सोशल मीडिया पर एक तस्वीर को भारतीय संविधान की मूल प्रति बताकर शेयर किया जा रहा है। अम्बेडकर पर निशाना साधते हुए दावा किया जा रहा है कि भारतीय संविधान की मूल प्रति पर भीमराव आम्बेडकर का नाम नहीं है। हालंकि हमारी पड़ताल में यह दावा भ्रामक साबित हुआ।
दी ब्राह्मण कम्युनिटी नाम के एक्स हैंडल ने अम्बेडकर पर निशाना साधते हुए लिखा, ‘जो लोग दिन-रात यह दावा करते हैं कि संविधान उनके बाप का है, क्या उन्होंने कभी संविधान की मूल प्रति को ध्यान से देखा है? इसमें उनके बाप का नाम कहीं दिखाई नहीं दे रहा है’
जो लोग दिन-रात यह दावा करते हैं कि संविधान उनके बाप का है, क्या उन्होंने कभी संविधान की मूल प्रति को ध्यान से देखा है?
— The ब्राह्मण COMMUNITY (@BrahminComunity) January 11, 2025
इसमें उनके बाप का नाम कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। #Constitution pic.twitter.com/MsVVWm1our
गोपाल मिश्रा ने लिखा, ‘जो लोग दिन-रात यह दावा करते हैं कि संविधान उनके बाप का है, क्या उन्होंने कभी संविधान की मूल प्रति को ध्यान से देखा है?’
जो लोग दिन-रात यह दावा करते हैं कि संविधान उनके बाप का है, क्या उन्होंने कभी संविधान की मूल प्रति को ध्यान से देखा है? pic.twitter.com/lUd7osCF3D
— Gopal Mishra✨ (@GKMvoice) January 12, 2025
यह भी पढ़ें: उज्जैन में मस्जिद और मकानों पर बुलडोजर चलाने का क्या मामला है?
फैक्ट चेक
दावे की पड़ताल के दौरान, हमने वायरल तस्वीर में दिखाए गए पुस्तक को ध्यानपूर्वक जांचा ताकि उसकी प्रामाणिकता का पता लगाया जा सके। गहराई से विश्लेषण के बाद यह स्पष्ट हुआ कि यह पृष्ठ भारत के मूल संविधान का हिस्सा नहीं है। बल्कि, यह संविधान के मसौदा ढांचे या प्रारंभिक संस्करण का हिस्सा है, जो संविधान निर्माण की प्रक्रिया के दौरान तैयार किया गया था यह संविधान की रूपरेखा है।। इसे भारत के अंतिम और आधिकारिक संविधान के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है।
Constitution Of India की वेबसाइट के मुताबिक, संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बीएन राव ने 1948 में भारतीय संविधान का पहला मसौदा तैयार किया। जिसे संविधान सभा में प्रस्तुत किया गया। संविधान तैयार करने के लिए बीएन राव ने दुनिया भर के देशों की यात्रा की और वहां के न्यायविदों और शोधकर्ताओं से गहरी चर्चा की।
पड़ताल में आगे हमें भारतीय संविधान की मूल प्रति मिली, जिसके पहले पन्ने पर अशोक की लाट है। संविधान में भगवान श्रीराम के साथ ही इतिहास के चुनिंदा महात्मा, गुरुओं, शासकों के साथ ही पौराणिक पात्रों के चित्र बनाए गए हैं। इन्हें संविधान के अलग-अलग पन्नों पर जगह दी गई है। संविधान में दिए गए 22 चित्र भारत के गौरवशाली विरासत का संदेश देता है। संविधान में भगवान श्रीराम के अलावा गीता का उपदेश देते श्रीकृष्ण के साथ अर्जुन, नटराज, भगवान बुद्ध, लक्ष्मीबाई, अकबर, वीर शिवाजी के साथ ही गंगा मैया और इसे धरती पर लाने वाले भागीरथ को भी स्थान दिया है।
अपनी जांच में आगे हमें The Rational Hindu नाम की वेबसाइट पर संविधान सभा की मूल प्रति मिली जिसपर डॉ. भीमराव अंबेडकर समेत संविधान समिति के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।
दावा | संविधान की मूल प्रति पर डॉ. अम्बेडकर का नाम नहीं है। |
दावेदार | दी ब्राह्मण कम्युनिटी और गोपाल मिश्रा |
निष्कर्ष | वायरल पेज संविधान की मूल प्रति नहीं, संविधान की रूपरेखा है जिसे बीएन राव ने 1948 में तैयार किया था। संविधान की मूल प्रति में डॉ. भीमराव अंबेडकर समेत संविधान समिति के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। |