Home धर्म भगवान बुद्ध की मूर्ति को हिंदू देवता बताकर पूजने का दावा गलत है
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भगवान बुद्ध की मूर्ति को हिंदू देवता बताकर पूजने का दावा गलत है

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सोशल मीडिया पर एक मूर्ति की पूजा करते हुए पुजारी का एक वीडियो वायरल है। वीडियो में पुजारी को मूर्ति के ऊपर सिंदूर डालते देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि यह भगवान बुद्ध की मूर्ति है, जिसे हिंदू देवता बताकर पूजा जा रहा है। हालांकि हमारी पड़ताल में यह दावा गलत साबित हुआ।

दिव्या कुमारी ने एक्स पर इस वीडियो को शेयर कर लिखा, ‘मंदिर के पाखंडी फिर से चोरी करते पकडे गए’

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फैक्ट चेक

वायरल वीडियो की जांच के लिए हमने वीडियो के कीफ्रेम का रिवर्स इमेज सर्च किया, जिसके बाद यह वीडियो हमें नीलकंठ धाम नाम के यूट्यूब चैनल मिला। डिस्क्रिप्शन के मुताबिक यह वीडियो गुजरात के पोईचा में स्थित नीलकंठ धाम स्वामीनारायण मंदिर का है।

न्यूज़ 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक घनश्याम पांडे या स्वामीनारायण या सहजानंद स्वामी हिंदू धर्म के स्वामीनारायण संप्रदाय के संस्थापक थे। अप्रैल 1781 को भगवान श्रीराम की जन्मभूमि कही जाने वाली अयोध्या के पास छपिया नाम के गांव में उनका जन्म हुआ था। पांच वर्ष की अवस्था में बालक ने पढ़ना-लिखना शुरू किया और आठ साल की उम्र में उनका जनेऊ संस्कार हुआ। इसके तुरंत बाद बालक ने शिक्षा में अपनी विलक्षण प्रतिभा दिखाई और अनेक शास्त्रों को पढ़ लिया। कुछ ही समय में वे घर छोड़कर निकले और पूरे देश की परिक्रमा कर ली। तब तक उनकी बहुत ख्याति हो चुकी थी और लोग उन्हें नीलकंठवर्णी कहने लगे थे।

देश के कई राज्यों से होते हुए वे गुजरात आ गए। यहां उन्होंने बाकायदा अपने संप्रदाय की शुरुआत की और उनके बहुत से अनुयायी बन गए। उन्होंने उस दौर की कई कुरीतियों को खत्म करने में बड़ा योगदान दिया। तब गुजरात समेत देश में कई प्राकृतिक आपदाएं आया करती थीं। उस दौरान स्वामीनारायण ने अपने अनुयायियों को लोगों की मदद के लिए प्रेरित किया। इस सेवाभाव को देखकर लोग उन्हें भगवान के अवतारी मानने लगे। मंदिर निर्माण उनके जीवनकाल के दौरान की बात है। खुद ब्रिटिश हुकूमत ने मंदिर के लिए जमीन दान की थी। मंदिर निर्माण भगवान स्वामीनारायण के अनुयायी आनंदानंद स्वामी की देखरेख में हुआ। इस दौरान भगवान स्वामीनारायण ने खुद भी श्रमदान किया।

दावा भगवान बुद्ध की मूर्ति को हिंदू देवता बताकर पूजा जा रहा है।
दावेदार दिव्या कुमारी
निष्कर्षवायरल वीडियो में दिख रही मूर्ति बुद्ध की नहीं, हिंदू धर्म के स्वामीनारायण संप्रदाय के संस्थापक स्वामी नारायण की है।

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