईवीएम मशीनों के बाद भी इस्तेमाल होता है। पोस्टल बैलेट सिस्टम को अनलॉक करने के लिए, गुरव (कथित आरोपी) ने उसी मोबाइल फोन का उपयोग किया और ओटीपी जनरेट किया। ईवीएम मशीन से वोटों की गिनती के दौरान उम्मीदवार अमोल कृतिकर आगे थे लेकिन जब इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम के वोटों की गिनती हुई तो कृतिकर पीछे हो गए और अंततः वाइकर से हार गए।’
पाठक ध्यान दें, मिड डे ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि ईवीएम मशीन से वोटों की गिनती के दौरान उम्मीदवार अमोल कृतिकर आगे थे लेकिन जब इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम के वोटों की गिनती हुई तो कृतिकर पीछे हो गए और अंततः वाइकर से हार गए। जबकि असल में पोस्टल बैलेट की गिनती सुबह मतगणना की शुरुआत में की जाती है। ईवीएम के वोटों की गिनती बाद में होती है। साथ ही मिड डे ने अपनी रिपोर्ट में यह बताने की कोशिश की है कि शिवसेना उम्मीदवार इसलिए जीते क्योंकि उनके रिश्तेदारों ने ओटीपी जनरेट करके ईटीपीबीएस को अनलॉक करने के लिए फोन का इस्तेमाल किया। लेकिन मिड डे की रिपोर्ट में हेडलाइन कहती है कि ईवीएम को ओटीपी के माध्यम से खोला गया। इस रिपोर्ट में भ्रामक हेडलाइन है, यहाँ ईटीपीबीएस और ईवीएम दो अलग अलग शब्द हैं।
ईटीपीबीएस क्या है?
पड़ताल में हमने चुनाव आयोग की वेबसाइट पर ETPBS के संचालन का तरीका देखा। ETPBS बैलेट पेपर को इलेक्ट्रॉनिक रूप में भेजने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रणाली का नाम है, यह ईवीएम जैसी कोई विशिष्ट मशीन नहीं है। यह प्रणाली मानक कंप्यूटर और नेटवर्क पर काम करती है। ECI के पास ETPBS के लिए एक पोर्टल है, जहां संबंधित चुनाव अधिकारी डाक मतपत्र बनाने और भेजने के लिए किसी भी इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटर से लॉग इन कर सकते हैं।’ इस पोर्टल पर लॉग इन करने के लिए रिटर्निंग अधिकारी को अपने पंजीकृत फोन नंबर पर प्राप्त एक ओटीपी प्रदान करना होगा। उसके बाद आरओ निर्वाचन क्षेत्र के लिए पासवर्ड-संरक्षित बैलेट पेपर तैयार करता है और उन्हें सिस्टम में अपलोड करता है। इसके बाद मतपत्र तुरंत संबंधित मतदाताओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से भेज दिए जाते हैं। मतपत्र भेजने के लिए सेवा मतदाता सूची डेटा का उपयोग किया जाता है, जिसमें सेवा मतदाता, इकाई अधिकारी और रिकॉर्ड अधिकारियों के बीच लिंक होते हैं।’
सेवा इकाई के अंत में, नामित अधिकारी पासवर्ड और ओटीपी का उपयोग करके सिस्टम में लॉग इन करता है और बैलेट पेपर को डाउनलोड करता है। फिर पासवर्ड से सुरक्षित डाक मतपत्र उस इकाई के सेवा मतदाताओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से भेजे जाते हैं। मतपत्र खोलने के लिए पिन मतदाता को अलग से भेजा जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल संबंधित मतदाता ही मतपत्र खोल सके। मतपत्र प्राप्त करने के बाद, सेवा मतदाता मतपत्र को प्रिंट करता है और उस पर वोट अंकित करता है। इसके साथ, मतदाता को एक फॉर्म पर हस्ताक्षर भी करना होता है। उसके बाद, मतपत्रों को मतदाता को प्रदान किए गए एक विशिष्ट लिफाफे में डाल दिया जाता है, उसे सील कर दिया जाता है, और इसे डाक द्वारा संबंधित रिटर्निंग अधिकारी को भेज दिया जाता है। ETPBS कोई वोट संग्रहीत नहीं करता है। इसलिए भले ही कोई सिस्टम को ओटीपी के माध्यम से खोल ले, वोटों में हेरफेर नहीं किया जा सकता है क्योंकि वोट बैलेट पेपर पर होते हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक नहीं बल्कि मैनुअल रूप में होते हैं।
