बीते दिनों एयरटेल, वोडाफोन और जिओ ने अपने प्रीपेड प्लान के दामों में बढ़ोतरी की है, जिसके बाद सोशल मीडिया पर BSNL ट्रेंड करने लगा है। इसी क्रम में सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि मनमोहन सिंह की सरकार के अंत तक BSNL फायदे में था जबकि नरेंद्र मोदी की सरकार में घाटे में चला गया। दावे के मुताबिक 2013 में BSNL का मुनाफा 10,183 करोड़ था और 2023 में घाटा 13,356 करोड़ हो गया। हालांकि हमारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक पाया गया है।
कांग्रेस नेत्री रोशनी कुशल जायसवाल ने अपना वीडियो शेयर करते हुए दावा किया, ‘2013 में BSNL का मुनाफा 10183 करोड़ था, और 2023 में घाटा 13356 करोड़ हो गया। मित्रों आखिर किसने बर्बाद किया BSNL को?‘
चंदन सिन्हा ने लिखा, ‘BSNL को कांग्रेस ने नहीं भाजपा ने तबाह किया, 2015 तक BSNL फ़ायदे में थी, मुनाफ़ा दर्ज कर रही थी, लेकिन 2016 में अंबानी को फ़ायदा पहुँचाने के लिए JIO लॉंच हुई जिसका प्रचार खुद मोदी ने किया, उसके बाद से BSNL तबाह हो गई।‘
सुभाष वर्मा ने लिखा, ‘2013 में BSNL का मुनाफा 10183 करोड़ था, और 2023 में घाटा 13356 करोड़ हो गया। किसने बर्बाद किया BSNL को?‘
इसके अलावा इस दावे को इंडिया नामा, शाह आलम मंसूरी, दुष्यंत सिंह नागर, और सुखदेव सिंह ने शेयर किया है।
यह भी पढ़ें: सड़क पर पाइपलाइन फटने का केरल का वीडियो भ्रामक दावे के साथ वायरल
दावे की जांच के लिए हमने मामले से संबंधित कीवर्ड का उपयोग कर गूगल सर्च किया जिसके बाद हमें इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट मिली। दिसंबर 2014 प्रकाशित को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार राज्य संचालित BSNL ने केवल केरल, जम्मू-कश्मीर और ओडिशा के तीन क्षेत्रीय सर्किलों में ही लाभ कमाया और कुल मिलाकर 2013-14 में 6,933.25 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया गया। BSNL के लाभ/हानि का विवरण साझा करते हुए, संचार और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में लिखित जवाब में कहा कि कंपनी ने 2013-14 में 6,933.25 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया जबकि केरल में 396.80 करोड़ रुपये, जम्मू-कश्मीर में 9.37 करोड़ रुपये और ओडिशा में 5.16 करोड़ रुपये का लाभ कमाया। इसके अतिरिक्त BSNL ने 2012-13 में 7,772.54 करोड़ रुपये और 2011-12 में 8,652.61 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया था।
रिपोर्ट में आगे लिखा है, ‘BSNL ने 2013-14 में कुल 27,996.35 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया, जबकि कुल व्यय 34,929.60 करोड़ रुपये था। 2012-13 में, कुल राजस्व 27,127.89 करोड़ रुपये था जबकि कुल व्यय 34,900.43 करोड़ रुपये था। 2011-12 के लिए, कुल राजस्व 27,933.50 करोड़ रुपये और कुल व्यय 36,586.11 करोड़ रुपये था।‘
पड़ताल में हमें द इकोनॉमिक टाइम्स की मार्च 2024 की रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के अनुसार सरकार द्वारा संचालित भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) का नेट नुकसान वित्तीय वर्ष 2024 में 5,367 करोड़ रुपये था, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 8,161 करोड़ रुपये से कम हुआ। इसके कारण वित्तीय लागत, विशेष रूप से वित्त लागत, कम हो गई और गैर-संचालित आय बढ़ी। BSNL के संचार से आय वित्तीय वर्ष में 1% तक मामूली रूप से बढ़कर 19,343.6 करोड़ रुपये हुई। हालांकि, इससे केंद्र द्वारा निर्धारित 3.2 लाख करोड़ रुपये के महा पुनर्जीवन पैकेज के हिस्से के रूप में निर्धारित 20,008 करोड़ रुपये का लक्ष्य छूट गया। रिपोर्ट में आगे लिखा है कि BSNL के सेल्युलर सेवाओं और उद्यम सेगमेंट से आय वित्तीय वर्ष 2023-24 में गिर गयी, जबकि ब्रॉडबैंड व्यापार से आय 9% तक बढ़कर 3,662 करोड़ रुपये हुई।
पड़ताल के दौरान हमें नवंबर 2015 की रिपोर्ट मिली, जिसमें यह बताया गया था कि ‘BSNL मार्च 2015 तक वर्ष के अंत में 672 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग लाभ दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष के नुकसान के विपरीत हुआ, क्योंकि कर्मचारी लागतें घटीं और ऑपरेटिंग आय बढ़ी। BSNL के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि “साल भर में लगभग 10,000 कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए, जिससे कंपनी के कर्मचारी संख्या कम होकर 2.2 लाख हो गई। कंपनी का ऑपरेटिंग लॉस 2013-14 में 691 करोड़ रुपये था।’ जुलाई 2019 की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक ‘BSNL को 2015-16 में 4,859 करोड़ रुपये, 2016-17 में 4,793 करोड़ रुपये, 2017-18 में 7,993 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ था और अनुमानित है कि 2018-19 में यह 14,202 करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है।’
पड़ताल में हमें राज्य सभा में पेश की गई रिपोर्ट मिली, जिसमें बताया गया कि ‘BSNL का लाभ 2004-05 में 10,183 करोड़ रुपये था। 2005-06 से राजस्व में निरंतर गिरावट हुई और 2013-14 में BSNL को 7,020 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ।’
निष्कर्ष: यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि 2004 में जब कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी थी, तब BSNL का लाभ 10,183 करोड़ रुपए था, लेकिन मनमोहन सिंह के दस साल के शासन के बाद BSNLको 2013-14 में करीबन 7,000 करोड़ का नुक़सान झेलना पड़ा था।
This website uses cookies.