सोशल मीडिया पर एक अखबार की कटिंग वायरल है। जिसमें बताया गया है कि ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आरोप लगाया है कि केदारनाथ धाम से 228 किलो सोना गायब हो गया है। आज तक इसकी जांच नहीं हुई है। हालांकि हमारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक निकला।
सिंगर नेहा सिंह राठौर ने एक्स पर अखबार की कटिंग शेयर करते हुए लिखा, ‘क्या लगता है! केदारनाथ का सोना किसने चुराया होगा? जाँच न होने का क्या मतलब हो सकता है?’
क्या लगता है!
— Neha Singh Rathore (@nehafolksinger) August 31, 2024
केदारनाथ का सोना किसने चुराया होगा?
जाँच न होने का क्या मतलब हो सकता है? pic.twitter.com/O2XufBcywu
रोशनी कुशल जायसवाल ने लिखा, ‘क्या लगता है! केदारनाथ का सोना किसने चुराया होगा? जाँच न होने का क्या मतलब हो सकता है?’
क्या लगता है!
— Roshni kushal jaiswal (@roshnikushal) August 31, 2024
केदारनाथ का सोना किसने चुराया होगा?
जाँच न होने का क्या मतलब हो सकता है? pic.twitter.com/ZSKfEPAwkW
राकेश कुमार सिंह ने लिखा, ‘क्या लगता है! केदारनाथ का सोना किसने चुराया होगा? जाँच न होने का क्या मतलब हो सकता है?’
क्या लगता है!
— Rakesh Kumar Singh (@Rakeshjeeinc) September 1, 2024
केदारनाथ का सोना किसने चुराया होगा?
जाँच न होने का क्या मतलब हो सकता है? pic.twitter.com/38XBABdtFE
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फैक्ट चेक
दावे की पड़ताल के लिए हमने सम्बंधित कीवर्ड की मदद से गूगल सर्च किया। इस दौरान हमें 19 जून 2023 को प्रकाशित दी लल्लनटॉप की एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि यह मामला साल 2023 में सामने आया था। चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले साल मंदिर में चांदी की परत हटाकर सोने की दीवारें बनाने का काम हुआ था। ये सोना मुंबई के एक व्यापारी ने दान में दिया था। उन्होंने श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) और अधिकारियों पर 125 करोड़ रुपए का घोटाला करने का इल्जाम लगाया।
रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर समिति ने बताया कि दान देने वाले व्यापारी को नियम के तहत ही अनुमति दी गई थी। बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम, 1939 में इस तरह के दान देने की छूट है। दानदाता ने 230 किलोग्राम सोना दान किया है। केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोना चढ़ाने की उसकी लंबे समय से इच्छा थी। इस फैसले को राज्य सरकार ने भी माना था। भारत पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में ही सोने की परत चढ़ाने का काम किया गया है।, मंदिर समिति ने ये भी बताया कि दानदाता ने उनके सामने कोई शर्त नहीं रखी थी। उसने अपना नाम भी उजागर करने से मना किया है। न ही उसने इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80जी के तहत सर्टिफिकेट मांगा।
वहीं BKTC ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट कर मंदिर से सोना चोरी होने के दावे का खंडन किया है। BKTC ने बताया कि पीतल की प्लेट्स से लेकर सोने की परत चढ़ाने तक का काम दानदाता ने खुद अपने ज्वैलर्स से कराया है। दानदाता ने खुद ही सोना खरीदा। उसी ने मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़वाई। मंदिर समिति की इसमें कोई सीधी भूमिका नहीं थी। दानदाता ने सोने और पीतल की खरीद की रसीदें BKTC में जमा कराई हैं। नियम के अनुसार इन्हें हमारी स्टॉक बुक में दर्ज भी किया गया है। यह सब केदारनाथ धाम की छवि धूमिल करने के लिए एक षडयंत्र के तहत विवाद पैदा किया जा रहा है।
निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि केदारनाथ मंदिर में 228 किलो सोना चोरी होने का दावा गलत है। पीतल की प्लेट्स से लेकर सोने की परत चढ़ाने तक का काम दानदाता ने खुद अपने ज्वैलर्स से कराया है। इसमें मंदिर समिति का कोई रोल नहीं है। सोने की परत चढ़ाने का पूरा काम नियम के तहत हुआ है।