मिड डे ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस अधिकारीयों के बयानों को शामिल किया गया है। हालाँकि किसी भी पुलिस अधिकारी द्वारा ईवीएम या ओटीपी या किसी भी चीज को अनलॉक करने के बारे में कोई बयान नहीं दिया गया है। रिपोर्ट में वनराई पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक रामपियारे राजभर के हवाले से कहा गया है, ‘हमने मोबाइल फोन को फोरेंसिक के पास भेज दिया है जो कॉल रिकॉर्ड की जांच करेगा। हम यह भी जांच कर रहे हैं कि क्या मोबाइल फोन का इस्तेमाल किसी अन्य कारण से किया गया था। हमने अन्य उम्मीदवारों के बयान दर्ज किए हैं और आरोपी मंगेश पंडिलकर और दिनेश गुरव को नोटिस भेजा है। उन्हें जांच के लिए पुलिस स्टेशन आना होगा। वे अभी हमारे साथ सहयोग कर रहे हैं, अगर यह बंद हो जाता है, तो हम गिरफ्तारी वारंट जारी करेंगे।’ एक अन्य पुलिसकर्मी ने कहा, ‘अब हम NESCO केंद्र के CCTV कैमरों की जांच कर रहे हैं, जिससे हमें यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि मोबाइल फोन केंद्र के अंदर कैसे पहुंचा। हम इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि क्या इस अपराध में और भी आरोपी शामिल हैं या यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह मोबाइल फोन किसने सप्लाई किया।’
इन उद्धरणों से यह स्पष्ट है कि पुलिस ने ईवीएम को अनलॉक करने या ओटीपी जनरेट करने के बारे में कुछ भी नहीं बताया है। वे इस बात की जांच कर रहे हैं कि फोन को मतगणना केंद्र के अंदर कैसे ले जाया गया, जहां इसे ले जाना प्रतिबंधित है, कॉल रिकॉर्ड की जांच कर रहे हैं और क्या इसका इस्तेमाल किसी अन्य उद्देश्य के लिए किया गया था। पुलिस ने यह नहीं कहा है कि फोन का इस्तेमाल ईवीएम या ईटीपीबीएस तक पहुंचने या अनलॉक करने के लिए किया गया था।
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
वहीं इस मामले में मुंबई उपनगरीय निर्वाचन अधिकारी वंदना सूर्यवंशी ने कहा है कि ईवीएम को अनलॉक करने के लिए किसी ओटीपी की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि यह एक गैर-प्रोग्रामेबल वर्क है। इसमें उन्नत तकनीकी विशेषताएं हैं और ईवीएम पर कोई संचार उपकरण नहीं है। यह तकनीकी रूप से फुल प्रूफ सिस्टम है। ईवीएम एक स्टैंडअलोन प्रणाली है। इसमें किसी ओटीपी की आवश्यकता नहीं है। चुनाव आयोग ने मुंबई नॉर्थ वेस्ट लोकसभा सीट के चुनाव परिणाम को लेकर भ्रामक अर्टिकल प्रकाशित करने पर ‘मिड डे’ न्यूज पेपर के खिलाफ मानहानि का केस दाखिल कराया है।
जिला निर्वाचन अधिकारी के प्रेस नोट के मुताबिक,
निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि मिड डे अखबार ने ओटीपी से EVM को अनलॉक करने को भ्रामक खबर प्रकाशित की है।
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